पंचायत चुनाव में मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशियों की बढ़ रही परेशानी

संसू कुर्साकांटा (अररिया) प्रखंड क्षेत्र में छठे चरण में तीन नवंबर को पंचायत चुनाव होना ह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 12:26 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 12:26 AM (IST)
पंचायत चुनाव में मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशियों की बढ़ रही परेशानी
पंचायत चुनाव में मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशियों की बढ़ रही परेशानी

संसू, कुर्साकांटा (अररिया): प्रखंड क्षेत्र में छठे चरण में तीन नवंबर को पंचायत चुनाव होना है । प्रत्याशियों का आम मतदाताओं से संपर्क समेत अलग अलग तरीके से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने को लेकर नये नये तरीके अपनाये जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मतदाताओं की चुप्पी भी प्रत्याशियों के लिये परेशानी का सबब बनता जा रहा है। प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं से विभिन्न तरीके से जहां रिझाने का प्रयास किया जा रहा है तो मतदाता है कि प्रत्याशियों के चिकनी चुपड़ी बातों से इतर उनका जवाब या फिर उन्हें ही समर्थन देंगे कि बात न कर उन्हें केवल आश्वासन ही देते रहे हैं कि इस बार तो आपको ही मौका देने का मन बना लिये हैं । लेकिन कहते हैं न कि मनुष्य जुबां से झूठ बोल सकता है लेकिन आंखें कभी झूठ नहीं बोलती इससे प्रत्याशियों का परेशान होना तो लाजिमी ही है। आश्वासन देकर उन्हें टरका रहे हैं । गौरतलब है कि पंचायत चुनाव को लेकर प्रत्याशियों को सिबल मिलने के बाद ही चुनाव को लेकर प्रखंड क्षेत्र का वातावरण चुनावी रंग में रंगने लगा है । सभी तरफ केवल व केवल चुनाव की चर्चा तो किस प्रत्याशी को किस वार्ड में सबसे अधिक वोट मिलने की संभावना है को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है ।

पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करने को लेकर प्रत्याशियों द्वारा हर ओ दांव चला जा रहा है जो कि उन्हें चुनाव की वैतरणी को पार करने में महती भूमिका का निर्वहन कर सके। कहीं रिश्ते को आधार बनाया जा रहा है तो कहीं जाति कार्ड का तो कहीं भरोसा करने को बात पर प्रत्याशी द्वारा वोट बटोरने का प्रयास किया जा रहा है । हालांकि इन सब के बीच पंचायत की मूल आवश्यकता कहीं धूल फांकती ही नजर आ रही है । किसी भी प्रत्याशी के संकल्प पत्र कहें या फिर घोषणा पत्र या फिर प्रचार प्रसार में पंचायत की मूल आवश्यकता, वृद्धावस्था पेंशन में मची लूट तो प्रधानमंत्री आवास योजना में लूट पर विराम लगाने या फिर सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को ईमानदारी से जमीन पर उताड़ने की बात किसी भी प्रत्याशी के प्रचार प्रसार में शामिल होता नजर नहीं आता । जिससे प्रत्याशियों के कथनी व करनी में फर्क समझ में आ रहा है । इन बातों को समझकर ही मतदाता अपनी चुप्पी तोड़ने को तैयार नहीं । वहीं मतदाताओं को रिझाने के लिये प्रत्याशियों द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रलोभन का भी सहारा लिया जा रहा है।

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