गवाही के लिए हाजिर नहीं होने पर कोर्ट ने लगाया अनुसंधानकर्ता को 25 हजार रुपये जुर्माना

अररिया। अररिया के पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज शशिकांत राय की अदालत ने एक छात्रा के साथ ढाई

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 07:14 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 02:40 AM (IST)
गवाही के लिए हाजिर नहीं होने पर कोर्ट ने लगाया अनुसंधानकर्ता को 25 हजार रुपये जुर्माना
गवाही के लिए हाजिर नहीं होने पर कोर्ट ने लगाया अनुसंधानकर्ता को 25 हजार रुपये जुर्माना

अररिया। अररिया के पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज शशिकांत राय की अदालत ने एक छात्रा के साथ ढाई वर्ष पूर्व दुष्कर्म के प्रयास के एक लंबित मामले में सुनवाई पूरी हुई। न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव के कारण जहां मामले के आरोपित को रिहा कर दिया। वही कोर्ट द्वारा सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद अनुसंधानकर्ता गवाही के लिए कोर्ट में हाजिर हुए। इस बात को उक्त कोर्ट ने गंभीरता से लिया है तथा इस मामले के अनुसंधानकर्ता को वेतन मद से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाते डीएलएसए के माध्यम पीड़िता को दिलाने का फैसला सुनाया है।

यह घटना छह मार्च, 2018 की है। घटना तिथि को स्कूल से छुट्टी के बाद नौ वर्षीय छात्रा अपने घर वापस लौट रही थी। आरोप लगाया गया कि इसी क्रम में मामले के आरोपित बने नरपतगंज के डुमरिया चौहान टोला निवासी मिथिलेश सिंह उर्फ मिठु सिंह ने समीप के मकई खेत में ले जाकर पीड़िता के साथ दुष्कर्म का असफल प्रयास किया।

इस मामले में पीड़िता के पिता ने नरपतगंज थाना में कांड संख्या-127/18 दर्ज कराया और मामले में नरपतगंज थाना में पदस्थापित पुअनि अनुसंधानकर्ता बनाए गए। इस मामले में पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज श्री राय की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने मामले की सुनवाई के पश्चात साक्ष्य के अभाव में आरोपित को रिहा कर दिया। साथ ही कोर्ट ने मामले के अनुसंधान पर भी सवाल खड़ा कर दिया और मामले के अनुसंधानकर्ता को कोर्ट में हाजिर होने को लेकर सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद वे गवाही के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। इस बात को कोर्ट ने गंभीरता से लिया है तथा अनुसंधानकर्ता के इस कार्य को प्रति लापरवाही एवं कर्तव्यहीनता कहा है। कोर्ट ने इस मामले की पीड़िता को पीड़ित घोषित करते मामले के अनुसंधानकर्ता के वेतन मद से 25 हजार रुपए अररिया डीएलएसए के माध्यम पीड़िता को देने का आदेश पारित किया है। कोर्ट ने कहा है कि बारंबार सूचना देने तथा कोर्ट की सारी औपचारिकताएं पूरी के बाद भी आइओ का उपस्थित नहीं होना सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश की अवहेलना है। जबकि यह मामला विशेष अधिनियम में उल्लेखित विशेष प्रावधान बच्चों से संबंधित है।

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