संस्कृति परंपरा के समागम रामनवमी मेला पर लगा कोरोना का ग्रहण

अररिया। कोरोना महामारी ने पिछले वर्ष की तरह इस बार भी रामनवमी मेले के आयोजन पर ग्रहण

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 11:14 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 11:14 PM (IST)
संस्कृति परंपरा के समागम रामनवमी मेला पर लगा कोरोना का ग्रहण
संस्कृति परंपरा के समागम रामनवमी मेला पर लगा कोरोना का ग्रहण

अररिया। कोरोना महामारी ने पिछले वर्ष की तरह इस बार भी रामनवमी मेले के आयोजन पर ग्रहण लगा दिया। हर आम व खास से लेकर पर्व त्योहार को भी अपनी चपेट में लिए कोरोना महामारी के कारण इस बार भी फारबिसगंज के हरिपुर में ऐतिहासिक रामनवमी मेला का आयोजन नही होने जा रहा है। हालांकि मूर्ति पूजा सहित अन्य अनुष्ठान सादगीपूर्ण तरीके से करने की तैयारी कमेटी द्वारा चल रही है। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मुखिया परमानंद ऋषि ने बताया कि कोरोना को लेकर सदियों से चली आ रही रामनवमी मेला इस बार भी नही लगी है, लेकिन लोगों के आस्था को देखते हुए मूर्ति पूजा सहित अन्य अनुष्ठान कोरोना नियमों का पालन करते हुए पूरा किया जा रहा है। वहीं जगत्तर यादव ने बताया कि लगभग 250 वर्ष से यहां प्रभु श्रीराम व धर्मगिरी बाबा का पूजन रामनवमी के अवसर पर भव्य तरीके किया जाता है। ग्रामीण रामजी यादव, विभाषचंद्र मेहता ,नित्यानन्द दास, गयानंद यादव ,परमेश्वर यादव बीरबल साह ,जनार्दन यादव आदि ने बताया कि रामनवमी मेला के कारण धर्मगिरी स्थान इस क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है ,मेला के आयोजन में स्थानीय लोगों के सगा संबंधी व कुटुंबों का समागम होता रहा है। गांव की महिलाए बेटियां अपने ससुराल से मायके आने के लिए रामनवमी मेला का इंतजार करती थी तथा मेला के बहाना एक दूसरे से मिलन जुलना होता जो आपसी प्रेम व सौहार्द को मजबूत बनाते थे लेकिन दो वर्ष से कोरोना ने इस परंपरा को खत्म सा कर दिया है। वहीं बुजुर्ग जलेश्वर यादव ने बताया कि कोरोना ने परंपरा के साथ संस्कृति व कला को भी अपने आगोश में ले रखा है। रामनवमी मेला हरिपुर में ग्रामीणों के सहयोग से हर वर्ष लोक नाच जैसे विद्यापथ नाच ,आल्हा ऊदल ,सति कमला नाच का स्थानीय कलाकारों द्वारा मंचन किया जाता था। प्रसिद्ध कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु ने भी अपने किताब में धर्मगिरी स्थान के मेला व नाच का जिक्र किया है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण शायद अब वह सब इतिहास में सिमट कर रह जाएगा। वहीं मंदिर में लगभग 21 वर्ष से भगवान की प्रतिमा बनाने वाले शिवानन्द पंडित ने बताया कि दो बार से मेला नही लगने के कारण काफी दुखी महसूस करता हूं। इस वर्ष कमिटी द्वारा कोरोना महामारी के विनाश व क्षेत्र वासियों के शांतिपूर्ण जीवन को लेकर विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।

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