सुनी पड़ी दलानों में लौटी रौनक, युवा मतदाताओं पर टिकी सभी प्रत्याशियों की नजर

संसू सिकटी (अररिया) पंचायत चुनाव की चहलकदमी होने से इन दिनों गांव में रौनक दिखने लगी है

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 12:03 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 12:03 AM (IST)
सुनी पड़ी दलानों में लौटी रौनक, युवा मतदाताओं पर टिकी सभी प्रत्याशियों की नजर
सुनी पड़ी दलानों में लौटी रौनक, युवा मतदाताओं पर टिकी सभी प्रत्याशियों की नजर

संसू, सिकटी (अररिया): पंचायत चुनाव की चहलकदमी होने से इन दिनों गांव में रौनक दिखने लगी है। वर्षो से सुने पड़े दलानों की रौनक लौट आई है। जनता से दूर रहने वाले प्रत्याशियों का दालान में जमघट लग रहा है और अपने हितैषियों के साथ गहन मंथन में जुटे हैं। क्योंकि पहले दिनों की अपेक्षा अब चुनाव हाईटेक हो गई है। पांच साल तक जो चरण जिस दलान पर नहीं पड़े थे अब सरे आम दिखने लगे हैं। पंचायत का विकास करने वाले अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। विकास और जनता से दूरी बनाने वाले उम्मीदवारों को अपनी कुर्सी खिसकती नजर आ रही है। वही युवा मतदाता पांच साल में किए गए विकास कार्यों का हिसाब लेने के लिए आतुर हैं। चुनावी मैदान में इस बार कुछ प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्हें पिछले चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। वही कई चुनावों से अपने पद पर काबिज प्रत्याशी अपनी डफली अपना राग अलाप रहे हैं। नए और पुराने दोनों चुनावी समर के लिए कमर कस चुके हैं। कुछ वैसे लोग भी प्रत्याशी बनने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं जो पंचायत के विकास से संतुष्ट नहीं हैं और पंचायत की तस्वीर बदलना चाहते हैं। उनमें कुछ कर दिखाने का जज्बा है। तो कुछ ऐसे भी हैं जो लोगों को साइकिल से लग्जरी गाड़ियों तक का सफर तय करता देख पहली बार चुनावी वैतरणी पार उतरने के लिए आस लगाए बैठे हैं। ऐसे में उनके दलानों पर समर्थकों का आना-जाना लगा रहता है। जीते प्रत्याशी जो चुनाव बाद घर से बाहर नही निकलते थे, ग्रामीणों को जरूरत होने पर उन्हें खोजना मुश्किल होता था, वे भी अब मुस्कुराते हुए लोगों का स्वागत करते दिख रहे हैं। इधर जनता उनके आवाभगत को खूब समझ रही है। मतदाताओं को कहते सुना जा रहा है कि बरसाती मेढ़क हीं टर्र-टर्र की आवाज निकालने में माहिर होते हैं। अब उनका अधिकांश समय दलान पर ही कटता है, चाहे वह अपना दलान हो या फिर पड़ोसियों का। जिसका दलान जितना बड़ा उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा उतनी बड़ी होती दिख रही है। अब दलान पर पड़ी चौकी पर चादर भी रहती है और आंगन के लोगों की नजर भी दलान पर रहती है। पता नहीं कब कौन प्रत्याशी आ धमके। पांच साल तक जो चरण जिस दलान पर नहीं पड़े थे अब सरेआम पड़ने लगे हैं। चुनाव के बहाने ही सही गांवों के सूने दलानों के पुराने दिन के साथ बहार भी लौट आई है। फिलहाल प्रत्याशियों की नजर युवा मतदाताओं पर टिकी हुई है। उनका मानना है कि पहले की अपेक्षा लोग जागरूक हुए हैं। यदि युवा मतदाताओं का झुकाव उनकी तरफ हुआ तो शायद वे (प्रत्याशी) अपनी सीट निकालने में कामयाब हो सकते हैं।

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