सेवानिवृत्त दारोगा हत्याकांड में पुलिस को नहीं मिला सुराग

औरंगाबाद। नगर थाना क्षेत्र के जयप्रकाश नगर के गली नंबर-4 निवासी सेवानिवृत्त दारोगा शिवमूरत तिवारी हत्याकांड में पुलिस को सुराग नहीं मिला है। चर्चित हत्याकांड के राजफाश पर नागरिकों की नजरें टिकी है परंतु पुलिस की हाथ अब तक खाली है। हत्या के 151 दिन बीत गए परंतु पुलिस न तो हत्यारों का पता लगा सकी और न ही अब तक अनुसंधान आगे बढ़ा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 08:16 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 08:16 PM (IST)
सेवानिवृत्त दारोगा हत्याकांड में पुलिस को नहीं मिला सुराग
सेवानिवृत्त दारोगा हत्याकांड में पुलिस को नहीं मिला सुराग

औरंगाबाद। नगर थाना क्षेत्र के जयप्रकाश नगर के गली नंबर-4 निवासी सेवानिवृत्त दारोगा शिवमूरत तिवारी हत्याकांड में पुलिस को सुराग नहीं मिला है। चर्चित हत्याकांड के राजफाश पर नागरिकों की नजरें टिकी है परंतु पुलिस की हाथ अब तक खाली है। हत्या के 151 दिन बीत गए परंतु पुलिस न तो हत्यारों का पता लगा सकी और न ही अब तक अनुसंधान आगे बढ़ा है। जिस समय दारोगा की हत्या हुई थी उस समय अनुसंधानकर्ता धनंजय कुमार शर्मा (वर्तमान बारुण थानाध्यक्ष) जांच के दौरान दो-तीन संदिग्धों की पहचान की थी। पुलिस के सामने उनके नाम आए थे परंतु अब तक न तो उन्हें हिरासत में लिया गया और न ही नामों का सही तरीके से सत्यापन किया गया। चर्चा है कि नाम आते ही तीनों युवक शहर छोड़ फरार हो गए। पुलिस उनके घर पहुंची तो वे बाहर जा चुके थे। यहीं से पुलिस की सुस्ती बढ़ी जो आज तक जारी है। कहा जा रहा है कि जब तक संदिग्ध युवक नहीं पकड़े जाएंगे, इस कांड में पुलिस को कोई सफलता नहीं मिलेगी। हत्या के कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है। अब इस कांड का प्रभार दारोगा राजू कुमार के पास है। राजू ने धनंजय से ढाई माह पहले प्रभार लिया परंतु जांच वहीं लटकी है। पूछने पर कहते हैं कि पुलिस अपने स्तर से दारोगा हत्याकांड की जांच कर रहे हैं। दारोगा के मोबाइल का काल डिटेल्स निकाला गया है। वैज्ञानिक तरीके से जांच चल रही है। हत्या क्यों और कैसे हुई इसकी जानकारी ली जा रही है। इधर, दारोगा के पुत्र परशुराम तिवारी एवं कमलेश तिवारी का कहना है कि पुलिस पिता के हत्यारों को ढूंढना नहीं चाहती है। कई बार एसपी से मिलकर आवेदन दिया परंतु पुलिसिया जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। पिता की हत्या के बाद से पूरा परिवार दहशत में है। 30 जून को अपराधियों ने की थी हत्या

सेवानिवृत्त दारोगा की हत्या शस्त्र अपराधियों ने 30 जून की रात उस समय कर दी थी जब वे टेलीविजन देख रहे थे। अपराधियों ने हल्ला कर दारोगा को घर के खिड़की पर बुलाया और सिर में सटाकर गोली मार दी। दारोगा की मौके पर मौत हो गई। दारोगा को अपराधियों ने दो गोली मारी थी। दारोगा की हत्या के बाद शहर में सनसनी फैल गई थी। पुलिस विभाग के अधिकारी घटना के कुछ ही देर बाद घटनास्थल पहुंच जांच शुरू कर दी थी परंतु अब तक सुराग न मिलना पुलिस की नाकामी को दर्शाता है। सेवानिवृत्त दारोगा जमीन के खरीद-बिक्री का धंधा करते थे। घटना के दिन भी एक जमीन की बात की थी। बताया जाता है कि गांव में भी उनकी दुश्मनी अपने परिवार के साथ चल रही थी। बाइक सवार युवकों ने मारी थी गोली

बाइक सवार दो युवकों ने सेवानिवृत्त दारोगा को गोली मारी थी। गोली मारकर भाग रहे दो युवकों की पहचान रामनगर मोहल्ला के किसी युवक ने पुलिस को बताई थी। सेवानिवृत्त दारोगा के पुत्रों को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने नगर थाना पुलिस को जानकारी दिया परंतु अब तक दोनों युवक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। सेवानिवृत्त दारोगा हत्याकांड में पुलिस सुराग ढूंढ रही है। कांड की गुत्थी को सुलझाना पुलिस के लिए चुनौती है। पंचायत चुनाव के कारण अनुसंधान की रफ्तार कमजोर पड़ गई है। अब पुलिस इस मामले में हत्यारों की सुराग ढूंढकर गिरफ्तार कर सजा दिलाएगी।

अंजनी कुमार, नगर थानाध्यक्ष, औरंगाबाद।

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