क्या आप भी बाइक में नहीं करते हैं रियर-व्यू मिरर का इस्तेमाल? अब पुलिस कर सकती है चालान
अदालत का कहना है कि वाहन निर्माता एक शर्त रखें कि अगर कोई दोपहिया या चार पहिया वाहन रियरव्यू मिरर को हटा देता है तो उनकी वारंटी को शून्य कर दिया जाएगा। यदि एक नया नियम लागू होता है तो लाखों दोपहिया वाहन वारंटी खो सकते हैं।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Rear View Mirror of Vehicles: भारत दुनिया में सबसे ज्यादा दोपहिया वाहनों बाजारों में से एक है, और इसी के चलते दोपहिया वाहनों को लेकर बनाए गए नियमों के लिए भी हमेशा खबरे सुनते रहते हैं। हाल ही में लोग अपनी बाइक या स्कूटर के रियरव्यू मिरर को हटाकर वाहन चलाने में ज्यादा रूचि रख रहे हैं। क्योंकि ऐसे लोगों का मानना है, कि मिरर हटाने से उनका वाहन ज्यादा आकर्षित दिखता है। वहीं ज्यादातर लोग डिलीवरी लेते ही दोपहिया वाहनों से शीशे हटा देते हैं।
मद्रास हाई कोर्ट ने रखी शर्त
हालांकि शीशे हटाना गैरकानूनी है और नियमों के खिलाफ है, अधिकांश पुलिस कर्मी इसे नजरअंदाज कर देती है।, लेकिन कोर्ट ने इसे नजरअंदाज नहीं किया है। हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट न्यायालय नया फैसला लेकर आया है। जिसमें अदालत ने तमिलनाडु परिवहन आयुक्त को दोपहिया और कारों के निर्माताओं और डीलरों से वारंटी पर एक नई शर्त शामिल करने का अनुरोध करने पर विचार करने का निर्देश दिया। अदालत का कहना है, कि वाहन निर्माता एक शर्त रखें कि अगर कोई दोपहिया या चार पहिया वाहन रियरव्यू मिरर को हटा देता है, तो उनकी वारंटी को शून्य कर दिया जाएगा।
यदि एक नया नियम लागू होता है, तो लाखों दोपहिया वाहन वारंटी खो सकते हैं। अदालत ने यह निर्देश तब जारी किया जब अधिवक्ता रामकुमार आदित्यन ने एक याचिका दायर कर अदालत से अधिकारियों को ऐसे दोपहिया वाहन चालकों पर जुर्माना लगाने का निर्देश देने की मांग की। जो रियर-व्यू मिरर को हटाते हैं। बता दें, दोपहिया या चौपहिया किसी भी वाहन से शीशा हटाना कानून के खिलाफ है और इस पर पुलिस चालान भी कर सकती है।
याचिका में पुलिस से यातायात अनुशासन सुनिश्चित करने और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कदम उठाने को कहा गया है। चूँकि पुलिस शीशे हटाने के उल्लंघन को नज़रअंदाज कर देती है, अधिकांश सवारों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि ऐसा कोई नियम मौजूद भी है।