भारत में वाहनों पर फाइनेंस की सुविधा नहीं देगी Volkswagen और Ford, इन ब्रांड के वाहनों के लिए तलाशना होगा दूसरा फाइनेंसर

सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि जर्मन कार निर्माता की फाइनेंस शाखा फॉक्सवैगन फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने पिछले साल भारत में कार खरीदारों को ऋण देना बंद कर दिया माना जा रहा है कि कंपनी की फाइनेंस इकाई 31 दिसंबर तक भारत में बंद कर दी जाएंगी।

By BhavanaEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 02:22 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 05:10 PM (IST)
भारत में वाहनों पर फाइनेंस की सुविधा नहीं देगी Volkswagen और Ford, इन ब्रांड के वाहनों के लिए तलाशना होगा दूसरा फाइनेंसर
कंपनी की फाइनेंस इकाई 31 दिसंबर तक भारत में बंद कर दी जाएंगी।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Volkswagen & Ford Finance Service:  भारत में वाहन खरीदते समय जहां पहले सिर्फ बैंक ही लोन की सुविधा उपलब्ध कराते थे वहीं बीते कुछ समय से वाहन कंपनियां इस दिशा में अग्रसर हैं। यानी जिस कंपनी की आप कार खरीद रहे हैं, वह आपको लोन मुहैया कराती है। खैर, इस योजना से अब दो दिग्गज कंपनियों के एग्जिट लेने की खबर है। मिली जानाकरी के मुताबिक फॉक्सवैगन और फोर्ड मोटर कंपनी की ऑटो फाइनेंसिंग आर्म्स ने भारत में कार खरीदारों को फाइनेंस की सुविधा बंद करने की योजना बनाई है।

भुगतान ना करने को लेकर कंपनी को नुकसान: सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि जर्मन कार निर्माता की फाइनेंस शाखा, फॉक्सवैगन फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने पिछले साल भारत में कार खरीदारों को ऋण देना बंद कर दिया और मई में सभी VW ब्रांडों के डीलरों फॉक्सवैगन, स्कोडा और ऑडी से दूसरा फाइनेंस विकल्प तलाशने की बात कही। बताते चले, कुछ ग्राहक भुगतान करने में विफल रहे हैं, इसलिए वित्त संस्थाओं को नुकसान हुआ है। माना जा रहा है, कि कंपनी की फाइनेंस इकाई 31 दिसंबर तक भारत में बंद कर दी जाएंगी।  

फॉक्सवैगन फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने एक बयान में कहा कि उसने अपने खुदरा ग्राहकों की सेवा के लिए भारतीय ऋण ब्रोकरेज पोर्टल KUWY Technologies में एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर ली है। कंपनी ने कहा कि वह डीलरों के साथ बातचीत कर रही है और साल के अंत तक अपनी कारोबारी रणनीति की समीक्षा करेगी।

साल के अंत तक बंद हो सकती है सर्विस: ऑटो फाइनेंस आर्म्स को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के रूप में क्लासीफाइड किया गया है, और वे क्रेडिट प्रदान करने के लिए बैंकों के साथ मार्केट में प्रतिस्पर्धा करते हैं। लेकिन बैंकों के पास सस्ती फंडिंग की सुविधा उपलब्ध है। ताकि वे NBFCs या शैडो लेंडर दी जाने वाली दरों की तुलना में कम दरों पर ऋण की पेशकश करते हैं।

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