कैसे बचेंगे बच्चें तीसरी लहर से जब जिले में चिकित्सक ही नहीं

- बच्चों के सुरक्षा के प्रति असंवेदनशील बना हुआ है प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग -तीसरी लहर में बच्चो

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 10:02 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:02 PM (IST)
कैसे बचेंगे बच्चें तीसरी लहर से जब जिले में चिकित्सक ही नहीं
कैसे बचेंगे बच्चें तीसरी लहर से जब जिले में चिकित्सक ही नहीं

- बच्चों के सुरक्षा के प्रति असंवेदनशील बना हुआ है प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग

-तीसरी लहर में बच्चों के बचाव के लिए जिले में केवल 21 बेड है मौफाफजूद

फोटो 02 एआरआर 24

- किसी प्रखंड में मौजूद नही है बच्चों के लिए कोविड सेंटर

-जिले में बच्चों के लिए केवल चार चिकित्सक है मौजूद

राकेश मिश्रा, संसू, अररिया: कोरोना वायरस की तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण फैलने की भी संभावना जाहिर की जा रही है। देश भर में बच्चों के टीकाकरण आरंभ करने की कवायद जारी है। सूबे में बच्चों को सुरक्षित करने के लिए भी सभी अस्पताल तैयारी कर रहे है। मगर इन सब से बेखबर अररिया जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्ण की नींद सो रहा है। कोरोना वायरस की तीसरी लहर की संभावना के बीच सोमवार को जब दैनिक जागरण की टीम बच्चों के सुरक्षा के प्रश्न लेकर सदर अस्पताल पहुंची तो सच्चाई सामने आई। बच्चों के वायरस से संक्रमित होने पर मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं की जब जानकारी ली गई तो अधिकारी बगल झांकने लगे। दरअसल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए तैयारी तो की जा रही है मगर इसमें बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ विशेष नहीं किया जा रहा है। बच्चों में अगर संक्रमण फैलता है तो उनके लिए न तो कोई विशेष वार्ड का निर्माण किया गया है और न ही इलाज की व्यव्यस्था। बच्चों के चिकित्सक की भी जिले में घोर कमी है।

गौरतलब है कि दूसरी लहर के दौरान जिले के अधिकांश गंभीर मरीजों को जिले से बाहर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया जाता था। अगर तीसरी लहर में बच्चे संक्रमित होते है तो एक बड़ा प्रश्न है कि क्या तब स्वास्थ्य विभाग द्वारा नेनिहालो को रैफर का पर्चा थमा दिया जायेगा। क्या बच्चें खुद को इतनी देर सुरक्षित रख पायेंगे। बहरहाल स्वास्थ्य विभाग इन आशंकाओं को सिरे से खारिज करता है। मगर जिले में बच्चों के इलाज के लिए माकूल व्यवस्था नहीं है इस बात से भी इंकार नही करता। -

चार लाख से अधिक बच्चों के लिए केवल चार चिकित्सक- जिले में बच्चों की आबादी लगभग चार लाख से अधिक है। इनके इलाज के लिए जिले में केवल चार शिशु रोग विशेषज्ञ मौजूद है। वर्तमान में दो चिकित्सक सदर अस्पताल अररिया और दो फारबिसगंज रैफरल अस्पताल में कार्यरत है। अन्य किसी भी प्रखंड में शिशु रोग विशेषज्ञ मौजूद नही है। तीसरी लहर में अगर बच्चे संक्रमित होते है तो चिकित्सक की कमी एक बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है। इस संबंध में सीएस डा.एमपी गुप्ता ने बताया कि ये बात सच है कि जिले में शिशु रोग विशेषज्ञ की कमी है। इस समस्या की जानकारी से स्वास्थ्य विभाग को भी अवगत करा दिया गया है। सरकार द्वारा चिकित्सक की बहाली की प्रक्रिया भी चल रही है। उम्मीद है कि तीसरी लहर से पूर्व ही जिले को शिशु रोग विशेषज्ञ उपलब्ध करा दिए जायेंगे।

बच्चों के सुरक्षा के लिए केवल 21 बेड है मौजूद- वर्तमान में जिले में बच्चों के लिए केवल 21 बैड मौजूद है। इसमें सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में 14 बेड, फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल के एनबीएसयू में 6 बेड और सभी प्रखंड के एनबीसीसी में एक- एक बेड मौजूद है। हालांकि ये सभी बेड नवजात शिशु के लिए है। लेकिन जरूरत के वक्त इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के इलाज के लिए सदर अस्पताल के पीडिया वार्ड में 12 बेड और फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल के 6 बेड पर कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज करने की कार्ययोजना स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाई गई है। इसके अलावा न तो किसी प्रखंड अस्पताल में बच्चों के इलाज करने की व्यवस्था है और न ही कोई संसाधन। सीएस ने प्रखंड स्तर बच्चों के इलाज के संबंध में साफ शब्दों में कहा कि जब प्रखंड स्तर पर चिकित्सक ही नही है तो बच्चों का इलाज कैसे होगा। ऐसे बच्चों को सदर अस्पताल या फारबिसगंज में इलाज किया जायेगा। वही दो वार्ड में मौजूद 21 बेड पर इतनी बड़ी जनसंख्या का इलाज के प्रश्न पर सीएस ने बताया कि जरूरत पड़ने पर हम अन्य विकल्प की तलाश करेंगे।

लोकल व्यवस्था के सहारे स्वास्थ्य विभाग, स्कूल बंद होने पर बनेंगे कोविड वार्ड- जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए कोई विशेष कार्ययोजना नही बनाई गई है। कोरोना मरी•ाों को भर्ती करने के लिए भी कोई विशेष व्यवस्था नही है। दूसरी लहर के दौरान शहर के पोलटेक्निक कालेज को कोविड केंद्र बनाया गया था। कालेज के खुलते ही सेंटर को बंद करना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग इस इंतजार में ही कि कोरोना की तीसरी लहर के दौरान जब सरकार द्वारा स्कूल कालेज बंद कर दिए जायेंगे तो विभाग द्वारा ऐसे स्कूलों में अस्थाई कोविड केयर सेंटर बनाया जायेगा। जैसा कि दूसरी लहर में भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया था। अगर बच्चे संक्रमित होते है तो क्या ऐसे अस्थाई कोविड केंद्र में बच्चें का इलाज संभव होगा। इस प्रश्न का जबाब फिलहाल स्वास्थ्य विभाग टालते न•ार आ रहा है।

प्रखंडो में शिशु वार्ड की नहीं हो रही पहल- मिली जानकारी के अनुसार सूबे में वायरस की तीसरी लहर की संभावना के बीच सभी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा ज्यादा से ज्यादा शिशु वार्ड बनाने पर जोर दिया जा रहा है। मगर जिले में फिलहाल इस बात की सुगबुगाहट भी नही है। हालत ये है कि सदर अस्पताल और फारबिसगंज के अलावा बच्चों को भर्ती करने की अन्य कोई व्यवस्था जिले में नही है। अगर किसी प्रखंड में वायरस से बच्चे अधिक संक्रमित होते है तो उन्हें रैफर का पर्चा थमा कर मुख्यालय में भेज दिया जाएगा।

सदर अस्पताल में बच्चों के लिए मौजूद है आक्सीजन बेड- जिले में आक्सीजन जेनरेशन प्लांट निर्माण लगभग पूरा हो गया है। इस प्लांट के माध्यम से बच्चों के वार्ड तक पाइपलाइन के माध्यम से आक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। सदर अस्पताल में तीसरी लहर के दौरान करीब 14 बच्चों को भर्ती किया जा सकता है। इन बच्चों को आक्सीजन की भी आपूर्ति निर्बाध तरीके से की जा सकती है। इसके अलावा फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल के 6 बैड पर भी बच्चों के लिए आक्सीजन प्वाइंट की सुविधा मौजूद है। लेकिन इसके अलावा जिले में अन्य किसी जगह ये सुविधा मौजूद नही है।

कोट- प्रखंड स्तर पर शिशु रोग विशेषज्ञ की कमी है। तीसरे लहर के दौरान जिला स्तर पर बच्चों के इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। हमारे पास फिलहाल चार शिशु रोग चिकित्सक मौजूद है। अगर बच्चों में ये वायरस फैलता है तो विभाग अन्य विकल्पों पर भी कार्य करेगा- डा.एमपी गुप्ता, सिविल सर्जन, अररिया।

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