आज से मगफेरत का दूसरा असरा शुरू

अरयिा। रमजानुल मुबारक के 30 दिनों तक चलने वाले रोजा का पहला असरा रहमत का आज मुकम्मल हो

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 05:32 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 05:32 PM (IST)
आज से मगफेरत का दूसरा असरा शुरू
आज से मगफेरत का दूसरा असरा शुरू

अरयिा। रमजानुल मुबारक के 30 दिनों तक चलने वाले रोजा का पहला असरा रहमत का आज मुकम्मल हो गया। 11 से 20 रोजा तक अब मगफिरत का असरा शुरू हो गया। रोजा को लेकर जिले के विभिन्न उलमाओं और विभिन्न मस्जिदों के इमाम ने अपने विचार प्रकट किए है। तंजीम फलाह-ए-मिल्लत के संरक्षक मौलाना कबीरउद्दीन फराण ने बताया कि रोजा को अरबी में सौम्य कहते हैं। उन्होंने बताया कि रोजा वास्तव में अपने इंद्रियों को अपने वश में रखने का एक उत्तम साधन है। रमजान वो महीना है जिसमें अल्लाह पाक ने पवित्र कुरान उतारा जो दुनिया के तमाम इंसानों के हिदायत के लिए हैं। इस महीने में कुरान पढ़ना, सुनना और कुरानी तालीमात पर अमल करना जरूरी है। आजाद एकेडमी के शिक्षक अरशद अनवर अलिफ और अल्हाज सरवर आलम ने बताया कि जो इंसान रमजान के रोजे ईमान और अहतसाब के साथ रखेगा, उसके अगले पिछले तमाम गुनाहों को अल्लाह माफ कर देता है। अल्लाह के तमाम वादों पर भरोसा करे। अल्लाह पाक इस माहे मुबारक में की जाने वाली सभी नेकी का सवाब सत्तर गुणा बढ़ा देता है। मौलाना •ाुबैर आलम ने बताया कि रोजा कर्मो के कबूल होने की निशानियां और लक्षण हैं। रोजा से अच्छे काम करने की शक्ति प्राप्त होती है। रोजे का मकसद दरअसल अपने तमाम इंद्रियों पर काबू पाना है। नफ्स पर नियंत्रण जिसने किया, उसका दरअसल में रोजा मुकम्मल होता है। मौलाना मंसूर आलम और कारी नियाज अहमद कासमी ने बताया कि रमजान खौरात, जकात और सदके का महीना है। ये गुनाहों से माफी का महीना है। तौबा अस्तगफार कहने वालों की गलतियां माफ होती है। इस माह मुबारक में ज्यादा से ज्यादा इबादत करनी चाहिए। साथ गरीबों, मजदूरों, यतीमों और विधवाओं को ज्यादा से ज्यादा मदद करनी चाहिए। जो शख्स रोजा रखकर भी झूठ बोलता है दूसरों को ठगता है। अल्लाह उसके रोजे को कबूल नहीं करता। सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम रोजा नहीं है। इस माहे मुबारक में अल्लाह पाक अपने रोजेदार बंदों के लिए रिजक बढ़ा देता है इसलिए इस माहे मुबारक को रहमतों और बरकतों का महीना कहा जाता है। आज से रमजान के दूसरा असरा मगफेरत का शुरू हो गया है। अल्लाह पाक तमाम गुनाहों को माफ कर मगफेरत फरमाए। सभी उलमाओं ने कहा कि रमजान के सुनहरा मौका मिला है ऐसे में कोशिश करे कि अल्लाह पाक हमसब की गुनाहों को माफ कर दे।

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इनसेट

सदकतुल फितर की राशि प्रति व्यक्ति 31 रुपये निकालने का हुआ एलान

संसू, अररिया: अररिया के एतिहासिक जामा मस्जिद के इमाम और खतीब मौलाना आफताब आलम मुजाहिरी ने एलान किया कि इस वर्ष सदकतुल फितर की राशि प्रति व्यक्ति 31 रुपये निकालना है। रमजानुल मुबारक के दूसरे जुमा की नमाज के बाद मौलाना आफताब आलम ने कहा सभी लोग हर हाल में ईद की नमाज से पहले फितरा की राशि निकालकर गरीबों, मजबूरों, जरूरतमंदों,विकलांगों,यतीमों और विधवाओं के बीच प्राथमिकता के आधार पर बाटें। उन्होंने कहा गरीब और उनके बच्चे आपकी तरह ही ईद की खुशियों में शामिल हो सके इसलिए ईद की नमाज से पहले ये निर्धारित राशि निकालकर बांट दें। मौलाना आफताब आलम ने बताया कि अभी कोरोना काल चल रहा है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि सभी लोग सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करें। रमजान की जुमा के नमाज में भी काफी कम तादाद में लोग मस्जिद पहुंचकर सामाजिक दूरी के साथ साथ सभी लोगों ने मास्क लगाकर नमाज अदा की। उन्होंने लोगों से अपील किया कि कोरोना को देखते हुए सभी को गाइडलाइन का पालन करते हुए खुद भी सुरक्षित रहने और दूसरों को भी सुरक्षित रखने की बात कही। बेहतर तो ये है कि लोग अपने घरों में ही नमाज अदा करें तो बेहतर होता। मौलाना ने बताया कि आज दस रोजा मोकम्माल हो गया जिसे रहमत का असरा कहा जाता है। जो बेहतर तरीके से मोकम्मक हो गया। आज से दूसरा असरा मगफेरत का शुरू हो गया है। सभी लोग इस असरे में अल्लाह पाक से अपने और अपने परिवार के लिए मगफेरत की दुआ करें। उन्होंने लोगों से गुजारिश करते हुए कहा कि इस माहे मुबारक में ज्यादा से ज्यादा इबादत करें। साथ ही नुजुले कुरान के महीना होने के कारण अधिक से अधिक कुरान पाक की तिलावत करें। अभी अल्लाह की तरफ से अपने बंदों के लिए रहमतों और बरकतों की बारिश हो रही है इसलिए सभी लोग इबादत में मशगूल रहें।

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