21 अगस्त 1942 को कुआड़ी ओपी पर लहराया था तिरंगा
अररिया। अंग्रेजों के दांत खट्टे करने में सीमावर्ती क्षेत्र के रणबाकुरों की भी अहम भूमिका रह
अररिया। अंग्रेजों के दांत खट्टे करने में सीमावर्ती क्षेत्र के रणबाकुरों की भी अहम भूमिका रही है। सीमावर्ती क्षेत्र के आजादी के दीवानों ने अंग्रेजी गोलियों की परवाह किये बगैर 21 अगस्त 1942 को कुआड़ी के ओपी में तिरंगा झंडा लहराया था। जबकि इस घटना में कुआड़ी, कुर्साकांटा, बखरी, परवत्ता, तीरा खारदह, डैनिया, उफरैल के लोग भी जख्मी हुए थे। इस मामले कई लोग जेल गये तथा कुछ लोग बगल के नेपाल सीमापार कर भूमिगत हो गये। अंग्रेजी शासन व्यवस्था में कुआड़ी व कुर्साकांटा के देशी शराब की दुकान, डाकघर, बड़ी व छोटी कचहरी, पुलिस स्टेशन कुआड़ी ओपी स्वाधिनता के सिपाहियों के निशाने पर थे। जब पूरे देश में सन 1942 की अगस्त क्रांति की लहर परवान पर थी तो 21 अगस्त को कुर्साकांटा व कुआड़ी में रामेश्वर यादव, कमला नंद विश्वास, विश्वनाथ गुप्ता, सीता राम गुप्ता, रामाश्रय हलुआई, रघुनंदन भगत, गोधूलि ठाकुर, हरिलाल झा, नागेश्वर झा, अनुपलाल पासवान, रामचन्द्र गुप्ता आदि लोगों की अगुआई वाली सेवा ने सबसे पहले कुआड़ी व कुर्साकांटा के डाकघर व देशी शराब की दुकान में तोड़फोड़ कर अगजनी की घटना को अंजाम दिया था। इसके बाद सेनानियों का कार्य स्थल मोती लाल राष्ट्रीय पाठशाला (स्मारक भवन) में जमा होकर पुन: स्वतंत्रता सेनानियों ने थाना लुटने व जलाने की योजना बना ही रहे थे कि इसकी भनक पुलिस को लग गई। मौके पर पहुंचकर पुलिस का जत्था रामेश्वर हलुआई, रामेश्वर यादव, विश्वनाथ गुप्ता, कमलानंद विश्वास, सीता राम गुप्ता, वासो साह, भगवान लाल साह, कुशेश्वर पासवान शास्त्री समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर हवालत में डाल दिया। नेतृत्व कर्ताओं को बंद कर अंग्रेज प्रशासन निश्चित हो गई कि अब कुआड़ी व कुर्साकांटा में कोई घटना नही होगी। उधर उस घटना के बाद स्वतंत्रता के सैकड़ों दीवानों ने आग बबुला हो गये और साथियों को छुड़ाने के लिए थानों की ओर कूच कर गए। आक्रोशित लोगों बड़ी संख्या में कुआड़ी थाना पहुंचे। थाने के जमादार राम नगीना पांडेय ने पुलिस बल के साथ भीड़ को रोकने का प्रयास किया परंतु विफल रहे। आक्रोशित भीड ने रामनगीना पांडेय जमादार को उठा के जमीन पर पटक दिया तथा कार्यालय व हवालत की चाभी छीन कर साथियों को छुड़ाया। इसी बीच कमलानंद विश्वास, रामेश्वर यादव ने कुछ साथियों के साथ थाना के छत पर चढ़कर तिरंगा फहरा दिया। तिरंगा फहराने व हवालात से साथियों को छुड़ाने तथा जमादार को पटक कर चाबी छीनने को लेकर देख अंग्रेजी पुलिस ने छिपकर आजादी के दीवानों पर गोलियों की बौछार कर दी। दर्जनों लोग घायल हो गये। चारों तरफ अफरा तफरी मच गई । कई लोग बगल के नेपाल आकर भूमिगत हो गये। इसके बाद अनेकों लोग पकड़े गये। दीवानों को कुछ देर के लिए शांति मिली कि आखिर तिरंगा लहरा दिया गया।