जिले में ट्रामा सेंटर के आभाव में मरीजों की जाती है जान

राकेश मिश्रा अररिया केंद्र व राज्य सरकार की ओर से स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाने के लि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 08:14 PM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 08:20 PM (IST)
जिले में ट्रामा सेंटर के आभाव में मरीजों की जाती है जान
जिले में ट्रामा सेंटर के आभाव में मरीजों की जाती है जान

राकेश मिश्रा, अररिया: केंद्र व राज्य सरकार की ओर से स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। योजना के माध्यम से अस्पताल भवन निर्माण से लेकर रोगियों के इलाज की समुचित सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। शहर व ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्र खोले जा रहे हैं। स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन अबतक जिले में ट्रामा सेंटर की व्यवस्था नहीं की गई है।

बता दे की जिले के एक दर्जन से अधिक अस्पताल हैं, जिसमें सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल और प्रखंड के अस्पताल शामिल हैं। किसी भी अस्पताल में फिलहाल ट्रामा सेंटर की सुविधा उपलब्ध नही है। आये दिन सड़क दुर्घटना होती हैं। जिले के अस्पतालों में प्राथमिक उपचार कर रेफर कर दिया जाता है। ट्रामा सेंटर के अभाव कई मरीजों को तो अपने जान से भी हाथ धोना पड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी ट्रामा सेंटर निर्माण का नियम गौरतलब है कि विभागीय नियमानुसार राष्ट्रीय राजमार्ग व स्ट्रेट हाइवे वाले इलाके में ट्रामा सेंटर खोलने का प्रावधान है। सड़क दुर्घटना व आकस्मिक घटना होने पर घायल होने वाले रोगियों का सेंटर में इलाज होना है। अररिया जिले से राष्ट्रीय राजमार्ग 57 सहित अन्य स्टेट हाइवे की सड़के गुजरती है। इन सड़कों पर 24 घंटे छोटे-बड़े वाहनों का परिचालन होता है। आए दिन सड़क दुर्घटना होती है। और कई लोग दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं। लेकिन ऐसे रोगियों के इलाज के लिए अबतक जिले में ट्रामा सेंटर की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके कारण घायल रोगियों को इलाज की समुचित सुविधा नहीं मिल पा रही है। रोगियों को इलाज कराने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है और अन्य जिलों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

दुर्घटना में हाथ-पैर टूटने पर भी इलाज की नही है व्यवस्था जिले का दुर्भाग्य ही है कि 35 लाख की आबादी वाले जिले में अगर कोई व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त होता है और उसकी कोई हड्डी टूट जाती है तो जिले में मौजूद सरकारी अस्पतालों में इलाज की कोई व्यव्यस्था नही है। दरअसल सदर अस्पताल सहित किसी भी प्रखंड अस्पताल में फिलहाल एक भी हड्डी रोग विशेषज्ञ मौजूद नही है। गम्भीर दुर्घटना ग्रस्त लोगों को केवल प्राथमिक उपचार कर अन्य जिलों में रेफर कर दिया जाता है। या फिर मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कराकर आर्थिक दोहन के शिकार होते है। फारबिसगंज में प्रस्तावित है ट्रामा सेंटर- हालांकि जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा जिले में ट्रामा सेंटर निर्माण को लेकर अथक प्रयास किया जा रहा है। पिछले एक साल से फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल में ट्रामा सेंटर निर्माण का कार्य प्रस्तावित है। जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा बार- बार अनुरोध करने के बाद हाल में ही राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा फारबिसगंज में ट्रामा सेंटर निर्माण की स्वीकृति दी गई है। जल्द ही निर्माण कार्य आरंभ होने के कयास भी लगाए जा रहे है।

सड़क पर प्रतिदिन होते हैं हादसे अररिया में एनएच 57 और कई स्टेट हाइवे है। इन पर प्रतिदिन कोई न कोई हादसे होते है। दर्जनों जानें जाती है। एनएच कही- कही खुली है। जिसके माध्यम से लोग एनएच को क्रास करते है। जिले में कई खतरनाक स्पाट है। जिसपर लगातार बढ़ते हादसों को देखकर डीएम प्रशांत कुमार सीएच द्वारा संज्ञान लिया गया और ऐसे कई क्रॉसिग को बंद करा दिया गया। इसके बावजूद घटनाएं लगातार होती है। तेज रफ्तार मौत की सौगात लाती है। कुछ लोग जो बचने की जदोजहद कर रहे होते है वो जिले में ट्रामा सेंटर न होने के कारण असमय काल के गाल में समा जाते है।

कोट जिले के फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल में ट्रामा सेंटर प्रस्तावित है। विभाग को कई बार पत्राचार किया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही निर्माण कार्य आरंभ किया जायेगा और जिलेवासियों को ट्रामा सेंटर की आधुनिक सुविधा उपलब्ध हो पायेगी। - डा. एमपी गुप्ता- सीएस, अररिया

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