अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर विशेष: बुद्धिजीवियों ने परिवार को सामाजिक व्यवस्था का बुनियाद बताया

उज्ज्वल चौधरी फारबिसगंज (अररिया) परिवार एवं इसके सदस्यों की नैसर्गिक बंधन को अटूट रखने

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 09:57 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 09:57 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर विशेष: बुद्धिजीवियों ने परिवार को सामाजिक व्यवस्था का बुनियाद बताया
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर विशेष: बुद्धिजीवियों ने परिवार को सामाजिक व्यवस्था का बुनियाद बताया

उज्ज्वल चौधरी, फारबिसगंज (अररिया): परिवार एवं इसके सदस्यों की नैसर्गिक बंधन को अटूट रखने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। इस उपलक्ष्य पर शुक्रवार को संपर्क साधने पर इंद्रधनुष साहित्य परिषद्, फारबिसगंज के साहित्यकारों ने अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।

बाल साहित्यकार हेमंत यादव शशि ने बताया कि

भारतीय संस्कृति में परिवार को बहुत अहम बताया गया है। कहने को यूं तो परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है मगर इसकी बुनियाद पर ही पूरी सामाजिक व्यवस्था की भवन खड़ी है। इस तरह परिवार जीवन का बुनियाद है, जीने का आधार है।

पूर्व प्रधानाध्यापक सुरेंद्र प्रसाद मंडल ने कहा कि परिवार को वैश्विक समुदाय का एक लघु रूप कहा जाता है, जो स्नेह और सहभागिता की मानवीय समझ को पोषित करने वाला परिवेश तैयार करती है।

वहीं हर्ष नारायण दास (प्रधानाध्यापक) ने बताया कि हमारे देश की पारिवारिक सु²ढ़ता दुनिया भर में मशहूर है। कहा आज भी लगभग चालीस प्रतिशत भारतीय परिवार संयुक्त परिवार की तरह रह रहे हैं और संस्कृति एवं संबंध को सहेजने का काम कर रहे हैं। इससे परिवार में एक दूसरे के प्रति विश्वास और भी बढ़ रहा है।

इस संदर्भ में प्रोफेसर सुधीर झा सागर एवं अरविद ठाकुर का मानना है कि परिवार हमारे जीवन का सर्वोत्तम पाठशाला है। परिवार जैसी सामाजिक संस्था बुजुर्गों के लिए सुरक्षा कवच के समान, युवाओं के लिए मार्गदर्शक और बच्चों के लिए संस्कार पाठशाला है। विशेष कर कोरोना आपदा के दौर में परिवार जनों द्वारा एक साथ समय बिताने और हंसने-मुस्कुराने से तनाव तो कम हो रहा है।

जबकि संस्था के सचिव विनोद कुमार तिवारी की मानें तो नमक रोटी खाकर भी शांति पूर्वक रहने वाला, जीने वाला परिवार भी आदर्श परिवार कहलाता है। क्योंकि परिवार में शांति है तभी सुखमय जीवन सार्थक है अन्यथा घर परिवार नरक की तरह लगता है।

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