छोटे चुनाव के बड़े वादे, उम्मीदवार याचक तो वोटर मालिक की भूमिका में आ रहे नजर

अररिया। इस बार के पंचायत चुनाव सचमुच हर मायने में खास है। हर पद पर गिद्ध की नजर बनाए रखने क

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 07:40 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 07:40 PM (IST)
छोटे चुनाव के बड़े वादे, उम्मीदवार याचक तो वोटर मालिक की भूमिका में आ रहे नजर
छोटे चुनाव के बड़े वादे, उम्मीदवार याचक तो वोटर मालिक की भूमिका में आ रहे नजर

अररिया। इस बार के पंचायत चुनाव सचमुच हर मायने में खास है। हर पद पर गिद्ध की नजर बनाए रखने को लेकर चुनाव हाईटेक बना हुआ है। निवर्तमान प्रत्याशियों के साथ संभावित प्रत्याशी भी जीतोड़ मेहनत कर रहे है। नई प्रत्याशियों की ऊर्जा देखकर पुराने धुरंधर भी अपने को कम नही आंक रहे हैं। मतदाताओं को रिझाने के लिए तरह-तरह के लोक लुभावन वादे कर रहे हैं। कोई आदर्श पंचायत बनाने की बात कर रहा तो कोई महिलाओं की बेहतर शिक्षा के लिए संकल्प लें रहा है। उधर भारतीय मतदाता कुछ पल के लिए नए प्रत्याशियों पर विश्वास करते भी देखें जा रहे हैं। लेकिन पुराने कुर्सी पर काबिज रहने वाले उम्मीदवार पर उन्हें फिर से भरोसा नही हो रहा है। फिजां में चुनावी वादों, घोषणाओं और नारों के बोल गूंज रहे हैं। कल तक जो चेहरे बेगाने लग रहे थे, आज वे अपने लग रहे हैं। मतदाता भगवान व उम्मीदवार याचक की भूमिका में नजर आ रहे हैं। उम्मीदवार अपने वादों व घोषणाओं के साथ मतदाता के समक्ष हाजिरी लगा रहे हैं। सुबह से लेकर देर रात तक लोक लुभावने वादों के साथ जनसंपर्क का दौर भी चल रहा है। आम लोगों के जो चेहरे उम्मीदवारों के लिए चुनाव के पहले बिलकुल अंजान हुआ करते थे, आज वे चेहरे उम्मीदवारों के लिए अपने हो गये हैं। ---हम अपने हैं, बेगाना न समझे चुनावी दंगल में उम्मीदवारों का तांता मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक दे रहा हैं। सुबह सूरज की किरण निकलने से पहले ही उम्मीदवार मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक देने पहुंच जा रहे हैं। घर के भीतर से आवाज आती हैं कौन? तो उम्मीदवार कहते हैं- हम अपने हैं, बेगाना न समझे। यह सिलसिला देर रात तक चलता है। सभी उम्मीदवार खुद को योग्य और मतदाताओं का सच्चा हितैषी बता रहे हैं। वे मतदाताओं को भरसक यह प्रयास दिला रहे हैं कि वे उनके विकास के लिए हर वक्त तत्पर रहने के साथ-साथ उनके हर सुख-दुख में शामिल रहेंगे। मतदाता भी सभी उम्मीदवार को यहीं कहती फिर रही है कि मेरा वोट आपको हीं जाएगा। लेकिन ये तो भारतीय मतदाता हैं। पांच वर्ष का गुस्सा अपने वोट से चुकता करती है। ----आधी आबादी पर है सबकी नजर---

पंचायत चुनाव का बिगुल बजते ही मतदाताओं की नब्ज टटोलने की कवायद शुरू हो गई है। इस बार के पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला में आधी आबादी भी अहम रोल अदा करेगी। लिहाजा, विकास का रास्ता घर के आंगन, शौचालय, नाली-गली और राशन कार्ड से होकर गुजरेगा। आधी आबादी वृद्धावस्था पेंशन, उज्ज्वला योजना, कबीर अंत्येष्टि का हिसाब भी लेने के लिए बेचैन बैठी है। बताया जा रहा है कि अपने और बेगाने के आधार पर जिस पंचायत में विकास की लकीर खींची गई है, वहां आधी आबादी निर्णायक साबित होगी। ---पुराने और नए चेहरे में हो रहा आंकलन

इस बार कई नए चेहरे भी चुनावी दंगल में कूदने की तैयारी कर रहे हैं। हर पद पर कांटे की टक्कर होने की संभावना है। चाहे वह जिला पार्षद पद का हो या फिर मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य हर पद पर गिद्ध की तरह जनप्रतिनिधियों की नजर है। एक एक मतदाता को प्रणाम करने का दौर प्रारंभ हो गया है। कई मतदाता वर्तमान जनप्रतिनिधियों को पुराने वादें याद दिलाना प्रारंभ कर दिया है। कही-कही तो निवर्तमान प्रत्याशियों को फजीहत भी झेलनी पड़ रही है। पुराने दिनों की अपेक्षा इस बार के चुनाव में जनता विकास को लेकर वोट करने का मूड बना रही है। अंतत: ऊंट किस करवट बैठेगी, यह कोई नही जानता।

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