धर्म गुरुओं के कंधे पर होगी बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी

राकेश मिश्रा संसू अररिया सूबे में बाल विवाह के मामले में कमी दर्ज की गई है। लेकिन अररि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 12:02 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 12:02 AM (IST)
धर्म गुरुओं के कंधे पर होगी बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी
धर्म गुरुओं के कंधे पर होगी बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी

राकेश मिश्रा, संसू, अररिया: सूबे में बाल विवाह के मामले में कमी दर्ज की गई है। लेकिन अररिया जिले की स्थिति चिताजनक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के ताजा आंकड़ों के अनुसार जिले में बाल विवाह के दर 48.9 प्रतिशत से बढ़कर 52 प्रतिशत हो गई है। जिला प्रशासन द्वारा इस चिताजनक स्थिति से निपटने के लिए माइक्रोप्लान बनाया गया है। इस सामाजिक कुरीति को दूर करने के लिए धर्मगुरुओं के कंधे पर जिम्मेदारी दी गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के ताजा आंकड़ों के अनुसार जिले में बाल विवाह के दर 48.9 प्रतिशत से बढ़कर 52 प्रतिशत हो गई है। इतना ही नही ये आंकड़ा तो केवल ऐसे मामलों का है जो प्रशासन के सामने आया है। जिले में कई ऐसे बाल विवाह के मामले है जो आये दिन इस सामाजिक कुरीति को साथ देते है और सामने भी नही आते। समाज भी या तो इसी कुरीति का या तो साथ देता है या फिर चुप्पी साधे बैठा रहता है। हालांकि इस कुरीति के लगातार बढ़ते मामले पर पूरे सूबे में जिले की जमकर किरकिरी हुई। संज्ञान लेते हुए डीएम प्रशांत कुमार सीएच द्वारा अधीनस्थ कर्मियों को चेताया गया है साथ ही अविलंब इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। डीएम के आदेश के बाद जिला प्रशासन द्वारा इस चिताजनक स्थिति से निपटने के लिए माइक्रोप्लान बनाया गया है। इस सामाजिक कुरीति को दूर करने के लिए धर्मगुरुओं के कंधे पर जिम्मेदारी दी गई है साथ ही यूनिसेफ, स्वास्थ्य विभाग, प्रशासनिक अधिकारियों की भी मदद लेने का निर्णय लिया गया है।

धर्मगुरु करेंगे समाजिक पहल-जिला प्रशासन द्वारा तैयार किये गए माइक्रोप्लान में धर्मगुरुओं के कंधे पर विशेष जिम्मेदारी दी गई। डीएम की अध्यक्षता में धर्मगुरुओं की विशेष बैठक भी आहूत की गई थी। बैठक में तमाम धर्मों के अनुयायी भी मौजूद थे। जानकारी देते हुए एडीएम और अभियान के नोडल अधिकारी अनिल कुमार ठाकुर ने बताया मंदिर, महजिद, गुरुद्वारा और तमाम धार्मिक स्थल एक ऐसी जगह है जहां तमाम धर्म के लोग पहुंचते है। यहां पर मौजूद साधक की बात को सभी मानते है। इस संबंध में प्रसिद्ध खड़गेश्वरी काली मंदिर के साधक नानू बाबा ने बताया कि वो हमेशा लोगों को इस विषय में जागरूक कर रहे है कि वो इस सामाजिक कुरीति से दूर रहें।

पंडित मौलवी सहित सभी धर्मगुरू करेंगे ऐसे शादी का बहिष्कार- जिला प्रशासन द्वारा तैयार किये गए माइक्रोप्लान में खास बात ये है कि बहुत जल्द ही सभी धर्मगुरुओं की एक बैठक होगी जिसमें सभी धर्मगुरू सामूहिक रूप से ये वचन लेंगे की धार्मिक स्थलों पर ऐसी शादी नहीं होगी साथ ही जिले के सभी धर्मगुरुओं ऐसी किसी भी शादी का हिस्सा नही बनेंगे। इतना ही नहीं धर्मगुरुओं की एक कमिटी बनाई जायेगी और ऐसी किसी भी शादी में शामिल होने वाले पंडित, मौलवी और अन्य धर्मगुरुओं की सूचना जिला प्रशासन को उपलब्ध कराई जायेगी ताकि सख्त कार्रवाई की जा सकें।

बोर्ड, बैनर और माइक से किया जायेगा जागरूक- जिला प्रशासन द्वारा जल्द ही शहर के सभी मुख्य चौक- चौराहों पर बोर्ड बैनर लगाकर बाल विवाह रोकने के लिए लोगो को जागरूक किया जायेगा। साथ ही सभी चौक-चौराहों में माइकिग कराकर पर भी इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ प्रहार किया जायेगा। खास बात ये है कि इस अभियान में यूनिसेफ, स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग द्वारा भी मदद की जायेगी। स्वास्थ्य विभाग की आशा और अन्य कर्मियों द्वारा घर घर जा कर लोगो को जागरूक किया जाएगा। यूनिसेफ और शिक्षा विभाग की मदद से स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित कर अभिभावकों को बाल विवाह के दुष्परिणाम से अवगत कराया जायेगा।

क्या है बाल विवाह के लिए प्रावधान- बाल विवाह की रोकथाम के लिए सरकार व प्रशासन की ओर से कई प्रकार के प्रावधान निर्धारित किए हैं। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत बाल विवाह को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में शामिल किया है। बाल विवाह कराते पाए जाने पर परिजनों को दो साल तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही एक लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके लिए प्राथमिकी दर्ज कराया जाना अनिवार्य है। अधिनियम के तहत बाल विवाह की प्राथमिकी दर्ज कराना अनिवार्य है। बाल विवाह को रोकने के लिए सबसे पहले जहां बाल विवाह हो रहा है। उस स्थान की सूचना पुलिस चाइल्ड हेल्प लाइन या प्रशासन को देनी होती है। इसके बाद प्रशासन या चाइल्ड हेल्प लाइन की टीम सीडीपीओ को इसके बारे में सूचना देते हैं। सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाती है। इसके बाद सीडीपीओ टीम के साथ बाल विवाह को रोकने के लिए संबधित स्थल के लिए रवाना होते हैं।

ये सदस्य रहेंगे टीम में- बाल विवाह को रोकने के जिले में टीम गठित है।। टीम में सात सदस्य है। इनमें दारोगा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, गांव के सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य, सरपंच, पुलिस बल आदि शामिल हैं। मौके पर पहुंचकर वर-वधु की आयु के प्रमाण-पत्रों की जानकारी की जाती है और नाबालिग होने पर प्रशासन की मौजूदगी में शादी रुकवाई जाती है। विवाह को रुकवाने के लिए प्रशासन की ओर से एडीएम को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। ऐसे में बाल विवाह की सूचना एसडीएम को देनी होती है। इसके बाद प्रशासनिक दल की संयुक्त कार्रवाई में बाल विवाह को रुकवाया जाता है।

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