बापू की प्रतिमा के साथ अतीत के यादों को समेटे है फुलकाहा बाजार

अररिया। भारत -नेपाल सीमा क्षेत्र पर अवस्थित नरपतगंज प्रखंड का फुलकाहा बाजार स्वतंत्रता संग्राम क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 11:14 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 11:14 PM (IST)
बापू की प्रतिमा के साथ अतीत के यादों को समेटे है फुलकाहा बाजार
बापू की प्रतिमा के साथ अतीत के यादों को समेटे है फुलकाहा बाजार

अररिया। भारत -नेपाल सीमा क्षेत्र पर अवस्थित नरपतगंज प्रखंड का फुलकाहा बाजार स्वतंत्रता संग्राम के अतीत की यादों को अपने अंदर समेटे हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चरण कभी इस धरती पर पड़े थे। लेकिन, दुर्भाग्य है कि उनके स्मृति में बनाए गए गांधी चौक पर आज स्वच्छता अभियान की एक झलक भी नहीं दिखती। जनप्रतिनिधियों ने यहां चौक के निर्माण के साथ-साथ गांधी जी की प्रतिमा भी स्थापित कराई । लेकिन, गांधी जी यहां के लोगों को तब याद आती है जब 15 अगस्त और 26 जनवरी का अवसर आता है। बुजुर्ग बताते हैं कि आजादी से कुछ वर्ष पूर्व इसी प्रखंड के भोड़हर निवासी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामलाल मंडल के विशेष आग्रह पर महात्मा गांधी ने पहुंचकर विशाल जनसभा को संबोधित किया था। उस समय लोगों में आजादी के लिए दीवानगी छा गई थी। वर्षों तक यहां के लोग इस उपलब्धि के लिए खुद को गौरवान्वित महसूस करते रहे। वर्ष 1980 में तत्कालीन विधायक जनार्दन यादव ने उनके स्मृति को ताजा रखने के लिए जन सहयोग से यहां गांधी जी के नाम पर चौक की स्थापना की थी। इसके बाद वर्ष 2015 में नवाबगंज पंचायत के तत्कालीन मुखिया संजय सिंह ने बापू के जन्मदिन के मौके पर उनकी प्रतिमा की स्थापना कर दी । किन्तु दुर्भाग्य है कि उनके रखरखाव पर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं ना हीं कोई प्रशासनिक अधिकारी। पुलिस भी इस मामले में पूरी तरह उदासीन बने बैठे हैं। कारणवश यहां कचरा हीं नहीं फेंका जा रहा है बल्कि प्रतिमा के चारों ओर दुकान लगाकर गांधी जी के प्रतिमा के प्रति सम्मानजनक व्यवहार भी नहीं किया जा रहा है। स्वतंत्रता एवं गणतंत्रता दिवस के एक दिन पूर्व शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की खानापूरी भर की जाती है बापू ने स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का सपना देखा और इसे साकार करने की दिशा में पहल भी की। वर्तमान समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे और गति दे रहे हैं। लेकिन, आज ऐसे महापुरुष की स्मृति शेष उनकी प्रतिमा उपेक्षा का शिकार हैं।

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