बाढ़ समाप्त होने के बाद भी अचरा मानिकपुर में जमा रहता है पानी
अररिया। भारत-नेपाल सीमा पर नरपतगंज प्रखंड की दो पंचायतें अचरा और मानिकपुर बाढ़ से सबसे अधि
अररिया। भारत-नेपाल सीमा पर नरपतगंज प्रखंड की दो पंचायतें अचरा और मानिकपुर बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित रहता है। किंतु दोनों पंचायतों में जब बाढ़ का पानी प्रवेश करता है तो उसे निकालने में महीनों लग जाता है। यहां सुरसर नदी से बाढ़ आती है । यह स्थित लगभग हर साल बारिश के महीने में होती है। इस समय नेपाल की नदियां उफान पर होती हैं। इसी समय सुनरसरी जिला स्थित भूटहा बांध से अतिरिक्त पानी को छोड़ा जाता है। ग्रामीण शिवशंकर बिराजी ने कहा कि बाढ़ की तबाही के बाद सरकार राहत के नाम पर करोड़ों खर्च करती है कितु बाढ़ में तबाही बर्बादी ना हो इसके लिए पूर्व से कोई उपाय नहीं करती । ग्रामीण ललन कुमार सिंह का कहना है बाढ़ से यहां जान माल की भारी क्षति होती है घर मकान टूट जाते हैं लोगों की मौतें भी होती है कितु बाढ़ नहीं आए इसके लिए कोई मास्टर प्लान तैयार नहीं होता । मानिकपुर के ग्रामीण अगरचंद यादव ने बताया कि हम लोग बादल को देखते ही भयभीत होते हीं बारिश आते हीं बाढ़ का डर सताने लगता है, अपनी आंखों से हमने कई बार बाढ़ से तबाही और बर्बादी देखी है । ग्रामीण रंजन यादव ने कहा कि बाढ़ हमेशा हीं राजनीति का मुद्दा बनता है शायद इस मुद्दे को बरकरार रखने के लिए हीं कोई ठोस नीति नहीं अपनाई जाती । ग्रामीण अशोक यादव के मुताबिक, लोगों को बाढ़ का कहर झेलना नियति बन गई है। गौरतलब है कि सुरसर नदी से नरपतगंज का उत्तरी भाग बाढ़ के पानी प्रवेश करने से सबसे अधिक प्रभावित होती। वर्ष 2006 में भुटहा बांध की मरम्मत नेपाल सरकार ने कराई थी। यहीं बांध वर्ष 2008 में ध्वस्त हो गया था। जिससे सीमा क्षेत्र में भारी तबाही मची थी। इसी समय सुरसर नदी के कई तटबंध टूट गए थे जिससे गांवों में बाढ़ का पानी आज भी प्रवेश करता है। खासकर नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के अंचरा पंचायत स्थित लक्ष्मीपुर गांव के सात हजार आबादी एवं मानिकपुर पंचायत के 12 हजार आबादी इससे प्रभावित होती है। यह पानी दोनों पंचायतों के गांवों में लगभग एक महीन तक जमा रहता है।