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यहां हर एक शहर की है अपनी अलग पहचान, एक साथ घूम सकते हैं कई सारी जगहें

एनसीआर का हर शहर अपनी एक खास पहचान लिए हुए है और अपनी इन्हीं खासियतों के कारण सिर्फ देशभर में ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा रहा है देश का मान।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 02:14 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 02:14 PM (IST)
यहां हर एक शहर की है अपनी अलग पहचान, एक साथ घूम सकते हैं कई सारी जगहें
यहां हर एक शहर की है अपनी अलग पहचान, एक साथ घूम सकते हैं कई सारी जगहें

एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) के हर शहर में राजधानी दिल्ली की खुशबू बिखरी हुई है। हरियाली और ग्रामीण भारत की खूबसूरती के साथ-साथ देश के अलग-अलग शहरों से आकर लोगों के बसने के कारण एनसीआर में आप इसका सुंदर बहु-सांस्कृतिक स्वरूप भी महसूस कर सकते हैं।
गुरुग्राम बन गया है तकनीकी हब, तो फरीदाबाद में आप पाएंगे ग्रामीण जीवन के रंगों के साथ-साथ हर साल लगने वाले सूरजकुंड में देश के विभिन्न राज्यों की विविधता भी। इसी तरह, ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे पर फार्मूला वन रेसिंग के लिए मशहूर बुद्घा इंटरनेशनल सर्किट की चर्चा के बिना अधूरी रहेगी एनसीआर की कल्पना। दरअसल, एनसीआर का हर शहर अपनी एक खास पहचान लिए हुए है और अपनी इन्हीं खासियतों के कारण सिर्फ देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा रहा है देश का मान यानी कह सकते हैं कि सही मायने में दिल्ली का हार है एनसीआर। तो आइए आज चलें एनसीआर के सफर पर और जानें कि यहां कौन-कौन सी जगहें यहां रहने और आने वाले लोगों को खूब लुभा रही हैं..
हर दिन बढ़ रही है दिल्ली
बढ़ती आबादी के कारण एनसीआर के शहरों में भी पिछले दो दशकों में बसावट तेजी से बढ़ी है। यहां के शहर तेजी से विकसित हो रहे हैं। हालांकि एनसीआर के शहरों यानी नोएडा-ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद-साहिबाबाद, गुडग़ांव, फरीदाबाद पहले भी औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान कर रहे हैं लेकिन अब इनकी पहचान व्यवस्थित शहरों के रूप में हो रही है। एनसीआर के ये शहर अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण पहले से ही लोकप्रिय रहे हैं। पर्यटन के लिए यहां कई ऐसे स्थल हैं जिनसे आप शायद परिचित नहीं रहे हों। ये आपको चौंकाते हैं और आप इनके बारे में देख-सुन कर कह उठते हैं, अरे, हमारे शहर में ऐसी जगहें भी हैं!

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सूरजगढ़ का 'अर्बन विलेज'
आज जब लोग शांतिपूर्ण ग्रामीण जीवन के अनुभव और आत्मिक संतुष्टि देने वाले सफर में शांत और स्थिर गांवों की तलाश में दूरदराज की जगहों की यात्रा कर रहे हैं, जबकि ऐसे आदर्श स्थल गुरुग्राम में भी हैं। यहां ऐसे कई पड़ाव हैं। अभी हाल ही में यहां सूरजगढ़ का 'अर्बन विलेज' रिजॉर्ट लोगों के लिए खोला गया है। गुरुग्राम के दिल और हरियाली से भरपूर गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन में स्थित सूरजगढ़ शहरी लोगों, पर्यटकों और नई-नई जगहों को खोजने में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को शानदार विरासत, पारंपरिक व्यंजन, मंत्रमुग्ध कर देने वाली ग्रामीण सुंदरता, आकर्षक गार्डन एरिया, सुकून पहुंचानी वाली खुली ताजा हवा और एडवेंचर स्पो‌र्ट्स समेत काफी कुछ मुहैया कराता है। शहर की भाग-दौड़ भरी जिंदगी और खतरनाक प्रदूषण से दूर गुरुग्राम के खूबसूरत सूरजगढ़ केवल कुछ ही मिनटों की ड्राइव कर आप पहुंच सकते हैं। राजस्थान के महलों के शेफ के हाथ का मिट्टी के चूल्हों पर ग्रामीण अंदाज में पकाया गया स्वादिष्ट और लजीज भोजन के साथ यहां रंगबिरंगी ग्रामीण सुंदरता के बीच रिलेक्शन जोन में होने वाली मसाज और हस्तशिल्प की खूबसूरत वस्तुएं सूरजगढ़ की खासियत हैं। यहां मंत्रमुग्ध कर देने वाली खूबसूरत ग्रामीण सुंदरता के अलावा दिल को लुभाने वाले लोकनृत्यों का आनंद भी लिया जा सकता है। इसके अलावा, खेती की गतिविधियों, ट्यूबवेल पर फन और कई ऐसी ढेर सारी मज़ेदार एक्टिविटीज आप कर सकते हैं, जिनकी खूबसूरत यादें लंबे समय तक आपके साथ रहेंगी।

मांगर बनी का आकर्षण
कंकरीट के जंगल में आपको यदि राजस्थान के सरिस्का और रणथंभौर का एहसास मिले तो अपने शहर पर गर्व होना लाजिमी है। यह स्थान है गुरुग्राम-फरीदाबाद मार्ग स्थित मांगर बनी की वादियों में। यहां की हरियाली के पीछे धौ यानी पेंडूला के पेड़ का बड़ा योगदान माना जाता है। गर्मी के दौरान इसके पत्ते झड़ जाते हैं और मानसून के आगमन से पहले इस पर दोबारा पत्ते आ जाते हैं। मांगर बनी में 90 फीसदी हिस्सा इन्हीं पेड़ों का है। यही वजह है कि इसकी हरियाली सरिस्का और रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यानों से होड़ करती नजर आती है। उल्लेखनीय है कि इन पेड़ों को चार से पांच फीट की ऊंचाई पाने में 20 से 30 साल का समय लग जाता है। यह जानना भी दिलचस्प है कि मांगर बनी में धौ के ज्यादातर पेड़ों की उम्र 100 से 500 साल तक है। लंबे समय से बनी में काम कर रहे पर्यावरणविद विजय दशमाना बताते हैं, 'मांगर बनी में अलग-अलग 100 प्रजातियों के पेड़-पौधे हैं। एक जगह इतनी संख्या में धौ के पेड़ अब केवल मांगर बनी में ही बचे हैं। यह पेड़ दूसरी जगह पर विकसित नहीं किया जा सकता।' धौ के अलावा मांगर बनी की खासियत यहां अन्य कई दुर्लभ प्रजाति के पेड़ों की मौजूदगी भी है। काली सिरस का पेड़ पूरे दिल्ली-एनसीआर में केवल यहीं दिखाई देता है। कदंब, देसी पापड़ी, वेट, डोक, 13 मीटर लंबा थोस, नेचुरल फ्लोरा, काला बासा, सलाई, सिंदुरी, गंगेटी आदि ऐसे पेड़-पौधे हैं, जो मांगर बनी की शान हैं। मांगर बनी की नि:स्वार्थ चौकीदारी कर रहे सुनील हरसाना के मुताबिक, अगर घूमने के लिए कहीं दूर नहीं जाना चाहते तो मांगर बनी बेहतर विकल्प हो सकता है। दिल्ली-एनसीआर में अब केवल मांगर बनी ही ऐसा क्षेत्र बचा है, जहां घना वन है।

इनसे है पहचान
बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट
ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे भारत की पहली फॉर्मूला वन सर्किट देश ही नहीं, दुनियाभर में अपनी खास पहचान रखता है। इसे बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (बीआइसी) नाम दिया गया है। यह भारत की पहली फॉर्मूला-1 रेस ट्रैक है, जिसे 18 अक्टूबर, 2011 को पूरी तरह तैयार किया गया। फॉर्मूला-1 रेस टीम रेड बुल की कार को ट्रैक पर टेस्ट रेस करवा कर इस सर्किट को लॉन्च किया गया। तकरीबन बीस हजार दर्शकों के बैठने की क्षमता वाला बुद्घ सर्किट को चार जोन में विभाजित किया गया है -उत्तर, पश्चिम, पूर्व और दक्षिण।

सूरजकुंड मेला
हर साल के फरवरी माह में देश ही नहीं, दुनियाभर को इंतजार रहता है फरीदाबाद के सूरजकुंड मेले का। यहां हर साल एक खास राज्य के ट्रेडिशन, खान-पान, शिल्प और कलाएं दिखाई जाती हैं। अगर आपने अभी तक इस मेले की झलक नहीं देखी है तो एक बार जरूर यहां आने का प्लान बनाएं।  


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