जिले में जल संचय योजना पर विभागीय उदासीनता पड रहा भारी
-अररिया कॉलेज का जल संयचन यंत्र रखरखाव के कारण बन रहा डस्टबिन -जल संरक्षण में नगर पि
-अररिया कॉलेज का जल संयचन यंत्र रखरखाव के कारण बन रहा डस्टबिन
-जल संरक्षण में नगर परिषद सहित सरकारी कार्यालय भी भी हैं उदासीनता
राकेश मिश्रा, अररिया: जल संचय को लेकर भले ही सरकार गंभीर है लेकिन इस मामले में सरकार के नुमाइंदे यहां जरा भी गंभीर नहीं है। फलस्वरूप सरकार के जल संचयन के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिग लगाने की इस अति महत्वाकांक्षी योजना को मानों ग्रहण सा लगता जा रहा है। नगर परिषद, जिला परिषद और जिला प्रशासन सभी सरकारी कार्यालयों में जल संचयन यंत्र लगाने को लेकर उदासीन बने हुए है। इक्का- दुक्का जगह जहाँ ये यंत्र लगे हुए भी है वो रख -रखाव के कमी के कारण डस्टबीन में तब्दील होते जा रहे है। लगभग दो वर्ष पूर्व जब मुख्यमंत्री का जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत जिले में आगमन हुआ था। तब बड़े ताम- झाम के साथ अररिया कॉलेज अररिया में जल संयचन यंत्र का उदघाटन किया गया था। तभी जिला प्रशासन द्वारा बड़े- बड़े दावे भी किये गए थे। मगर मुख्यमंत्री के जाते ही धीरे- धीरे ये महत्वाकांक्षी योजना के तहत बने यंत्र डस्टबीन का रूप लेने लगे। फिलहाल हालत ये है कि फिलहाल इस यंत्र की सुध न महाविद्यालय प्रशासन ले रहा है और न ही नगर परिषद। जिला प्रशासन द्वारा भी मुख्यमंत्री के जाते ही अपने जिम्मेदारियों से इतिश्री कर ली गई है। जानकारी देते हुए अररिया महाविद्यालय के प्रधानाचार्य एस एन महतो ने बताया कि अभी महाविद्यालय में लगे जल संयचन यंत्र कार्य नही कर रहा है और विषय मे कोई दिशा- निर्देश भी प्राप्त नहीं है। बरहाल रखरखाव के कारण ये यंत्र महाविद्यालय में उपेक्षित पड़ा हुआ है।
नये संयत्र लगाने में बरती जा रही लापरवाही-सरकार ने लगातार गिरते भू जल स्तर को लेकर वर्षा जल संचयन के लिए सभी सरकारी भवनों एवं निजी भवनों के छतों पर बारिश के पानी को इकट्ठा करने की योजना बनाई थी। उद्देश्य था नालियों के सहारे बहने वाले बरसाती पानी को बर्बाद होने से बचाया जा सके साथ ही जमा पानी को पाइप के सहारे भवन के समीप हुए बोर में छोड़ा जाना था ताकि लगातार गिर रहे जलस्तर को बचाया जा सके। योजना के क्रियान्वयन को लेकर जिले में आलम यह है कि यहां निजी भवनों की बात तो दूर स्वयं सरकार के नुमाइंदे ही सरकारी आदेश को पलीता लगाने में लगे हुए हैं। बात चाहे प्रखंड क्षेत्र की हो या नगर परिषद क्षेत्र की यहां सरकार का यह आदेश अब तक कागजों पर ही सिमटा हुआ है। आदेश के साल गुजर जाने के बाद भी अब तक एक भी सरकारी कार्यालयों में इस आदेश को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। ऐसे में सरकार की यह अतिमहत्वाकांक्षी योजना यहां कैसे सफल होगी यह अब तक के हुए कार्यों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि डीएम प्रशांत कुमार सीएच के पहल पर एक दो नवनिर्मित सरकारी भवनों में इस यंत्र को लगाया गया है मगर वो ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही प्रतीत होता है।
सफाई के दावे से नगर परिषद की खुल रही पोल- राज्य के अन्य जिलों में जल संयचन यंत्र की सफाई की जिम्मेदारी नगर परिषद बखूबी संभालती है। मगर जिले में इक्के-दुक्के जहां भी जल संयचन यंत्र बने हुए है उसके प्रति नगर परिषद उदासीन बना हुआ है। हकीकत ये है कि इन सिस्टम के खराब होने से बारिश का पानी व्यर्थ बह जाता है और इस यंत्र में मिट्टी व कचरा भरा जाता है। अररिया कॉलेज में बने यंत्र की सफाई तो उदघाट्न के बाद आज तक नही हुई है जिससे ये यंत्र पूरी तरह खराब होने की कगार पर है।
क्या है जल संयचन यंत्र- वर्षा जल संचयन या रेन वाटर हार्वेस्टिग एक ऐसी प्रक्रिया है जिस में वर्षा के पानी को जरूरत की चीजों में उपयोग कर सकते हैं। वर्षा के पानी को एक निर्धारित किए हुए स्थान पर जमा करके हम वर्षा जल संचयन कर सकते हैं। इसको करने के लिए कई प्रकार के तरीके है जिनकी मदद से हम रेन वाटर हार्वेस्टिग कर सकते हैं। इन तरीकों में जल को मिट्टी तक पहुंचने (भूजल) से पहले जमा करना जरूरी होता है। इस प्रक्रिया में ना सिर्फ वर्षा जल को संचयन करना बंद की साथ ही उसे स्वच्छ बनाना भी शामिल होता है। वर्षा जल संचयन कोई आधुनिक तकनीक नहीं है यह कई वर्षों से उपयोग में लाया जा रहा है परंतु धीरे-धीरे इसमें भी नई टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ते चले जा रहा है ताकि रेन वाटर हारवेस्टिग आसानी और बेहतरीन तरीके से हो सके। सरकार द्वारा वर्षा के जल संचयन करने के लिए सभी जिलों के अधिकारी को पत्र लिखकर इस यंत्र को लगाने और रखरखाव करने के जिम्मेदारी दी गई मगर ये आदेश जिले में फिलहाल फाइलों में गुम होता नजर आ रहा है।