विवाहिता की हत्या के मामले में पति को उम्रकैद की सजा

औरंगाबाद। व्यवहार न्यायालय के एडीजे नवम संजय कुमार झा ने दहेज को लेकर विवाहिता की हत्या मामले में पति को उम्र कैद की सजा सुनाई है। न्यायालय ने नवीनगर थाना कांड संख्या 307/18 की सुनवाई करते हुए मामले में दोषी करार पति नवीनगर थाना क्षेत्र के शिवपुर गांव निवासी मुकेश कुमार सिंह चंद्रवंशी को दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा के अलावा पचास हजार जुर्माना की सजा सुनाई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 17 Nov 2021 10:57 PM (IST) Updated:Wed, 17 Nov 2021 10:57 PM (IST)
विवाहिता की हत्या के मामले में पति को उम्रकैद की सजा
विवाहिता की हत्या के मामले में पति को उम्रकैद की सजा

औरंगाबाद। व्यवहार न्यायालय के एडीजे नवम संजय कुमार झा ने दहेज को लेकर विवाहिता की हत्या मामले में पति को उम्र कैद की सजा सुनाई है। न्यायालय ने नवीनगर थाना कांड संख्या 307/18 की सुनवाई करते हुए मामले में दोषी करार पति नवीनगर थाना क्षेत्र के शिवपुर गांव निवासी मुकेश कुमार सिंह चंद्रवंशी को दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा के अलावा पचास हजार जुर्माना की सजा सुनाई है।

अधिवक्ता एपीपी संजीव कुमार सिंह ने बताया कि मुकेश घटना के बाद से ही जेल में बंद है। दो नवंबर को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। बताया कि कोर्ट ने ससुर को भी दोषी करार दिया है। सजा के बिदु पर 20 नवंबर को सुनवाई होगी। बताया कि 28 अक्टूबर 2018 को मुकेश की शादी झारखंड के पलामू जिले के हैदरनगर थाना क्षेत्र के बरवाडीह गांव निवासी महेंद्र राम की पुत्री सिपी कुमारी के साथ हुई थी। शादी के दो माह बाद ही दहेज के लिए विवाहिता को मारपीट व प्रताड़ित किया जाने लगा था। 28 नवंबर 2018 को विवाहिता की हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद पति के द्वारा विवाहिता के मायके में मोबाइल से सूचना दी गई थी कि चापाकल पर गिर जाने से सिपी की मौत हो गई है। सूचना के बाद विवाहिता के पिता जब पुत्री के घर पहुंचते हैं तो शव आंगन में पड़ा हुई देखते हैं। मौत का कारण पूछने पर पति के द्वारा जवाब दिया जाता है कि चापाकल के पास गिरने और सिर में चोट लगने से मौत हो गई है। वहीं, सास, ससुर ने कहा कि पेट में दर्द होने से मौत हुई है। मामले में विवाहिता के पिता के द्वारा दामाद के अलावा समधी जसवंत सिंह चंद्रवंशी, समधन हदया देवी के खिलाफ दहेज हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप पत्र में विवाहिता के सास पर आरोप का समर्थन नहीं मिला था। संज्ञान पति और ससुर पर लिया गया। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने कहा कि गवाहों की गवाही और मेडिकल रिपोर्ट घटना का साक्ष्य बना था और पति को सजा मिली है। इस वाद की सुनवाई के दौरान वर्ष 2019 में ससुर जसवंत सिंह चंद्रवंशी का वाद अलग कर दिया गया था।

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