Move to Jagran APP

जीरो वैली में मनाए जाने वाले इस म्यूज़िक फेस्टिवल में हिस्सा लेने आते हैं देश-विदेश से टूरिस्ट

अगर आप म्यूज़िक के शौकिन हैं तो अरूणाचल प्रदेश के जीरो वैली में हर साल सितंबर में मनाए जाने वाले जीरो फेस्टिवल में शामिल हों। जहां देखने और घूमने के लिए है बहुत कुछ।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 02:49 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 02:49 PM (IST)
जीरो वैली में मनाए जाने वाले इस म्यूज़िक फेस्टिवल में हिस्सा लेने आते हैं देश-विदेश से टूरिस्ट
जीरो वैली में मनाए जाने वाले इस म्यूज़िक फेस्टिवल में हिस्सा लेने आते हैं देश-विदेश से टूरिस्ट

अरुणाचल प्रदेश का 'धान का कटोरा' कहलाता है यह इलाका। यहां आप ग्रामीण जीवन की जीवंत झलकियां देख सकते हैं। देश की विविधता व सभ्यता-संस्कृति का एक नायाब नमूना है यह, जहां कुदरत की बेमिसाल कलाकारी हर ओर पसरी हुई है। इसी वजह से इस प्रदेश को यूनेस्को ने भी अपनी विरासत सूची में शामिल किया है। इस हफ्ते यहां शुरू होने वाला है लोकप्रिय संगीत फेस्टिवल। आइए जानते हैं फेस्टिवल से जुड़ी कुछ खास बातें।

loksabha election banner

जीरो संगीत महोत्सव

जीरो में हर साल सितंबर महीने में एक हफ्ते चलने वाला जीरो म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन होता है। इस साल यह फेस्टिवल 27 सितंबर से 30 सितंबर तक चलेगा। इस फेस्टिवल ने जीरो की पहचान बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाई है, जहां देश-विदेश से हजारों संगीत और कलाप्रेमी जुटते हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में बॉबी हनो और अनूप कुट्टी नामक दो कलाकारों द्वारा यह फेस्टिवल शुरू किया गया, जो आज पांचवें संस्करण में एक वार्षिक आउटडोर संगीत कार्यक्रम के रूप में उभर रहा है। यदि आप संगीत में सब कुछ भूलकर झूमना चाहते हैं तो एक बार इस फेस्टिवल में जरूर शिरकत करें।

फेस्टिवल में शामिल होने के लिए ध्यान रखें ये बातें

  • फेस्टिवल मानसून सीज़न में होता है तो अपने साथ रेनकोट और गमबूट्स जरूर साथ रखें।
  • बेहतर होगा अपनी टिकट पहले से बुक करा लें जिससे आप कई तरह के सुविधाओं का फायदा भी उठा सकते हैं।
  • रहने के लिए बहुत लिमिटेड ऑप्शन्स होते हैं इसलिए उनकी भी पहले से बुकिंग करा लेना ही बेहतर होगा।
  • इंडियन्स को जहां इनलाइन परमिट (ILP) की जरूरत होती है वहीं बाहर से आने वाले टूरिस्टों को प्रोटेक्टेड एरिया परमिट (PAP) की।
  • यहां आकर मशहूर एपिंग बीयर जरूर ट्राय करें।

कहां ठहरें

फेस्टिवल के दौरान यहां आने वाले टूरिस्टों के लिए टेंट की सुविधा मौजूद होती है। जो आधुनिक सुविधाओं से लैस होते हैं। इसके अलावा लॉज और होमस्टेज़ का ऑप्शन भी है आपके पास। हालांकि फेस्टिवल के दौरान इनके लिए आपको थोड़े ज्यादा पैसे चुकाने पड़ सकते हैं।

कैसे जाएं?

अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर या नहारलगून रेलवे स्टेशन से जीरो की दूरी करीब 120 किलोमीटर है। असम के लखीमपुर शहर से जीरो की दूरी 100 किलोमीटर है। लखीमपुर से भी जीरो के लिए शेयरिंग सूमो सेवा मिलती रहती है। आप गुवाहाटी तक ट्रेन या फ्लाइट से भी जा सकते हैं। आपके आगे की यात्रा के लिए निजी बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.