शह और मात के खेल में पार्षद मालामाल जनता कंगाल, वादियों की सैर की खूब हो रही है चर्चा
- बंगाल के रेसीडेंसी होटल में पार्षदों की फोटो इंटरनेट मीडिया पर हो रही है वायरल। - मुख्य पार्षद क
- बंगाल के रेसीडेंसी होटल में पार्षदों की फोटो इंटरनेट मीडिया पर हो रही है वायरल।
- मुख्य पार्षद के पांच साल के कार्यकाल में तीसरी बार लगाया गया है कुर्सी के लिए अविश्वास।
फोटो नंबर 04 एआरआर 20 व 21
पुरुषोत्तम भगत, फारबिसगंज (अररिया): फारबिसगंज नगर परिषद एक बार फिर से शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। नगर परिषद में कुर्सी के लिए शह और मात का खेल फिर शुरू हो चुका है। मुख्य पार्षद के पांच साल के कार्यकाल में तीसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लगाया गया है। अगर जानकारों की मानें तो यह परिपाटी तो पुरानी हो चुकी है लेकिन इस बार की परिपाटी में तीसरी बार अविश्वास लगाए जाना एक नई परिपाटी का शुभारंभ किया जाना है। फारबिसगंज नगर परिषद के इतिहास पर अगर गौर किया जाए तो इसका नेतृत्व महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामदेनी तिवारी द्विजदेनी एवं बोकाय मंडल ने भी किया है। लेकिन लोग बताते हैं कि तब की राजनीति और वर्तमान समय की राजनीति में जमीन आसमान का अंतर हो गया है। लोग उस समय शहर के विकास के लिए उत्साहित होकर अपना जनप्रतिनिधि चुनते थे और जनप्रतिनिधि भी जनता की भावनाओ का ख्याल रखते हुए विकास की ओर अग्रसर रहते थे। लेकिन वर्तमान समय की राजनीति सिर्फ कुर्सी की परिपाटी बन चुकी है। शहर का विकास और जनता की भावना से इसका कोई मेल नहीं है। बहरहाल जो भी हो नगर परिषद में 18 वीं मुख्य पार्षद कि ताजपोशी की कवायद शुरू हो चुकी है। शहर का अगला मुख्य पार्षद कौन होगा यह लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि जानकारों की माने तो लगाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद पार्षद गुंजन सिंह का नाम मुख्य पार्षद के रेस में सबसे आगे बताया जाता है। इनसेट
----------------
कुर्सी के इस खेल में पार्षद मालामाल जनता कंगाल -
मुख्य पार्षद पर अविश्वास के एक दिन बाद ही पार्षदों का बंगाल के एक रेसीडेंसी होटल का फोटो भी इंटरनेट मीडिया पर शहर में खूब वायरल हो रहा है। फोटो में लगभग 15 पार्षद एक साथ खड़े होकर अपने जीत की घोषणा कर रहे हैं। फोटो वायरल होने के बाद पार्षदों के वादियों की सैर की शहर में खूब चर्चा हो रही है। ऐसा नहीं है कि यह वादियों की सैर मौका पहला है। पांच साल में पार्षद तीसरी बार वादियों की सैर का आनंद उठाने बंगाल पहुंच चुके हैं। इंटरनेट मीडिया पर फोटो वायरल होने के बाद शहर के लोग फोटो पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि कुर्सी के इस खेल में पार्षद हो रहे मालामाल और जनता हो रही है कंगाल।
इनसेट
---------------
1912 में स्थापित फारबिसगंज नगर पालिका की स्थिति अब तक नहीं बदली, नही हुआ विकास।
फारबिसगंज नगर पालिका तो वर्ष 1912 में स्थापित हुआ लेकिन वर्ष 2007 में उत्क्रमित होकर यह नगर परिषद बन गया। नगरपालिका के 109 वर्ष हो चुके हैं लेकिन शहर के विकास के लिए अब तक कोई मास्टर प्लान नहीं बन सका है। हर वर्ष बरसात में शहर के लोग पानी निकासी की समस्या से जूझते हैं और उनका नुकसान भी होता है। नगर परिषद क्षेत्र में वृद्ध लोगों के लिए कोई पार्क नहीं है। नगर परिषद का अपना शहर में कहीं भी कोई पार्किंग स्थल नहीं है। जिसके कारण लोग हमेशा जाम की समस्या से परेशान रहते हैं। टैक्सी स्टैंड बनने के बावजूद दर्जनों स्थानों पर अवैध टैक्सी स्टैंड बनाकर वसूली की जाती है। ऐतिहासिक सीताधार का भू माफिया के द्वारा अतिक्रमण कर बड़े बड़े मकान खड़े कर दिए गए और नगर परिषद ने नक्शा भी दे दिया अब तक उसकी जांच नहीं हो पाई है। सीताधार बहाव क्षेत्र से पानी हर वर्ष लोगों के लिए एक मुसीबत बन रही है। ऐसे शहर में कई समस्या है। जिनका निदान होना अत्यंत आवश्यक है लेकिन कुर्सी के खेल में शहर की समस्या पीछे होती जा रही है।