भारतीय सेना से Royal Enfield का है अटूट नाता, सालों से 26 जनवरी की परेड में शामिल हो रहीं ये बाइक्स

Indian Republic Day Parade Bike Stunt 26 जनवरी को देश में 72वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। कल राजपथ पर सेना अपने हैरतअंगेज़ करतबों के जरिए अपने शौर्य का परिचय देती दिखती हैं। लेकिन क्या आपने गौर किया है कि क्यों सेना हमेशा रॉयल एनफील्ड का ही इस्तेमाल करती है।

By Rishabh ParmarEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 12:00 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 12:53 PM (IST)
भारतीय सेना से Royal Enfield का है अटूट नाता, सालों से 26 जनवरी की परेड में शामिल हो रहीं ये बाइक्स
भारतीय सेना से Royal Enfield का है अटूट नाता

नई दिल्ली,ऑटो डेस्क। देश कल 72 वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। हर साल की तरह इस साल भी भारतीय सेना अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय राजपथ पर देती नज़र आएगी। हालांकि कोरोना वायरस की वजह से इस बार आम जनता सेना के पराक्रम को देखने के लिए उनका हौसलाअफजई करने के लिए मौजूद नहीं होगी। सालों से हम और आप भारतीय जवानों के शौर्य का परिचय देखते आ रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि सेना हमेशा परेड में रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) की बाइकों का ही इस्तेमाल क्यों करती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसकी सही वजह कि क्यों दशकों से भारतीय जवानों के दस्ते में Royal Enfield मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल किया जाता है।

देश की आज़ादी के वक्त भारतीय सेना BSA और Triump मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल किया करती थी। लेकिन उस दौरान इन बाइकों के मैकेनिज्म और तकनीकी ज्यादा एडवांस नहीं थी जिसके चलते हमारी सेना के जवानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इन्ही कारणों की वजह से सन् 1949 में पहली बार ब्रिटिश मोटररसाइकिल निर्माता कंपनी रॉयल एनफील्ड की बाइकों को भारतीय सेना में शामिल किया गया था। उस वक्त सेना में इन बाइकों का इस्तेमाल जवान सीमा से सटे इलाकों में गश्त लगाने के लिए किया करते थे।

पिछले 70 से भी अधिक सालों से भारतीय थल सेना इन रॉयल एनफील्ड का इस्तेमाल कर रही है। इस बाइक के सेना के साथ रिश्ते की कहानी भी काफी दिलचस्प है। जब बीएसए और ट्रियंप जैसा बाइकें सेना के लिए उपयुक्त साबित नहीं हुईं तब भारतीय सेना अन्य मोटरसाइकिलों को सेना में सम्मलित करने का निर्णय लिया। उन दिनों भी रॉयल एनफील्ड एक चर्चिच बाइक थी क्योंकि यह बाइक द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी इस्तेमाल की गई थी। इतना ही नहीं उस समय रॉयल एनफील्ड की बाइकों का प्रयोग ब्रिटिश आर्मी के अलावा कई अन्य देश की सेनाओं द्वारा भी किया जाता था। जिसे देखते हुए भारत ने भी इन बाइक्स को अपने दस्ते में लाने का फैसला किया।

सेना में सबसे पहले आई 350 सीसी रॉयल एनफील्ड: सफल परीक्षण के बाद ब्रिटिश वाहन निर्माता कंपनी ने पहली बार 350 सीसी की क्षमता वाले 4 स्ट्रोक रॉयल एनफील्ड बाइकों की देश में सप्लाई शुरू की। इसके अलावा भारत सरकार ने रॉयल एनफील्ड का उत्पादन अपने ही देश में करने का मन बनाया। सन् 1955 में रॉयल एनफील्ड ने मद्रास मोटर्स की साझेदारी में बाइकों की असेंबलिंग शुरू की। इसके बाद जल्द ही, टूलींग को एनफील्ड इंडिया को बेच दिया गया ताकि वे स्थानीय स्तर पर उपकरणों का निर्माण कर सकें। सन 1962 तक जो भी बुलेट भारत में इस्तेमाल किया जाता था वो पूरी तरह से देश में ही बने होते थें। तब से लेकर आजतक भारतीय सेना और रॉयल एनफील्ड का अटूट नाता बना हुआ है।  

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