कोई बिरादरी की मान तो कोई दिखा रहे जमींदारी शान

ज्योतिष झा जोकीहाट (अररिया) जिले में पंचायत चुनाव की सरगर्मी नामांकन के साथ ही सर चढ़क

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 12:22 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 12:22 AM (IST)
कोई बिरादरी की मान तो कोई दिखा रहे जमींदारी शान
कोई बिरादरी की मान तो कोई दिखा रहे जमींदारी शान

ज्योतिष झा, जोकीहाट, (अररिया): जिले में पंचायत चुनाव की सरगर्मी नामांकन के साथ ही सर चढ़कर बोल रहा है। इस चुनाव में कई जमींदार घराने के लोग भी मुखिया प्रत्याशी बनकर वोटरों के पीठ पीछे ताल ठोक रहे हैं। फीलगुड में हैं कि वे बाप दादा के जमाने से जमींदार हैं। मतदाताओं पर उनके परिवार का दशकों से कर्ज है। वोटरों को इस बार पंचायत चुनाव में तो पुराना कर्ज चुकाने का सुनहरा अवसर है। जमींदार प्रत्याशी तो अपने लोगों के बीच यह भी बोल रहे हैं कि गांव का आदमी हमको वोट नहीं देगा तो घर से निकलना मुश्किल कर देंगे। गांव से मुख्य सड़क तक हमरे और हमरे चचा, दियाद की जमीन है। वोट नहीं मिला तो गाय, बकरी बांधना मुश्किल हो जाएगा। यह बात रानीगंज प्रखंड के एक पंचायत में लीक क्या हो गया। पंचायत के वोटर लोग भड़क ही उठे। हालांकि कुछ गरीब तबके के वोटर तो यह सब सुनकर डर गए। लेकिन पढ़ा लिखा युवा तो उल्टे भड़क जा रहा है। कहता है कि जमींदारी के नाम पर डरा रहा है लो अब तो और वोट उनको नहीं देंगे। जमाना बदल गया है। अब लाठी दिखाकर वोट नहीं लिया जाता बल्कि प्यार और इज्जत देकर लिया जाता है। जमींदारी शान अपने घर में रखिए। अब तो बेचारा का कार्यकर्ता को भी प्रत्याशी के जमींदारी शान के बदले अपमान सहना पड़ रहा है। वहीं जिले में कुछ प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो बिरादरी का मान रखने के लिए वोट मांग रहे हैं। बेचारा पिछले चुनाव में भी बहुत खर्च किए थे लेकिन मुखिया का सुख नसीब नहीं हुआ। साठ वोट से चुनाव हार गए थे। अबकी बार जाति और बिरादरी का ढोल पीटकर मतदाताओं को गोलबंद करना चाहते हैं। चाहे जैसे हो चुनाव जीतने का भूत सवार है। लेकिन दबे जुबान वोटर यह भी बोल रहे हैं कि इ कैंडिडेट तो चुनाव में ही दिखाई देते हैं। सालभर तो रानीगंज से गीतवास बाजार में जहां तहां बैठे मिलते हैं। जात बिरादरी का बड़ा कदर था तो कोरोना महामारी में कौन भूखा है और किनको क्या कष्ट है पूछा तक नही। अभी जात बिरादर की दुहाई देता है। वोटर आशंका जता रहे हैं कि बिरादरी वाले भाई साहब मुखिया बनने के बाद पांच साल दिखाई ही न दे और उनकी पांचों उंगली घी में हो। इसलिए जात, बिरादर और जमींदारी शान बघारने वालों को नहीं बल्कि साफ सुथरा छवि वाले प्रत्याशी को वोट देने का मन मतदाताओं ने इस बार बना लिया है।

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