आवश्यक: रानीगंज के बरबन्ना से हटाया गया अतिक्रमण
वर्षो से जमींदार की जमीन पर आदिवासियों ने किया था कब्जा। आदिवासी जमीन खाली करने को नहीं ह
वर्षो से जमींदार की जमीन पर आदिवासियों ने किया था कब्जा।
आदिवासी जमीन खाली करने को नहीं है तैयार।
रानीगंज, अररिया आरएस, और बौसीं पुलिस के सहयोग से 19 एकड़ 88 डिसमिल जमीन को किया गया घेराबंदी।
संसू, रानीगंज(अररिया):रानीगंज थाना क्षेत्र के बरबन्ना पंचायत वार्ड संख्या तीन कविलासा गांव के जमींदार उमेश यादव का 19 एकड़ 88 डिसमिल जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर जमीन की घेराबंदी किया गया। शनिवार को वरीय अधिकारियों के आदेश पर रानीगंज सीओ रमन कुमार सिंह, रानीगंज थानाध्यक्ष श्यामनंदन यादव, अररिया आरएस थाना के दरोगा दिनेश प्रसाद यादव व बौसीं थाना पुलिस के सहयोग के जमीन से दूसरे पक्ष का कब्जा हटाया गया। सीओ रमन कुमार सिंह ने बताया कि जमींदार उमेश यादव का 19 एकड़ 88 डिसमिल जमीन पर कई वर्षों से आदिवासियों के द्वारा जमीन मालिक को जोत आबाद करने नहीं देता था। इसके आलोक में जमींदार ने कोर्ट में शिकायत किया था। कोर्ट के फैसले पर शनिवार को जमीन का जोत किया गया। इसके बाद इस जमीन की घेराबंदी किया गया। हालांकि जमीन को जोतने के दौरान आदिवासियों की ओर से कोई विरोध नहीं किया गया। बताते चलें कि इस जमीन पर पूर्व में कई बार मारपीट व आगलगी की घटना को अंजाम दिया गया है। ---
-- भूमि की जांच पड़ताल---
वर्षो से जमींदार की जमीन पर आदिवासियों ने किया था कब्जा।
आदिवासी जमीन खाली करने को नहीं है तैयार।
रानीगंज, अररिया आरएस, और बौसीं पुलिस के सहयोग से 19 एकड़ 88 डिसमिल जमीन को किया गया घेराबंदी।
संसू, रानीगंज(अररिया):रानीगंज थाना क्षेत्र के बरबन्ना पंचायत वार्ड संख्या तीन कविलासा गांव के जमींदार उमेश यादव का 19 एकड़ 88 डिसमिल जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर जमीन की घेराबंदी किया गया। शनिवार को वरीय अधिकारियों के आदेश पर रानीगंज सीओ रमन कुमार सिंह, रानीगंज थानाध्यक्ष श्यामनंदन यादव, अररिया आरएस थाना के दरोगा दिनेश प्रसाद यादव व बौसीं थाना पुलिस के सहयोग के जमीन से दूसरे पक्ष का कब्जा हटाया गया। सीओ रमन कुमार सिंह ने बताया कि जमींदार उमेश यादव का 19 एकड़ 88 डिसमिल जमीन पर कई वर्षों से आदिवासियों के द्वारा जमीन मालिक को जोत आबाद करने नहीं देता था। इसके आलोक में जमींदार ने कोर्ट में शिकायत किया था। कोर्ट के फैसले पर शनिवार को जमीन का जोत किया गया। इसके बाद इस जमीन की घेराबंदी किया गया। हालांकि जमीन को जोतने के दौरान आदिवासियों की ओर से कोई विरोध नहीं किया गया। बताते चलें कि इस जमीन पर पूर्व में कई बार मारपीट व आगलगी की घटना को अंजाम दिया गया है।