मुनाफाखोर कर रहे सेहत का सौदा, त्योहारों में सतर्क हो करें खरीदारी

संवाद सूत्र अररिया दीपावली को लेकर बाजार सजने लगे हैं। खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ने के साथ

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 09:49 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 09:49 PM (IST)
मुनाफाखोर कर रहे सेहत का सौदा, त्योहारों में सतर्क हो करें खरीदारी
मुनाफाखोर कर रहे सेहत का सौदा, त्योहारों में सतर्क हो करें खरीदारी

संवाद सूत्र, अररिया : दीपावली को लेकर बाजार सजने लगे हैं। खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ने के साथ ही मुनाफाखोर कारोबारी भी उपभोक्ताओं की सेहत का सौदा करने में जुट गए हैं। यह न केवल मुनाफे के चक्कर में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को दरकिनार कर रहे हैं बल्कि कैंसर जैसी बीमारी की जद में भी ढकेल रहे हैं। खाद्य विभाग की ओर से भरे गए सैंपलों की जांच रिपोर्ट तो यही दर्शा रही है। इसके बावजूद ऐसे मुनाफाखोरों पर कड़ी कार्रवाई सिर्फ कवायदों में सिमटी हुई है। जिले में बड़े पैमाने पर मिलावटी खाद्य पदार्थों का धंधा चल रहा है। खासकर, सरसों तेल, मसाला, दाल, बेसन व अन्य दैनिक रोजमर्रा के उपभोग के सामानों में मिलावट आम होती जा रही है। दीपावली पर्व पर मिलावटखोर सक्रिय हो रहे हैं। मिलावटी सामानों को बाजारों में बिक्री के लिए ताना-बाना बुनने लगे हैं। पूर्व के सैंपलों की जांच में हुए खुलासे इसकी गवाही दे रहे हैं। अब मिलावटी खाद्य पदार्थ के जहर से उपभोक्ताओं के सेहत पर पड़ने वाले कहर से बचाना खाद्य विभाग के लिए चुनौती से कम नहीं होगा।

दो बूंद केमिकल से पांच लीटर सरसों तेल तैयार मुनाफाखोर पाम आयल को सरसों का रूप देने के लिए एलाइड आइसो थायो साइनेट नामक केमिकल का प्रयोग करते हैं। सिर्फ दो बूंद केमिकल से पांच किलो सरसों का तेल तैयार कर लेते हैं। वैसा ही रंग, झाग व महक, लेकिन सेवन से किडनी, आंत में संक्रमण के साथ कैंसर होने की संभावना रहती है।

मिठाई के ऊपर अक्सर वर्क चढ़ाया जाता है। दुकानदार चांदी का वर्क बताकर अधिक मूल्य वसूलते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यह वर्क एल्युमिनियम का होता है, जो न केवल घातक बल्कि जानलेवा बीमारियों का मुख्य वाहक है। दीपावली पर यह कारोबार और बढ़ गया है। बाजार में मिलावटी खाद्य पदार्थों की भरमार है। इनकी रोकथाम के लिए बना सिस्टम इसे रोकने में अक्षम साबित हो रहा है। रोकथाम के लिए बना कानून भी बेअसर हैं। मिलावटी सामानों के कारोबारी पकड़े भी जाते हैं तो कार्रवाई की जगह वह कुछ दिनों में छूट जाते हैं। वैसे तो आम दिनों में भी लोग खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण का शिकार होते हैं लेकिन पर्व पर यह कारोबार और बढ़ जाता है। मिलावट से हो सकते है कैंसर के शिकार- शहर के जाने माने चिकित्सक डा. गोपाल कुमार झा बताते है कि खाद्य में मिलावट से अंधापन, लकवा, लीवर में गड़बड़ी तथा ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। मसाले में मिट्टी, लकड़ी का बुरादा मिला दिया जाता है। यह आहार तंत्र के रोग, दांत व आंत प्रभावित को प्रभावित करता है। चने व अरहर की दाल में खेसारी की दाल मिला मिला दी जाती है। इससे लैथीरस होता है। सरसों के तेल में आर्जिमोन तेल, ऐपिडेमिक ड्रॉफ्सी मिला दिया जाता जो आहार तंत्र को क्षति पहुंचाता है। बेसन व हल्दी में पीला रंग, मैटानिल मिलाया जाता है यह प्रजनन तंत्र, पाचन तंत्र, यकृत व गुर्दे को प्रभावित करता है। लाल मिर्च में रोडामाइन मिलाया जाता है यह यकृत, गुर्दे को हानि पहुंचाता है। वर्क में एल्यूमिनियम मिला जाता है इससे पेट संबंधित बीमारी होती है। दूध में पानी, यूरिया व वाशिग पाउडर मिलाया जाता है। इससे कई तरह की बीमारियां होती है। घी में चर्बी मिलाई जाती है। इससे हार्ट संबंधी बीमारी होती है। इतना ही नही, लोग कैंसर तक के शिकार हो सकते हैं। कैसे करें मिलावट की पहचान- खाद विभाग की मानें तो खाद्य सामग्री खरीदने वक्त सबसे पहली कोशिश हो कि खुला सामान नहीं खरीदें। खरीदे गए सामानों के असली और नकली की पहचान की जा सकती है। पिसा हुआ मसाला व सरसों के तेल में घुलनशील कोलतार रंग की मिलावट जानने के लिए एक परखनली में घोलक ईथर और सांद्र हाइड्रोक्लोरिक की कुछ बूंद डालकर मिश्रण को हिलाएं। अगर अम्ल की निचली परत गुलाबी से लाल हो जाए तो समझिए उस मसाले में कोलतार रंग की मिलावट की गई है। हल्दी की मिलावट जानने के लिए परखनली में थोड़ी सी मात्रा में पानी डालकर थोड़ी सी पीसी हल्दी डालकर उसमें सांद्र हाइड्रोल्कोरिक अम्ल की कुछ बूंद मिलाये। अगर बुलबुले उठने लगे तो समझिए हल्दी में मिलावट की गई है। घी में टिन्चर आयोडीन मिलाने से यदि यह रंग बदलता है तो उसमें मिलावट है। दूध में टिन्चर आयोडीन की कुछ बूंदे डालिये। जैसे ही दूध का रंग गहरा नीला या काला हो जाए तो समझिए दूध में मिलावट है। शुद्ध दूध का रंग कॉफी जैसा होगा। डालडा की जांच के लिए परखनली में थोड़ा डालडा लेकर उसमें कपड़े धोने का सोडा मिलाए। यदि झाग निकले तो समझे कि यह सस्ते तेल का मिश्रण है। पिसी लाल मिर्च में मिलावट का पता लगाने के लिए एक गिलास पानी में चाय की चम्मच भर पिसी लाल मिर्च डाले। लाल मिर्च पानी के ऊपर तैरती रहेगी। जबकि मिलावट तल में बैठ जायेगी। मिलावट करने पर है सख्त प्रावधान- सीएस डा. एमपी गुप्ता ने बताया कि जहां तक मेरी जानकारी है। होटल, कैंटीन, रेस्टोरेंट, केंटरर्स, बैंक्वेट हाल, फूड अरेजमेंट, फूड वेंडर्स, हास्टल, डेयरी, पान मसाला, बेकरी एवं पेय पदार्थों को लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बिना लाइसेंस संचालित फर्मों के खिलाफ एक लाख रुपये तक जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। घटिया स्तर की खाद्य सामग्री बेचने पर तीन लाख रुपये, गलत भ्रम पैदा करने वाले विज्ञापन देने पर दस लाख रुपये, खाद्य विभाग का पालन नहीं करने पर दो लाख रुपये, जुर्माना अदा नहीं करने पर तीन साल की कैद, खाद्य सुरक्षा कानून का उल्लंघन करने पर पांच लाख रुपये जुर्माना और छह साल की सजा, बिना लाइसेंस खाद्य वस्तुओं का व्यापार करने पर छह महीने की कैद तथा पांच लाख रुपये का जुर्माना है, लेकिन इतने सख्त कानून के बावजूद मिलावट का जहर घोला जा रहा है, जो काफी खतरनाक है। हम लोगों को त्योहारों में सतर्क रहकर खरीदारी करनी चाहिए।

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