जागरण विशेष: बाबा नागार्जुन को कथाशिल्पी रेणु से था पारिवारिक संबंध

नागार्जुन की जयंती पर फणीश्वरनाथ रेणु के छोटे सुपुत्र व सामाजिक कार्यकर्ता दक्षिणेश्वर प्रसाद राय पप्पू कहते हैं कि बात 1975-76 की होगी। बरसात के मौसम में धान की रोपाई के समय बाबू जी ने बाबा नागार्जुन जी को धान रोपाई के पहले दिन के लिए बुलाया था।

By Edited By: Publish:Wed, 30 Jun 2021 07:27 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jun 2021 07:28 PM (IST)
जागरण विशेष: बाबा नागार्जुन को कथाशिल्पी रेणु से था पारिवारिक संबंध
धान की रोपाई के समय बाबू जी ने बाबा नागार्जुन जी को पहले दिन के लिए बुलाया था।

अररिया। जनकवि बाबा नागार्जुन की जयंती पर फणीश्वरनाथ रेणु के छोटे सुपुत्र व सामाजिक कार्यकर्ता दक्षिणेश्वर प्रसाद राय पप्पू कहते हैं कि बात 1975-76 की होगी। धान की रोपाई के समय बाबू जी ने बाबा नागार्जुन जी को विशेष तौर पर धान रोपाई के पहले दिन के लिए बुलाया था। उस दिन पूजा (पंक तिलक)का कार्यक्रम भी रखा गया था। धान के खेत में जाने की तैयारी हो रही थी। बाबू जी ने फारबिसगंज से बृजमोहन प्रसाद उर्फ बिरजू बाबू, कमला प्रसाद बेखबर, जयशंकर प्रसाद ¨सह एवं अन्य लोगों को भी बुलाया था। घर के दलान में चौकी पर साफ सुथरी बिछावन और कुर्सियां लगी हुई थी। बाबू जी ने वहां बैठे सभी लोगों को मुझे पैर छूकर प्रणाम लगने को कहा और मैं उनके आज्ञाकारी बालक की तरह वैसा ही करने लगा, लेकिन जैसे ही बाबा का पैर छूता उन्होंने झट से मुझे गोद में उठाकर चुमते हुए कहा- ''बड़ा प्यारा बच्चा है'' बाबू जी ने हंसते हुए कहा- लेकिन बहुत शरारती है ''सेर भर रसगुल्ला अकेले गटक जाता है'' तब बाबा ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा था। बाबा नागार्जुन ने मुझे एक रसगुल्ला खिलाने के बाद पुरा रसगुल्ले का लदिया ही मेरे हवाले कर दिया और कहा खिलौना मैं तुम्हारे बाबा के हाथों भिजवा दूंगा। उसके बाद सभी के साथ मैं भी धन रोपनी के लिए खेत की तरफ चल पडा। इसके बाद दूसरी मुलाकात 1992 में दिल्ली के त्रिवेणी सभागार के एक साहित्यिक कार्यक्रम में हुई जहां बाबा का कोई सम्मान समारोह था।

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