खाद को ले दुकानों पर जुट रही किसानों की भीड़

अरवल रबी फसल की बुआई का समय समाप्त होते जा रहा है। ऐसे में किसान डीएपी खाद के लिए सुबह से दुकानों पर कतारबद्ध हो जा रहे है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 09:54 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 09:54 PM (IST)
खाद को ले दुकानों पर जुट रही किसानों की भीड़
खाद को ले दुकानों पर जुट रही किसानों की भीड़

अरवल : रबी फसल की बुआई का समय समाप्त होते जा रहा है। ऐसे में किसान डीएपी खाद के लिए सुबह से दुकानों पर कतारबद्ध हो जा रहे है। जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड एवं ग्रामीण इलाके के दुकान पर किसान खाद के लिए भटक रहे हैं। खाद आने की भनक मिलते ही लोग दुकान पर सुबह से ही लाइन में खड़े हो जा रहे हैं। खाद की कमी के कारण आवश्यकतानुसार नहीं मिल रहा है। 15 हजार तीन सौ टन की आवश्यकता है। अब तक 45 सौ 37 टन आपूर्ति हुई है। कृषि पदाधिकारी विजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है। उन्होंने किसानों से डीएपी की जगह यूरिया खाद का प्रयोग कर रबी फसल लगाने की अपील की।

महंगाई से त्रस्त जिले के किसानों का धैर्य अब खाद की किल्लत से जवाब देने लगा है। किसान अब त्राहिमाम कर रहे हैं। एक तरफ डीजल के दामों में बढ़ोतरी व महंगे कीटनाशक और बीज से किसान परेशान हैं, तो दूसरी तरफ किसानी के इस किसानी के व्यस्ततम समय में डीएपी की किल्लत ने किसानों का हौसला पस्त कर दिया है। किसानों को इस बात की चिता सताए जा रही है कि समय पर खाद नहीं मिलेगा तो फसलों का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगा। क्षेत्र के किसान निवास शर्मा ,कौशल किशोर शर्मा, नारायण शर्मा, भगवान शर्मा, रामनाथ शर्मा समेत अन्य किसानों के अनुसार खाद की किल्लत के साथ-साथ महंगी जुताई, मजदूरी, पटवन, खाद, बीज, कीटनाशक आदि के बढ़े दाम से किसान बेहाल हैं। उर्वरकों की कमी से उन्हें परेशानी हो रही है। गेहूं, आलू, दलहन, तेलहन के साथ कई अन्य नकदी फसलों का यह मुख्य समय है। रबी की खेती के लिए अधिकांश खेतों की जुताई कर ली गई है। खाद की कमी के कारण खेती में विलंब हो रहा है। दुकानों में डीएपी, मिक्सचर जैसे जरूरी उर्वरक नहीं हैं। इससे खेती प्रभावित हो रही है। किसानों ने बताया कई डीएपी के जुगाड़ में सुबह से शाम तक इस दुकान से उस दुकान भटक रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। डीएपी की आवश्यकता से कम आवंटन होने के चलते इफको के कुछ दुकानों पर एक किसान को दो से तीन बोरी खाद उपलब्ध कराई भी जा रही है, तो वहां खाद लेने वाले किसानों की उमड़ी भीड़ के सामने वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है।

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