कचरा निष्पादन को लेकर सजग है सदर अस्पताल : प्रबंधक

अररिया। पॉलीथिन प्लास्टिक मेटल व कागज आदि जैसे कचरे का सही तरह से निष्पादन न करना एक

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 11:47 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 11:47 PM (IST)
कचरा निष्पादन को लेकर सजग है सदर अस्पताल : प्रबंधक
कचरा निष्पादन को लेकर सजग है सदर अस्पताल : प्रबंधक

अररिया। पॉलीथिन, प्लास्टिक, मेटल व कागज आदि जैसे कचरे का सही तरह से निष्पादन न करना एक बहुत बड़ी समस्या है। लोग इसका इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन इसके सुरक्षित निष्पादन पर ध्यान नहीं देते। ये वर्तमान पर्यावरण, मानव जीवन, पशु पक्षी और आने वाली पीढि़यों के लिए भी काफी खतरनाक है। यह कहना है सदर अस्पताल के प्रबंधक विकास आंनद का। वह शुक्रवार को दैनिक जागरण से कचरा प्रबंधन विषय पर अपने विचार साझा कर रहे थे।

इस दौरान प्रबंधक ने कहा कि जो भी व्यक्ति कचरा उत्पन्न कर रहा है। उसके प्रबंधन की जिम्मेदारी भी वह खुद ले। यदि हमें अपने कचरे को सही से प्रबंधित करना आ जाए तो हम शून्य कचरा से जुड़ी लाइफ स्टाइल जी सकते हैं। प्रबंधक ने कहा कि सदर अस्पताल में अपने पद पर योगदान देने के साथ ही यहां लगातार बढ़ते कचरा की समस्या से वो तनाव में रहते थे और इसके निष्पादन के लिए प्रयासरत रहते है। यहां अधिकांश लोग हर जगह बस यही चर्चा करते है कि इतना कचरा उत्पन्न हो रहा है। यहां कुड़े के ढेर लग गए हैं, लैंडफिल भर रहे हैं। लेकिन हर कोई समस्या की बात कर रहा है। किसी का इसके हल से कोई सरोकार नहीं है। इसलिए जरूरी है कि हमने जो फैसला लिया है उसके प्रति एक जिम्मेदारी हमें महसूस हो। प्रबंधक ने बताया कि अधिकांश लोग सदर अस्पताल इलाज कराने तो आते है मगर दवाई, रैपर और अन्य चीज को इधर उधर फेंक देते है। जिससे अन्य लोगो की भी बीमार होने की आशंका होती है। लोगो को समझना होगा कि इधर उधर कचरा फेकना भी बीमारी का एक मुख्य कारण है। 13 कर्मियों पर सफाई की जिम्मेदारी प्रबंधक ने बताया कि फैलती गंदगी को देखते हुए सफाई कर्मियों की बढ़ोतरी को लेकर वर्ष 2019 में स्वास्थ्य विभाग को पत्र भेजा गया। अनुमति मिलने के बाद 10 सफाई कर्मी की नियुक्ति भी की गई। वर्तमान में तेरह सफाई कर्मी कार्यरत है मगर फिर भी ये नाकाफी है। अभी भी लोग इधर उधर कचरा फेकते है, जो कि काफी हानिकारक है। सदर अस्पताल में इधर उधर के गंदगी से तंग आकर सदर अस्पताल के हर जगह पर बोर्ड बैनर चिपकाए गए है और आने वाले लोगो से कचरा न फैलाने का अनुरोध किया गया है। हालांकि इसके बाद काफी सुधार हुआ है। जैविक कचरा सबसे हानिकारक प्रबंधक ने बताया कि जैविक कचरा सभी कचरों से सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग से जुड़े हर किसी को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है हालांकि जैविक कचरा के सुरक्षित निष्पादन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी सक्रियता बरती जाती है। इससे कई हानिकारक रोग हो सकते है जैविक कचरे के निष्पादन में की जा रही लापरवाही स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है। खुले आसमान के नीचे इन्हें जलाने से निकलने वाला धुंआ श्वांस, त्वचा व फेफड़े से संबंधित बीमारियों की वजह बन सकता है। कई बार मवेशी भी जैविक कचरे का सेवन कर लेते है। जो की काफी हानिकारक है। इसके अलावा एक्सपायरी दवाओं को जलाने से भी काफी हानिकारक प्रभाव पड़ सकते है। इससे सांस की गम्भीर समस्या हो सकती है।

प्लास्टिक पर बैन को अमल में लाना जरूरी प्रबंधक आनंद ने बताया कि कचरा प्रबंधन के लिए सरकारी तंत्र, नगर परिषद के अलावा आम लोग को खुद भी जागरूक होना पड़ेगा तभी इस पर विजय पाया जा सकता है। हमें कचरे को इधर उधर फेंकने के बजाय उसके रीयूज पर फोकस करना चाहिए। इसके अलावा प्लास्टिक पर सरकार द्वारा बैन तो लगा दिया गया मगर फिर भी ये चोरी- छिपे बिक रहा है। इसका मुख्य कारण है कि आम लोग इसका प्रयोग कर रहे है। सरकार द्वारा किया गया बैन तभी सार्थक हो सकता है जब हम इसका प्रयोग करना छोड़ दे। हमें समझना होगा कि प्लास्टिक जैसे चीजों का प्रयोग कर हम खुद को सिर्फ बीमार ही नही कर रहे है बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी एक खराब पर्यावरण सुपुर्द कर रहे है।

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