विश्व मगही परिषद के मंच से झारखंड के मुख्यमंत्री की तीखी भर्त्सना
औरंगाबाद। विश्व मगही परिषद के बैनर तले आयोजित अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल के 53 वें वेबिनार के मगही कवि सम्मेलन व परिचर्चा का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा.भरत सिंह ने अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि झारखंड के मुख्य ंत्री हेमंत सोरेन को पता होना चाहिए कि झारखंड की प्रचलित भाषा खोरठा पंचपरगनियां और कुरमाली मगही का ही बदला हुआ रूप है। झारखंड की जनजातीय भाषा द्रविड़ कुल की भाषा है।
औरंगाबाद। विश्व मगही परिषद के बैनर तले आयोजित अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल के 53 वें वेबिनार के 'मगही कवि सम्मेलन व परिचर्चा' का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा.भरत सिंह ने अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि झारखंड के मुख्य ंत्री हेमंत सोरेन को पता होना चाहिए कि झारखंड की प्रचलित भाषा खोरठा, पंचपरगनियां और कुरमाली, मगही का ही बदला हुआ रूप है। झारखंड की जनजातीय भाषा द्रविड़ कुल की भाषा है। मुख्यमंत्री गंदी राजनीति करना छोड़ें, नहीं तो जनता उन्हें सबक सिखा देगी। मगही और भोजपुरी के लिए उनकी अभिव्यक्ति का विरोध बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में भी जोर पकड़ रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विश्व मगही परिषद के मंच से जितनी तीखी भर्त्सना की जाय वह कम ही होगी। डा. भरत सिंह ने कहा कि विश्व मगही परिषद कदम -दर -कदम अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। कार्यक्रम संचालक परिषद के महासचिव प्रो. नागेन्द्र नारायण ने सभी कवियों और वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि आनेवाले दिनों में नीदरलैंड की साहित्यिक संस्था और विश्व मगही परिषद के संयुक्त तत्वावधान में मगही कार्यक्रमों की एक नई श्रृंखला शुरू होगी। कार्यक्रम में रंजीत दुधु, जहानावाद के चितरंजन चैनपुरा, नालंदा के डा. शिवेन्द्र नारायण सिंह, पंकज कुमार प्रवीण, सतीश शांडिल्य, लालमणि विक्रान्त, जयनन्दन और ओंकार निराला ने भी काव्य पाठ किया। भागलपुर के कवि राजकुमार, पूनम कुमारी, शोध छात्रा सुनीता कुमारी पश्चिम बंगाल से डा. सरिता विश्वकर्मा, उत्तर प्रदेश से प्रो. विश्वनाथ कुमार, पलामू (झारखण्ड) से डा. सतीश कुमार और राजस्थान से सतीश शांडिल्य ने भाग लिया। अमेरिका से जुड़े अनिल कुमार ने मगही के विकास के लिए हो रहे कार्यक्रमों की प्रशंसा किया।