कोरोना के खतरे, कानून के डंडे व रोजी-रोटी से जूझ रहे व्यवसायी
बीते एक वर्ष से तमाम व्यवसायी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। अब उनके समक्ष आर्थिक संकट आन पड़ी है।
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : बीते एक वर्ष से तमाम व्यवसायी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। आपात सेवाओं को छोड़ दिया जाए तो तमाम तरह के व्यवसायियों के सामने आर्थिक समस्याएं आन पड़ी है। इस बार का लॉकडाउन पूर्व की अपेक्षा अधिक सख्त है। पिछले लॉकडाउन के दौरान किराना, फल, सब्जी, दूध, मांस, मछली की दुकानें खुली रखी गईं थी। इस बार इन दुकानों को भी प्रात: 7:00 से पूर्वाह्न 11:00 बजे तक ही खोलने की आजादी है। जो रोज कमाने-खाने वाले दुकानदारों के समक्ष स्थिति गंभीर होती जा रही है। रोजी-रोटी के बाद इनके लिए बीमारी का इलाज कराना भी मुश्किल हो रहा है। -----------------
व्यवसायियों के हित के लिए भी सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। 70 प्रतिशत वैश्य आबादी पार्चुन और छोटी-छोटी दुकानों पर निर्भर है। उनके सामने रोजी रोटी के साथ दवा का भी अब टोटा हो गया है। काफी संख्या में ऐसे छोटे छोटे दुकानदार हैं, जिन्होंने कर्ज ले रखा है। वह आज न ब्याज वापस करने में सक्षम हैं, ना दुकान का किराया देने में।
अनंत प्रसाद सोनी, प्रदेश उपाध्यक्ष, वैश्य चेतना मंच ------------------
लॉकडाउन में तमाम होटल बंद हो गए। लाखों रुपए की मिठाइयां बर्बाद हो गईं, क्योंकि उन्हें एक-दो दिन से अधिक नहीं रखा जा सकता। इस आर्थिक क्षति के अलावा तमाम स्टाफ बेकार हो गए, उनको पैसा भी बैठा कर देना पड़ रहा है। शादी विवाह का आर्डर भी नहीं मिल रहा। पहले से जो आर्डर थे वह भी अब कैंसिल हो रहे।
संजय कुमार, संचालक, लवली स्वीट्स -----------------------
लॉकडाउन के नियमों का पालन सभी दुकानदारों को करना चाहिए। 7 से 11 बजे तक ही दुकान खोलनी है। 11 बजे से 5 मिनट पहले ही दुकान बंद कर दें। यदि ऐसा नहीं करने पर प्रशासनिक कार्रवाई होती है तो संगठन मदद नहीं कर सकेगा। सतर्कता से ही कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ी जा सकती है। इसका सभी को ध्यान रखना होगा।
सोनू चौरसिया, अध्यक्ष, किराना व्यवसाई संघ ----------------------
ग्राहकों को धैर्य रखने की जरूरत है। दवाओं की आपूर्ति कम नहीं होगी। दुकान पर आने पर ग्राहकों को आपस में कम से कम 2 गज की दूरी बनाकर रखनी चाहिए। मास्क पहनकर ही दवा दुकानों पर आएं। ग्राहकों में यह तय करना संभव नहीं है कि कोई ग्राहक किसी रोग का मरीज है या नहीं। इसलिए खुद सतर्क रहें।
मृत्युंजय कुमार, सचिव, औषधि विक्रेता संघ