खाने के शौकीन ले रहे बेजुबानों की जान, विलुप्त हो रहे संरक्षित पक्षी

- खुलेआम बेचे जा रहे संरक्षित पक्षी शिकारियों पर नहीं लग रहा अंकुश - तीन साल की सजा व

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 09:36 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 09:36 PM (IST)
खाने के शौकीन ले रहे बेजुबानों की जान, विलुप्त हो रहे संरक्षित पक्षी
खाने के शौकीन ले रहे बेजुबानों की जान, विलुप्त हो रहे संरक्षित पक्षी

- खुलेआम बेचे जा रहे संरक्षित पक्षी, शिकारियों पर नहीं लग रहा अंकुश

- तीन साल की सजा व पांच हजार जुर्माना का है प्रावधान

राहुल सिंह, फारबिसगंज (अररिया): सख्त कानून के बावजूद दुर्लभ पक्षियों का शिकार बेरोकटोक हो रहा है। खाने के शौकीन बेजुबानों की जान ले रहे हैं। संरक्षण की सारी कवायद भारत नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में कोई मायने ही नहीं रखती है। चिड़िया खाने के शौक रखने वालों की डिमांड पर शहर में धड़ल्ले से लालसर, बटेर, हरियल, पडोंकी, सुरखाब, अधंगा,

सिल्ली आदि संरक्षित पक्षियों का सौदा हो रहा है। पक्षियों के तस्कर शिकार कर इन दुर्लभ पक्षियों की तस्करी कर रहे हैं और शौकीन लोगों से इनके मांस की मुंहमांगी कीमत भी आसानी से मिल रही है। पक्षियों की खरीद-फरोख्त का सबसे बड़ा कारोबार भारत नेपाल सीमा के सटे फारबिसगंज, बथनाहा, जोगबनी, कुशमाहा,पिपरा आदि जगहों पर जारी है।

क्या कहते पर्यावरण के जानकार :

जाने माने पर्यावरणविद् साहित्यकार हेमन्त यादव ने बताया कि नेपाल सीमा से सटे रहने के कारण यहां तरह-तरह के पक्षियों की चहचाहट यहां के वादियों को गुलजार करती रही हैं। कुछ विदेशी नस्ल के पक्षी जो दिखने में तो बिल्कुल गोरैया की तरह लगते हैं, जिसका नाम है ग्रेट टीट बर्ड है। यह पक्षी हिमालय की तराई में रहता है। यह पक्षी बड़ा ही खूबसूरत और चंचल होता है। यह प्रवासी पक्षी विलुप्त हो गया है। आजकल दिखाई नहीं देता हैं, क्योंकि इसका बहुत ज्यादा शिकार होने लगा है।

अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा :

जानकार बताते हैं कि प्रवासी पक्षियों का शिकार से उसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। इसे रोकने के लिए ठोस प्रयास की जरूरत है। पक्षियों के शिकार होने से बचाना होगा। यदि पक्षियों के लिए सुरक्षित और आरामदायक उद्यान बनाया जाए तो पक्षियों को देखने के लिए पर्यटक आएंगे और हमारा पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

कोट -

पक्षियों के सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं। अवैध रूप से पक्षियों के शिकार करने वालों के विरुद्ध जुर्माना व सजा दोनों का प्रावधान है। यदि कहीं से सूचना मिली तो त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपित के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। पक्षियों की सुरक्षा के लिए शीघ्र जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

नरेश प्रसाद, डीएफओ अररिया।

- तीन साल की सजा, पांच हजार तक जुर्माना

वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत पशु-पक्षियों का व्यवसाय नहीं किया जा सकता है। उन्हें कैद करना भी अपराध है। अगर कोई इसका व्यवसाय करते हुए पकड़े जाता है तो आरोपी के लिए सजा का प्रावधान है। इसमें उसे तीन साल की सजा और तीन हजार से लेकर पांच हजार तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

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