महापर्व छठ के पहले दिन बटाने नदी पर उमड़े श्रद्धालु

औरंगाबाद। कुटुंबा प्रखंड में आस्था का महापर्व छठ सोमवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। प्रखंड में बहने वाली नदी बतरे बटाने तट पर स्नान ध्यान के लिए भारी संख्या में छठ व्रती पहुंचे। तालाब पोखर कुआं व तालाब के समीप भी अलग-अलग स्थानों पर छठ व्रती की भीड़ दिखी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Nov 2021 10:05 PM (IST) Updated:Mon, 08 Nov 2021 10:05 PM (IST)
महापर्व छठ के पहले दिन बटाने नदी पर उमड़े श्रद्धालु
महापर्व छठ के पहले दिन बटाने नदी पर उमड़े श्रद्धालु

औरंगाबाद। कुटुंबा प्रखंड में आस्था का महापर्व छठ सोमवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। प्रखंड में बहने वाली नदी बतरे, बटाने तट पर स्नान ध्यान के लिए भारी संख्या में छठ व्रती पहुंचे। तालाब, पोखर, कुआं व तालाब के समीप भी अलग-अलग स्थानों पर छठ व्रती की भीड़ दिखी। दोमुहान संगमघाट, परता, अम्बा, घुण्डा, धनीवार, संडे समेत विभिन्न छठ घाट पर छठव्रती स्नान ध्यान करने में व्यस्त रहे। वैसे तो यह त्योहार मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, लेकिन अब इस त्योहार की खनक देश के प्रत्येक कोने से लेकर विदेशों में सुनाई पड़े रही है। भारतवंशियों के परम पावन पर्व के रूप में सूर्योपासना का पर्व छठ आस्था एवं साक्षात देव की पूजा के रूप में प्रसिद्ध है। देश के प्रत्येक क्षेत्र में अब बहुत से लोग इस व्रत को करने लगे हैं। इस लोक आस्था के पर्व पर छठ व्रती उगते और डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देकर उनकी आराधना करते हैं। यह त्योहार सूर्य षष्ठी व्रत भी कहलाता है इस कारण इसे क्षेत्रीय भाषा में छठ भी कहा जाता है। व्रत को साल में दो बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में में मनाया जाता है। उल्लेखनीय है कि कार्तिक मास में किए जाने वाले छठ की अधिक मान्यता रही है। छठ पूजा में प्रयोग में लाए जाने वाली चीजें साड़ी, बांस की बनी बड़ी-बड़ी टोकरियां, पीतल या बास का सूप, दूध, जल, लोटा, थाली, गन्ना, मौसमी फल, पान, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया। पर्व को लेकर माहौल भक्तिमय हो उठा।

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