अररिया के लोगों के दिलों में बसे हैं राहत इंदौरी
अररिया । जब मैं मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना लहू से मेरी पेशानी पे हिदुस्तान लिख देन
अररिया । जब मैं मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिदुस्तान लिख देना। साखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं है हम, आंधियों से कह दो अपनी औकात मे रहे। ये विश्व विख्यात शायर डॉ. राहत इंदौरी के कुछ ऐसे शेर हैं जिसने पूरी दुनिया मे मक्बुलियत पाई। चांद तारों के बीच चमचमाता ये बुलंद, बेखौफ, बेबाक, जिंदादिल अल्फाज की शायरी करने वाला शायर डॉ. राहत इंदौरी हम सब को अलविदा कर इस दुनिया से चले गए। 70 वर्षिय राहत कुरैशी उर्फ राहत इंदौरी की मौत मंगलवार की शाम इलाज के दौरान इंदौर के अस्पताल में हृदय गति रुकने से हो गई। एक दिन पहले उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। वो कई अन्य बीमारी से पीड़ित थे और बीमार भी चल रहे थे। उनकी मौत की खबर सीमांचल के अररिया के लोगों में भी मायूसी छा गई। उनकी मौत की खबर से उनके चाहने वालों के बीच काफी रंज व गम का माहौल है। विदित हो कि दैनिक जागरण द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे 2017 में वह अररिया आए थे। आज भी उनकी शायरी की चर्चा अररिया के साहित्य जगत में होते रहती है। अररिया नेता जी सुभाष स्टेडियम मे पढ़ी गई कुछ शेर को लोग आज भी नही भूल पाए है। उन्होंने चुनाव पर अपने शेर मे कहा था कि सरहदों पर बहुत तनाव है क्या ,कुछ पता तो करो चुनाव है क्या ।उन्होंने कहा था कि ये कैचियां हमें उड़ने से खाक रोकेंगी ,मैं परों से नही हौसलों से उड़ता हूं ।उनका एक शेर और काफी मशहूर है कि सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी मे ,किसी के बाप का हिदुस्तान थोड़े ही है ।ऐसे न जाने कितने हजारों कलाम है जो सिर्फ हिदुस्तान ही नही पूरी दुनिया मे मकबूल हुआ । एक शेर इंदौरी साहब अकसर पढ़ते थे कि कश्ती तेरा नसीब चमकदार हो गया, इस पार के थपेरे ने उस पार कर दिया ।दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो है, ऐ मौत तुने मुझे आज जमींदार कर दिया ।उनकी मौत पर अररिया मे भी अदबी हल्के में शोक व्याप्त है। अररिया के नामचीन शायर व कवि जुबेरुल हसन गाफिल, हारून रशिद गाफिल ,अरशद अनवर अलिफ, रहबान अली राकेश,दीन रजा अखतर, रजी अहमद तन्हा, रफी हैदर अंजूम, बसंत कुमार राय, डॉ. भुवनेश, ठाकुर शंकर प्रसाद, जिप अध्यक्ष अफताब अजीम, पूर्व जिप अध्यक्ष शगुफ्ता अजीम, पूर्व विधायक जाकिर अनवर, पप्पू खां, आर•ाू कलिम, जकियूल होदा, अब्दुस सलाम, अब्दुल गनी, मुफ्ती इनामुल बारी, मौलाना शाहिद आदिल मौलाना मोसव्वीर आलम नदवी समेत सैकडों लोगों ने अपने शोक मे कहा की सदी का एक बड़ा और विश्व का सबसे लोकप्रिय शायर हमलोगों के बीच अब नही रहे। जिसकी भरपाई बहुत मुश्किल है ।