अभियान: जन सहयोग, प्रशिक्षण व सरकारी सक्रियता ही कचरा प्रबंधन का अचूक उपाय: एडीएम

अररिया। शहरों में आज दुनिया की करीब आधी आबादी बसती है। भविष्य में शहरों की संख्या तथा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 11:18 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 06:14 AM (IST)
अभियान: जन सहयोग, प्रशिक्षण व सरकारी सक्रियता ही कचरा प्रबंधन का अचूक उपाय: एडीएम
अभियान: जन सहयोग, प्रशिक्षण व सरकारी सक्रियता ही कचरा प्रबंधन का अचूक उपाय: एडीएम

अररिया। शहरों में आज दुनिया की करीब आधी आबादी बसती है। भविष्य में शहरों की संख्या तथा वहां बसती आबादी में वृद्धि होती जाएगी। ऐसा कहना गलत नहीं होगा। शहरी जिदगी आज की जरूरत है, मजबूरी है और दिन-प्रतिदिन बढ़ती हुई आबादी की नियति भी है । इस दिशा को बदलना हमारे लिए संभव नहीं है। लेकिन हम इस अभिशाप को वरदान में या आंशिक वरदान या कम-से-कम सहने लायक, जीने लायक, परिवेश में तो बदल सकते है। हमें शहरों में अच्छे जीवन के तरीके निकालने होंगे । उक्त बातें एडीएम अनिल कुमार ठाकुर ने कही। वे बुधवार को दैनिक जागरण के अभियान कचरा प्रबंधन विषय पर अपने विचार साझा कर रहे थे। उन्होंने कहा शहरों में कचरा बढ़ता जा रहा है, पर इसके निस्तारण की सुविधाएं नहीं बढ़ रही हैं । स्वायत्तशासी संस्थाएं और उनमें बैठे लोग इसकी ज्वलंत जरूरतों के प्रति आंखें मूंदे बैठे हैं। कचरा प्रबंधन शहरी जीवन के लिए एक बहुत बड़ी और विकराल चुनौती है । कचरे से उत्पन्न समस्याएं बढ़ती जा रही हैं और शहरों को शीघ्रता से नरक में परिवर्तित कर रही हैं । लेकिन अफसोस की बात है कि कचरे को सीमित करने, उसको शीघ्रता से स्थानान्तरित करने, नष्ट करने, या रिसाइकलिग करने, उनका उपयोग करने की तरफ समुचित चिता नहीं दिखाई जा रही है । बिना जन सहयोग, जन प्रशिक्षण और सरकारी सक्रियता के कोई कचरा प्रबंधन संभव ही नहीं है । अगर हम ये सोचते है कि ये काम नगर परिषद, प्रशासन और अन्य संस्थाओं का है तो ये हमारी सबसे बड़ी भूल है। अगर हमें बेहतर वातावरण चाहिए तो हरेक व्यक्ति को भागीदारी सुनिश्चित करनी पड़ेगी। इस दौरान एडीएम ने कहा कि दुनिया भर में अभिनव प्रयोग हो रहे हैं क्योंकि यह समस्या एक शहर या एक देश या एक महाद्वीप की नहीं है । इन प्रयोगों और अनुभवों का लाभ उठाने की हमें कोशिश करनी चाहिए।

-आम आवाम की भागीदारी सुनिश्चित करना अहम- एडीएम ने बताया कि जिले में पूर्व की स्थिति कुछ और थी मगर वर्तमान में काफी परिवर्तन आया है। आज नगर परिषद द्वारा शहर में घर- घर कचरा उठाव किया जा रहा है। कचरा के निस्तारण के लिए भी प्रयास किये जा रहे है। मगर इस प्रयास में और ते•ाी लाने की जरूरत है। हमें कचरे को डंप करने के जगह उसे रीयूज के तरीके खोजने होंगे इसमें जन भागीदारी भी काफी महत्वपूर्ण है। इसके बिना कचरा प्रबंधन के विषय में सोचना कोरी कल्पना मात्र है। विषय की गंभीरता और जटिलता को आम नागरिक तक पहुंचाना और उनका सहयोग प्राप्त करना बहुत दुरह काम है पर इसके सिवाय कोई रास्ता भी नहीं है । कर्मचारी और नागरिक सभी सड़क, गली में कचरा फेंकते हैं, या फिर नालियों में डालते हैं । नालियां अवरूद्ध होती हैं तथा इससे केवल पानी ही बाहर नहीं फैलता, स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन जाता है । जहां-जहां इस बारे में समन्वय हुआ है वहां स्थितियां बदली हैं, शहरी जिदगी में सुधार हुआ है । इसी तरह के संकल्पों से कई जिले ने अपनी सूरत बदली है । अररिया की तस्वीर भी बदल रही है । गंदगी के ढेर कई जगहों में कम होते जा रहे हैं । जरूरत है राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिबद्धता की और समस्याओं को समझने की और निर्णयों को साकार करने की ।

चलाया जाएगा जागरूकता अभियान- एडीएम ने बताया की शहर की अधिकांश आबादी अब कचरा को संग्रह कर नगर परिषद को उपलब्ध कराती है मगर अभी भी गांव आदि क्षेत्र में ये सुविधा नही है। इसके अलावा कई लोग अब भी सड़कों पर कचरा फेकने और गंदा करने का कार्य करते है। इसके लिए प्रशासनिक सख्ती और जागरूकता के लिए जल्द ही एक कमेटी के गठन किया जाएगा। जो प्रतिदिन के हिसाब से सड़कों पर नजर रखेगी। और ऐसे लोगों को जागरूक करने का कार्य करेगी इसके अलावा निरंतर माइकिग कराकर कचरे से होने वाले दुष्प्रभाव और इसके रीयूज के विषय मे भी आम लोगों को जागरूक किया जाएगा।

जन सहयोग सबसे अधिक जरूरी- एडीएम ने शहरवासियों से अपील करते हुए कहा कि कचरा प्रबंधन के लिए जनभागीदारी सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी लोग कचरा प्रबंधन पर ध्यान देकर एक बेहतर वातावरण का निर्माण करें। प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें। कचरा को वेस्ट करने के जगह रीयूज का प्रयास करें।

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