जयंती पर याद किए गए साहित्यकार रामचंद्र शुक्ल

संसू.फारबिसगंज (अररिया) हिदी के प्रमुख साहित्यकार निबंधकार डा. आचार्य रामचंद्र शुक्ल

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 12:11 AM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 06:18 AM (IST)
जयंती पर याद किए गए साहित्यकार रामचंद्र शुक्ल
जयंती पर याद किए गए साहित्यकार रामचंद्र शुक्ल

संसू.,फारबिसगंज (अररिया): हिदी के प्रमुख साहित्यकार, निबंधकार डा. आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जयंती शुक्रवार को समारोह पूर्वक मनाई गई। इंद्रधनुष साहित्य परिषद् के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मांगन मिश्र मार्तण्ड ने तथा संचालन विनोद कुमार तिवारी ने किया। जयंती कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यकारों तथा साहित्यप्रेमियों के द्वारा आचार्य शुक्ल की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा की गई। बाल साहित्यकार हेमंत यादव ने बताया कि आचार्य डा. रामचंद्र शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश के अगौना, बस्ती में 1888 में हुआ था। वे हिदी के ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने हिदी साहित्य का इतिहास लिखा। जिसमें तत्कालीन उस अनेक कवियों, साहित्यकारों की रचना एवं उनका संपूर्ण परिचय भी सन्निहित है। वहीं हरि शंकर झा ने कहा कि हिदी पाठ्यक्रम को निर्धारित करने में डा. शुक्ल विरचित हिदी साहित्य का इतिहास का प्रमुख स्थान है। हिदी साहित्य के इतिहास की ²ष्टि से इसे पहला प्रयास माना जाता है। जबकि हर्ष नारायण दास ने बताया आचार्य शुक्ल की कृतियों में रस मीमांसा, तुलसीदास, जायसी ग्रंथावली की भूमिका, चितामणि आदि प्रमुख है। उन्होंने लाइट ऑफ एशिया पुस्तक का ब्रजभाषा में बुद्धचरित के नाम से तथा राखाल दास बंदोपाध्याय की बांग्ला उपन्यास का हिदी में अनुवाद किया। कार्यक्रम में हसमत सुरेश कंठ, हसमत सिद्दीकी और दिलीप समदर्शी ने स्वरचित गजल और कविताएं सुनाई। मौके पर अरविद कुमार, श्यामा नंद यादव, शिव नारायण चौधरी, सीताराम पाण्डे, अमरेंद्र कुमार सिंह, राम प्रसाद सिंह, हरि नारायण रजक, बलराम बनर्जी, प्रमोद दास, बबिता देवी, अरविद कुमार आदि भी उपस्थित थे।

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