Union Budget 2019: इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए बन सकता है सकारात्मक माहौल
ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में कार्यरत कंपनियां (फेम) में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और तेजी से अपनाने के तहत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए इंसेटिव योजना के विस्तार की दिशा में काम कर रही हैं
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। ऑटो इंडस्ट्री आगामी केंद्रीय बजट 2019 से काफी उम्मीदें लगाए हुए है क्योंकि यह ग्राहकों को वाहनों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करेगा और इलेक्ट्रिक वाहनों सहित ऑटो उद्योग के लिए सकारात्मक माहौल को बेहतर करेगा।
लोहिया ऑटो इंडस्ट्री के सीईओ आयुष लोहिया ने बजट से पूर्व अपेक्षाएं जाहिर करते हुए कहा, "ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कार्यरत कंपनियां (फेम) में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और तेजी से अपनाने के तहत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए इंसेटिव योजना के विस्तार की दिशा में काम कर रही हैं। यह आगामी केंद्रीय बजट से न्यूनतम 10 वर्षों के विस्तार के साथ सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रही है, इसलिए इसके प्रभाव लंबे समय तक महसूस किए जाएंगे। इस विस्तार से भारत के इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकेगा, जो सुनिश्चित तौर पर इंडस्ट्री को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा।"
लोहिया ने आगे कहा, "फेम नीति के तहत इंसेटिव योजना में सभी इलेक्ट्रिक वाहन शामिल होने चाहिए और इंसेटिव को केवल लीथियम बैटरी जैसे एडवांस्ड बैटरियों तक सीमित नहीं करना चाहिए। कंपनियों को उम्मीद है कि नए बजट में दोपहिया और तीनपहिया वाहनों में लेड एसिड बैटरियों को शामिल किया जाएगा और केवल इलेक्ट्रिक दोपहिया < 250 वॉट्स इंसेंटिव की तरह रजिस्टर्ड वाहनों तक सीमित नहीं है, जिनके रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है।"
बैटरी सहित सभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी के अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्धता के साथ 5 प्रतिशत से अधिक ना करके की मांग की जा रही है। इसके अलावा राष्ट्रीयता वाले बैंकों से ही नहीं, बल्कि एनबीएफसी और प्राइवेट बैंकों के माध्यम से भी एग्रीकल्चर की तरह ही प्रायोरिटी लेंडिंग के तहत रिटेल फाइनेंस की उपलब्धता भी आसानी से हो।
आगामी बजट में कंपनियां यह भी उम्मीद कर रही हैं कि मार्जिन मनी के साथ रिटेल फाइनेंस 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा और तीनपहिया सहित सभी कमर्शियल वाहनों पर ब्याज दर को अधिकतम 5% ROI रखा जाएगा। इसके साथ ही 7 वर्ष से कम आयु के सभी पैसेंजर और कमर्शियल वाहनों पर स्क्रैप इंसेंटिव की मांग भी की जा रही है।
इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग ने 20,000 करोड़ रुपये के बजट आवंटन की मांग की
इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं के संगठन SMEV ने सरकार से अगले दो साल में 20,000 करोड़ रुपये के बजट आवंटन की मांग की है। सोसाइटी ऑफ मैन्यूफैक्चर्स ऑफ इलेक्टिक व्हीकल्स (SMEV) ने यह रकम इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के प्रचार-प्रसार और प्रोत्साहन के लिए लिए मांगे हैं। इसके अलावा संगठन ने सरकार को संसाधन जुटाने हेतु अंतरिम बजट में परंपरागत वाहनों पर ग्रीन सेस लगाने का सुझाव भी दिया है। बजट को लेकर अपनी इच्छाओं के बारे में SMEV ने कहा कि फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) के दूसरे चरण की घोषणा में छह साल की योजना और समयबद्ध क्रियान्वयन की बाध्यता होनी चाहिए। SMEV के महानिदेशक सोहिंदर गिल ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए स्थिर और दीर्घावधि ने नीतिगत समर्थन की जरूरत है। जागरुकता अभियान चलाकर ही 2030 तक 30 फीसद इलेक्ट्रिक वाहनों का लक्ष्य पाया जा सकता है।