शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना से मिलता मनोवांछित फल

अरवल करपी प्रखंड मुख्यालय से सटे करपी डीह स्थित जगदम्बा मंदिर के प्रांगण में चल रहे नवरात्रि महोत्सव के चौथे दिन प्रवचन सुनने काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 10:37 PM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 10:37 PM (IST)
शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना से मिलता मनोवांछित फल
शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना से मिलता मनोवांछित फल

अरवल : करपी प्रखंड मुख्यालय से सटे करपी डीह स्थित जगदम्बा मंदिर के प्रांगण में चल रहे नवरात्रि महोत्सव के चौथे दिन प्रवचन सुनने काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कथावाचक संत छोटे सरकार कन्हैया शरण ने देवी श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन नौ देवियों की उपासना और नवरात्रि अनुष्ठान के महत्व को बताया। कहा कि शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना से मनोवांछित फल मिलता है।

केवल उपवास रहकर एवं ब्राह्माणों से मंत्र जाप, हवन और प्रसाद वितरण कर पूर्णफल की प्राप्ति नहीं कर सकते हैं। पूर्ण फल की प्राप्ति तभी होगी जब आपका अंत:करण शुद्ध हो। नवरात्र के दौरान आपके पड़ोस में कोई भी अभावग्रस्त न हो। इस दौरान किसी की कष्टकारी आवाज आपके कानों तक न पहुंचे। नवरात्रि के दौरान अपने आसपास जरूरतमंदों को खाना एवं अन्य सम्भव योग्य सहायता नवरात्रि अनुष्ठान के फल में वृद्धि करता है। यह असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व है। हम जब भी संकट में होते है इन शक्तियों की आराधना कर कष्ट से निकलने का आशीर्वाद मांगते हैं।

जगदम्बा युवा क्लब के सदस्यों द्वारा नवरात्रि महोत्सव के सुंदर एवं सुव्यवस्थित आयोजन की सराहना की। प्रवचन से माहौल भक्तिमय हो गया है। श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा नहीं हो इसका भी सदस्यों द्वारा ख्याल रखा जा रहा है। ग्रामीण रामप्रवेश शर्मा,रामरेखा शर्मा,शैलेश शर्मा,विपिन शर्मा,अजेश शर्मा,भीम शर्मा,गिरजेश शर्मा,महेश पाठक,सुधीर पाठक ने जगदम्बा युवा क्लब के सदस्यों द्वारा आयोजन किए जा रहे नौ दिवसीय देवी श्रीमद्भागवत कथा की काफी सराहना की है।

स्कंदमाता व कात्यायनी की पूजा कर मांगा वरदान : जिले में स्कंदमाता एवं मां कात्यायनी की पूजा विधि-विधान पूर्वक वैदिक रीति रिवाज से की गई। मां की पूजा कर अपने साथ-साथ समाज के कल्याण के लिए आराधना की गई। स्थापित कलश के समीप दुर्गा सप्तशती के मंत्रों के उच्चारण से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। कई स्थानों पर ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का प्रसार किया गया। पंडित उमेश मिश्र ने बताया कि मां स्कंदमाता की पूजा धर्म शास्त्रों के मुताबिक नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति संतान सुख के लिए पूरे विधि विधान से मां की पूजा करता है उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। यश, बल और धन की वृद्धि होती है। मां कात्यायनी आमोध फल दायिनी है। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिदी यमुना के तट पर की थीं। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और आकर्षक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि कात्यायन की उपासना से प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम मां कात्यायनी पड़ा।

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