क्या है FASTag, जो अगले महीने से कारों और वैन पर टोल के लिए लगाया जाएगा
FASTag के इस्तेमाल से टोल बूथों पर कतार लगाने की आवश्यकता नहीं होगी और ये उन्हें एक दिन के रूप में बचा सकता है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। आपने वाहन के विंडस्क्रीन पर सबसे ऊपर बाएं ओर एक छोटा सा टैक लगा होता है, उसे आसान शब्दों में रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) या फास्टैग (Fastag) कहा जाता है, जिसके चलते आप किसी भी टोल प्लाजा को बिना किसी रुकावट के आसानी से पास कर सकते हैं। अनिवार्य रूप से एक फास्टैग का सबसे बड़ा उद्देश्य टोल बूथ पर पड़ने वाले समय को समाप्त करके यात्रा के समय में कटौती करना है। अगर निजी वाहनों से शुरू करें तो दिल्ली-एनसीआर या मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में आने वाले लोग और यहां तक कि जो लोग अक्सर इंटरसिटी आवागमन करते हैं, वे टोल बूथों पर काफी समय बिताते हैं और फास्टैग उस समय को बचाने में मदद करता है।
यानी यह वास्तव में उन कमर्शियल वाहनों के लाभदायक है जो लंबी दूरी या हजारों किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। अगर वे फास्टैग इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें टोल बूथों पर कतार लगाने की आवश्यकता नहीं है और ये उन्हें एक दिन के रूप में बचा सकता है जो न केवल उनके ईंधन खर्च और श्रम मजदूरी को कम करता है, बल्कि अच्छी खासी कीमत पर सेवाएं भी मुहैया कराता है। आज हम अपनी इसी खबर में इसी फास्टैग के बारे में बात करने जा रहे हैं कि आखिर ये क्या है? सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (NETC) कार्यक्रम के तहत 1 दिसंबर 2019 से सभी वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य कर दिए हैं, जिसका अर्थ है कि 1 दिसंबर से टोल भुगतान केवल फास्टैग और वाहनों के माध्य से होगा और जिनके पास ये फास्टैग नहीं होगा उनसे टोल बूथ पार करने के लिए इससे दोगुना शुल्क लिया जाएगा। वाहन के विंड शील्ड पर चिपकाए गए RFID टैग को यूनीक नंबर को रीडर्स ने डेडीकेटेड ETC लेन्स में फिट किया है। इसके चलते वाहन के क्लास के अनुसार टोल शुल्क ऑटोमैटिकली यूजर्स के प्रीपेड RFID खाते से काट लिया जाता है जो एक ऑनलाइन वॉलेट के रूप में काम करता है और जिस तरह से हम किसी अन्य ऑनलाइन वॉलेट में पैसा डालते हैं, उसी तरह इसे भी टॉप-अप किया जा सकता है। इसके अलावा मार्च 2020 से 2.5 फीसदी कैशकैब मिलना भी शुरू हो जाएगा।
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