NGT के निर्देश पर Volkswagen को जमा कराने होंगे 100 करोड़ रुपये

फॉक्सवैगन ने पूर्व में अधिकरण के सामने एक प्रस्ताव पेश कर 2015 के दौरान देश में ‘चीट डिवाइस’ के साथ बेची गई 3.23 लाख गाड़ियों को वापस लेने की रूपरेखा रखी थी

By Ankit DubeyEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 10:50 AM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 09:37 AM (IST)
NGT के निर्देश पर Volkswagen को जमा कराने होंगे 100 करोड़ रुपये
NGT के निर्देश पर Volkswagen को जमा कराने होंगे 100 करोड़ रुपये

नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने फॉक्सवैगन को निर्देश दिया है कि वह अपनी गाड़ियों के उत्सर्जन परीक्षण के लिए कथित तौर पर चीट ‘चीट डिवाइस’ (धोखाधड़ी के लिए उपकरण) का इस्तेमाल करने के मामले में CPCB के समक्ष 100 करोड़ रुपये की अंतरिम राशि जमा कराए।

NGT के अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए एक समिति भी गठित की है, जिसके तहत वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य शामिल होंगे।

हरित अधिकरण ने समिति को निर्देश दिया कि वह एक महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपे और कंपनी तथा मामले में याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह समिति के समक्ष 7 दिनों के भीतर उपस्थित होकर अपना पक्ष सामने रखें। अधिकरण शिक्षिका सलोनी एलावादी और कुछ अन्य की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कथित तौर पर उत्सर्जन मानकों का उल्लंघन करने पर फॉक्सवैगन गाडिय़ों की बिक्री पर प्रतिबंध की मांग की गई है।

ऑटोमोबाइल कंपनी ने पूर्व में अधिकरण के सामने एक प्रस्ताव पेश कर 2015 के दौरान देश में ‘चीट डिवाइस’ के साथ बेची गई 3.23 लाख गाड़ियों को वापस लेने की रूपरेखा रखी थी। ‘चीट डिवाइस’ डीजल इंजन में लगाया जाने वाला एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जिससे उत्सर्जन परीक्षण में हेरफेर किया जाता है। उस समय खबरें आई थीं कि कंपनी की ई189 डीजल इंजन में एक ऐसी डिवाइस लगी होती है, जो उत्सर्जन परीक्षण के दौरान को प्रदूषण स्तर को कम करके दिखाता है। लेकिन परीक्षण में यह बात सामने आई थी कि वाहनों में अतिरिक्त नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन के स्तर का कारण बन रहा है।

साथ ही कंपनी ने भी माना था कि उसने इस डिवाइस के साथ पूरी दुनिया में 1 करोड़ से ज्यादा गांड़ियां बेची हैं और अकेले अमेरिका में उस पर 18 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। 

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