केंद्रीय पुस्तकालय के अस्तित्व पर संकट के बादल

शहर के हर्ट में स्थित केंद्रीय पुस्तकालय के अस्तित्व पर खतरा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 10:46 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 10:46 PM (IST)
केंद्रीय पुस्तकालय के अस्तित्व पर संकट के बादल
केंद्रीय पुस्तकालय के अस्तित्व पर संकट के बादल

शहर के हर्ट में स्थित केंद्रीय पुस्तकालय के अस्तित्व पर खतरा है। भवन अत्यंत जर्जर हो गया है। बारिश होने पर छत से पानी टपकता है। पुस्तकालय का इतिहास इतराने वाला है परंतु वर्तमान अंधकारमय है। पुस्तकालय का निर्माण अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1918 में किया गया था। जिस समय पुस्तकालय का निर्माण हुआ था उस समय किसी ने यह सोचा भी नहीं होगा यह स्थिति होगी। पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या 17 हजार 500 है। कई दुर्लभ पुस्तकें यहां हैं। छत से पानी टपकने के कारण किताबें खराब हो रही है। भवन जर्जर रहने के कारण पाठक भी जाने से कतराते हैं। पुस्तकालय में उपन्यास, कहानी, साहित्य, काव्य, संस्कृत, उर्दू, बंगला की किताबें हैं। ग्रंथपाल मिथिलेश कुमार ने बताया कि वर्ष 1998 से डीएम एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी को भवन निर्माण के लिए पत्र भेज रहा हूं। भवन प्रमंडल विभाग के द्वारा 47 लाख 76 हजार का प्राक्कलन बनाया गया परंतु अब तक निविदा नहीं निकाली गई। प्राक्कलन फाइलों में कैद होकर रह गया है। बता दें कि पाठक एवं पुस्तकों के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है। पुस्तक का उपयोग मनुष्य के जीवन में बचपन से आरंभ होता है।

'क'अक्षर का ज्ञान भी हमें पुस्तक कराता है। वर्तमान माहौल में पुस्तक की जगह बच्चों का रुझान कंप्यूटर और इंटरनेट में है। कभी केंद्रीय पुस्तकालय से लगाव रखने वाले 75 वर्षीय ललन उपाध्याय एवं वशिष्ठमुनि पांडेय बताते हैं कि केंद्रीय पुस्तकालय में सभी तरह की पुस्तकें उपलब्ध है। अखबार भी मौजूद है। लोगों को जब पुराने अखबार की जरूरत होती है तो वे यही आते हैं। पहले पुस्तक एवं अखबार पढ़ने लोग पुस्तकालय जाते थे। अब हालात यह है कि पुस्तकों के प्रति रुचि जगाने को जगह-जगह सेमिनार का आयोजन करना पड़ रहा है। बच्चों के लिए यह विशेष समस्या है। पुस्तकें बच्चों में अध्ययन की प्रवृति, जिज्ञासु प्रवृति, सहेजकर रखने की प्रवृति एवं संस्कार रोपित करती है। पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान देती हैं बल्कि कला, संस्कृति, लोकजीवन व सभ्यता के बारे में बताती है। आंख रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डा. संतोष कुमार की माने तो कंप्यूटर पर लगातार बैठने एवं नेट चलाने से लोगों की आंखों और मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में पुस्तकों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करना जरूरी है। जीर्णोद्धार की है जरूरत : अध्यक्ष

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जिला केंद्रीय पुस्तकालय के पुस्तकालय के अध्यक्ष मिथिलेश कुमार ने बताया कि पुस्तकालय की स्थिति जर्जर हो गई है। जीर्णोद्धार की जरूरत है। इसके लिए कई बार विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखा गया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कभी बेहतर थी पुस्तकालय की स्थिति : रामाशंकर

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केंद्रीय पुस्तकालय के पूर्व पुस्ताकयल सहायक रामाशंकर प्रसाद ने बताया कि पहले इस पुस्तकालय की स्थिति बेहतर था। यहां पुस्तक पढ़ने वालों की भीड़ लगी रहती थी परंतु अब एकाध लोग ही आते हैं। इसे मरम्मत कराने की जरूरत है। जनप्रतिनिधि व अधिकारी दें ध्यान : वृजमोहन

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पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने पहुंचे नागरिक वृजमोहन सिंह ने बताया कि यह शहर का धरोहर है। इसे अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को संरक्षित करने की जरूरत है। यहां कई दुर्लभ पुस्तकें हैं। बेहतर पुस्तक की जरूरत : रामनरेश

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पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ रहे सेवानिवृत शिक्षक रामननरेश सिंह ने बताया कि इसे जीर्णोद्धार के साथ बेहतर पुस्तकों की जरूरत है। सभी किताबें पुरानी हो गई है। साहित्य समाज का दर्पण होता है। जिला मुख्यालय में ऐसी पुस्तकालय की जरूरत है जहां जिले भर के शिक्षक आकर पुस्तकों का अध्ययन करें। ज्ञान की गंगोत्री है पुस्तकालय : रामानुज

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समाजसेवी रामानुज पांडेय ने बताया कि पुस्तकालय एक देवालय होता है। यह ज्ञान की गंगोत्री है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का प्रथम अवतार वेदों की रक्षा के लिए हुआ था परंतु आज के जनप्रतिनिधि इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। स्थिति यह है कि यह बदहाल होते जा रहा है। इसे संरक्षित रखने की आवश्यकता है। पुस्तकालय का होगा जीर्णोद्धार : डीइओ

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जिला शिक्षा पदाधिकारी मो. अलीम ने स्वीकार किया है पुस्तकालय की स्थिति दयनीय है। बताया कि पुस्तकालय की जर्जर स्थिति के संबंध में जानकारी मिली है। इसके लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। जीर्णोद्धार का प्रयास किया जाएगा।

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