कैसे करेंगे तीसरी लहर का सामना जब जिले में आरटीपीसीआर लैब ही नहीं मौजूद

- अब तक जिले में मरीजों की सैंपल जांच की व्यव्यस्था न कर सका स्वास्थ्य विभाग - आरटीपीसीआर सैंप

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 09:20 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 09:20 PM (IST)
कैसे करेंगे तीसरी लहर का सामना जब जिले में आरटीपीसीआर लैब ही नहीं मौजूद
कैसे करेंगे तीसरी लहर का सामना जब जिले में आरटीपीसीआर लैब ही नहीं मौजूद

- अब तक जिले में मरीजों की सैंपल जांच की व्यव्यस्था न कर सका स्वास्थ्य विभाग

- आरटीपीसीआर सैंपल को जांच के किये भेजा जा रहा मेडिकल कालेज

- 30 लाख की आबादी के लिए जिले में केवल दो इंफ्यूजन पंप है मौजूद।

राकेश मिश्रा, अररिया: कोरोना की तीसरी लहर का खौफ हर तरफ है। सूबे के तमाम अस्पताल इसके लिए तैयारी कर रहे है। अगस्त माह में ही इस लहर के आने की आशंका है। कुछ राज्यो में डेल्टा वेरियंट के कुछ मामले भी सामने आए है। इन सब से बेखबर अररिया प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग आज भी उसी मुकाम पर खड़ा है। जहां कोरोना की पहली लहर में खड़ा था। दैनिक जागरण द्वारा तीसरी लहर की तैयारी संबंधी अभियान अंतर्गत हर रोज जिले में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया जा रहा है। इस दौरान हर रोज कई खामियां सामने आ रही है। गुरुवार को जब जिले में हो रहे कोरोना टेस्ट की जानकारी ली गई तो पता चला कि अब तक जिला प्रशासन द्वारा मरी•ाों के टेस्ट की ही माकूल व्यवस्था नही की गई। कोरोना के दोनों लहरों में भारी क्षति का सामना कर चुके जिलावसियों के लिए अब तक आरटीपीसीआर लैब की भी व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ली गई सैंपल को जांच के लिए मधेपुरा मेडिकल कालेज भेजा जाता है। फिर एक सप्ताह में रिपोर्ट आने के बाद मरी•ाों को संक्रमण की जानकारी से इत्तिला दी जाती है। इस दौरान एक अन्य भी पर्दाफाश हुआ। आरटीपीसीआर टेस्ट की इस जटिल प्रक्रिया में कई बार तो ऐसा भी होता है कि मरी•ा द्वारा सैंपल स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करा दिया जाता है मगर इस बात की मरीज को जानकारी तक नही मिलती है कि वो संक्रमित है या नही। रिपोर्ट का इंतजार करते-करते मरीज कोरोना से उबर भी जाता है मगर रिपोर्ट नहीं मिलती। जिले में अगर आरटीपीसीआर लैब होता तो मरीजों को रिपोर्ट दो दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जा सकती थी। बरहाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरकार से पत्र प्राप्त हो चुका है। जगह भी चिन्हित हो चुकी है तीसरी लहर से पूर्व ही आरटीपीसीआर लैब के निर्माण कार्य को पूरा कर लिया जायेगा।

30 लाख की आबादी के लिए केवल दो इंफ्यूजन पंप है मौजूद - कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को या वयस्क को पानी चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है तो इसके लिए जिले में केवल दो इंफ्यूजन पंप मौजूद है। ये सुविधा सदर अस्पताल में छोड़कर किसी अनुमंडल अस्पताल या प्रखंड अस्पताल में मौजूद नही है। सदर अस्पताल में भी ये सुविधा केवल दो मरीजों को प्राप्त हो सकती है। ताजुब्ब की बात ये है कि प्रशासन द्वारा अब तक विभाग से इंफ्यूजन पंप की मांग भी नही की गई है और न ही इस और कोई पहल किया जा रहा है। जबकि सूबे के सभी अस्पताल कोरोना के तीसरी लहर में इसे बचाव का एक अच्छा उपकरण मानते है। यहां बता दे कि इंफ्यूजन पंप के माध्यम से मरीजो को आटोमेटिक तरीके से पानी चढ़ाया जाता है। पानी की कमी होने पर ये पंप इंडिकेट भी करता है। बच्चों के लिए काफी उपयोगी मशीन है। कोरोना काल में जब शारीरिक दूरी महत्वपूर्ण है। ऐसे समय ये मशीन मरीजों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

केवल सदर अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा- जानकारों की माने तो कोरोना की तीसरी लहर दोनों लहरों के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हो सकती है। इसमें मरीज कम समय में ही ज्यादा गम्भीर हो सकता है। साथ ही ठीक होने के बावजूद इसके परिणाम काफी समय तक मरी•ा को परेशान कर सकते है। मरीज को मनोरोग संबंधी समस्या हो सकती है। इसके इलाज के लिए केवल सदर अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा मौजूद है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनुमंडल स्तर या प्रखंड स्तर पर सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने की भी अब तक कोई कवायद नही की गई है।

12 बेड का केवल पीडियाट्रिक वार्ड है मौजूद- कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की संभावना ने हर किसी के चेहरे पर चिता की लकीर खींच दी है। मगर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मुक्कमल तैयारी करने के बजाय तीसरी लहर के आने के इंतजार कर रहा है। मिली जानकारी के लिए तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए सदर अस्पताल में 12 बैड का पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया है। सभी बैड पर आक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। इसके आलवा फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल में भी छह बैड की पीडियाट्रिक वार्ड बनाने की कार्ययोजना है। इन 18 बैड के आलवा विभाग के आलवा न तो कोई वार्ड ही चिन्हित किया गया है और न ही कोई कार्ययोजना है। प्रखंड स्तर पर बच्चों के इलाज की भी व्यव्यस्था नही है। सीएस डॉ एमपी गुप्ता बताते है कि कोरोना की तीसरी लहर आने पर हमलोग अन्य विकल्प की तलाश करेंगे।

कोट- आरटीपीसीआर लैब के लिए विभाग से आदेश प्राप्त हो चुका है। जगह भी चिन्हित कर ली गई है। बहुत जल्द मशीनों को लाया जायेगा। तीसरी लहर से पूर्व सभी व्यवस्था सुनिश्चित कर ली जायेगी। स्वास्थ्य विभाग लगातार इसके लिए कार्यरत है डा. एमपी गुप्ता, सीएस अररिया

chat bot
आपका साथी