जिले में जैविक कचरा निष्पादन की नही हैं व्यव्यस्था

राकेश मिश्रा अररिया जिले में उत्पन्न होने वाले कचरे को निष्पादन की दृष्टि से तीन श्रेणियों

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 09:11 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 09:11 PM (IST)
जिले में जैविक कचरा निष्पादन की नही हैं व्यव्यस्था
जिले में जैविक कचरा निष्पादन की नही हैं व्यव्यस्था

राकेश मिश्रा, अररिया: जिले में उत्पन्न होने वाले कचरे को निष्पादन की दृष्टि से तीन श्रेणियों में बांटा गया है। घरेलू, औद्योगिक और जीव चिकित्सा। इनमें से जीव चिकित्सा से जुड़े कचरे को नष्ट करने के कड़े मापदंड है। अस्पतालों और स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रयोग किये गए दवा, और निकलने वाले अन्य अपशिष्ट पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है। इससे पर्यावरण दूषित होने के साथ ही आम लोग गम्भीर बीमारियों की चपेट में आ सकते है। अब भी जिले के कई अस्पतालों से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट यानि जैविक कचरा स्वास्थ्य कार्यालय से लगभग 50 मीटर दूर खुले आसमान के नीचे फेंका और जलाया जा रहा था। जैविक कचरे के विनष्टीकरण की यह प्रक्रिया एनजीटी के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने के साथ ही पर्यावरण व जनजीवन के लिए खतरा साबित हो रही थी। हालांकि नगर परिषद की गाड़ी प्रतिदिन जैविक कचरा लेने अस्पतालों तक पहुंचती है मगर ये व्यवस्था केवल शहरो तक ही सीमित। गांव में अब भी जैविक कचड़ों को आस- पास ही फैंक दिया जाता है। जो कि काफी खतरनाक है।

अस्पतालों में मौजूद नहीं इंसीनरेटर: जिले के अस्पतालों में इंसीनरेटर मशीन मौजूद नही है। इसलिए जैविक कचड़े का निष्पादन भी नही किया जा रहा है। जानकारी देते हुए सीएस एमपी गुप्ता ने बताया की स्वास्थ्य विभाग पटना को इंसीनरेटर मशीन उपलब्ध कराने को लेकर कई बार पत्र भी भेजा गया है। पिछले माह विभाग द्वारा मशीन खरीद के लिए स्वीकृति भी दी गई है। उम्मीद है कि अगले माह से जैविक कचरा निष्पादन में ठोस प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी। सीएस ने कहा कि कचरा का निस्तारण वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग सहित सभी विभागों के लिए एक जटिल समस्या है। इसके लिए हम सबों को मिल कर प्रयास करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जैविक कचरा के अलावा प्लास्टिक का उपयोग भी मानव जीवन और पशु जीवन के लिए काफी खतरनाक है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा प्लास्टिक पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है। मगर जब तक लोग प्लास्टिक के दुष्प्रभावों को जानकर खुद से इसका उपयोग बंद नहीं करते है। इसको पूरी तरह प्रभावी कर पाना संभव नही हो पायेगा।

जैविक कचड़े से हो सकती है सांस और फेफड़े की समस्या- सीएस ने बताया कि जैविक कचरा के सुरक्षित निष्पादन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी सक्रियता बरती जाती है। इससे कई हानिकारक रोग हो सकते है। जैविक कचरे के निष्पादन में की जा रही लापरवाही स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है। खुले आसमान के नीचे इन्हें जलाने से निकलने वाला धुंआ श्वांस, त्वचा व फेफड़े से संबंधित बीमारियों की वजह बन सकता है। कई बार मवेशी भी जैविक कचरे का सेवन कर लेते है। जो कि काफी हानिकारक है। इसके अलावा एक्सपायरी दवाओं को जलाने से भी काफी हानिकारक प्रभाव पड़ सकते है। इससे सांस की गम्भीर समस्या हो सकती है।

सुरक्षित निष्पादन सबकी जिम्मेदारी - सीएस ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कचरे के निष्पादन के लिए काफी एहतियात बरते जाते है। मगर कचरा का निष्पादन हम सबकी जिम्मेदारी है इसलिए जिलेवासियों से अपील है कि वो अपने घरों में प्रयोग हो चुकी मेडिसिन को इधर उधर न फेंके बल्कि नगर परिषद को उपलब्ध कराए। दवाओं को जलाने का तो बिल्कुल भी प्रयास न करें ये आपके लिए और आसपास के लोगो के लिए काफी हानिकारक है। डस्टबिन का प्रयोग करें, प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें, अपने आस- पास के माहौल का सा़फ-सुथरा रख कर शहर को साफ रखने में सहयोग करें साथ ही अन्य लोग को भी इस गम्भीर विषय मे जागरूक करें।

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

इनसेट

लोगों को कचरा निष्पादन के लिए कर रहे प्रेरित: जिला क्रिकेट संघ के सचिव ओमप्रकाश जयसवाल स्वच्छता के प्रति काफी जागरूक है और आम लोगो को भी इसके लिए जागरूक करते है। ये इनके प्रयासों का ही फल है कि शहर का सुभाष स्टेडियम काफी साफ-सुथरा रहता है। प्रतिदिन यहां हजारों लोग मार्निंग वाक और खेलकूद करते हैं।

chat bot
आपका साथी