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तितलियों की निराली दुनिया देखनी हो तो थाटाकड पक्षी अभयारण्य आएं

थाटाकड में तितलियों के पूरी जीवन प्रक्रिया को आप देख सकते हैं। इसके अलावा जाइंट गिलहरियां और हाथी भी यहां देखना आम है। तो जानेंगे इस बर्ड सेंचुरी की दूसरी खासियत के बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 10:57 AM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 10:57 AM (IST)
तितलियों की निराली दुनिया देखनी हो तो थाटाकड पक्षी अभयारण्य आएं
तितलियों की निराली दुनिया देखनी हो तो थाटाकड पक्षी अभयारण्य आएं

साउथ इंडिया में केरल का नेरियामंगलम बहुत ही खूबसूरत जगह है जो चारों ओर से जंगलों से घिरा हुआ है। जिसकी वजह से यहां जंगली-जानवरों को देखना बहुत ही आम है। मुन्नार, सूर्यनेली और मरायूर का रास्ता नेरियामंगलम से ही होकर गुजरता है। तो अगर आप वाइल्डलाइफ को जानने में थोड़ी-बहुत भी रूचि रखते हैं तो ये जगह आपको बहुत पसंद आएगी। 

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प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉक्टर सलीम अली के नाम पर बर्ड सेंचुरी

थाटाकड में लगभग 25 वर्ग किलोमीटर में फैले सलीम अली पक्षी विहार की स्थापना वर्ष 1983 में हुई थी। प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली यहां पर दो बार पधारे थे। इस स्थान पर 250 प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं। इनमें एमराल्ड डव, सदर्न हिल मैना, हॉर्नबिल, कई प्रकार की किंगफिशर, बुलबुल, कोयल, ड्रोंगो, महालत और कई तरह के कैरेबियन पक्षी प्रमुख हैं। सलीम अली के शब्दों में, थाटाकड भारत के सबसे समृद्धतम जैव विविधता वाले स्थानों में से है। केरल सरकार की ओर से यहां पक्षियों को सुरक्षा देने तथा उन्हें करीब से देखने की व्यवस्था की गई है। इस क्षेत्र में इंस्पेक्शन बंगले और दो-तीन अन्य सरकारी होटल हैं, जहां रहकर पक्षियों और अन्य जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में देखा जा सकता है। केरल सरकार के पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर इस स्थान पर ठहरने संबंधी जानकारी उपलब्ध है। तट्टेकाइ के जंगल में 40 रुपये के टिकट पर दिन भर घूमा जा सकता है। इस पक्षी विहार में प्रवासी पक्षी भी आते हैं। जिनमें फ्लेमिंगो का झुंड हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहता है। सरकारी पक्षी विहार के अतिरिक्त आसपास के पूरे इलाके में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी नजर आ जाते हैं।

तितलियों की निराली दुनिया

तट्टेकाइ पक्षी विहार के एक हिस्से में तितलियों का संवर्धन केंद्र है। यह स्थान तितली प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, वहां पर तितलियों को बढ़ते और आनंद से सराबोर होकर उड़ते-फिरते देखकर हर किसी का मन आनंद से भर जाता है। उस केंद्र के क्यूरेटर कुंजापू हैं। तितलियों के व्यवहार के संबंध में उनका ज्ञान अद्भुत है। वे केवल मलयालम बोलते हैं और आप भाग्यशाली हुए तो वे आपको अपनी नोटबुक दिखा सकते हैं, जिसमें वे हर तितली के बारे में कुछ न कुछ दर्ज करते जाते हैं। वे तितलियों के लार्वा तक से आपकी पहचान करा सकते हैं।

 

लोमड़ी के आकार की गिलहरी

नेरियामंगलम आने वाले लोग नेरियामंगलम पुल को पारकर इसके दोनों ओर पसरे जंगल में उतर सकते हैं। जंगल के इन हिस्सों में बड़े जानवर तो नहीं, लेकिन भांति-भांति के पक्षी और खास दक्षिण भारत में पाई जाने वाली बड़ी गिलहरी देखी जा सकती है। आप यह जानकर हैरान हो सकते हैं कि इन गिलहरियों का आकार लोमड़ी के बराबर होता है, लेकिन वे आम गिलहरियों की तरह ही पेड़ों पर कूदती-फांदती या पत्ते कुतरती रहती हैं। इन्हें यहां की स्थानीय भाषा में 'वले अन्नान' कहा जाता है।

वालरा वॉटरफॉल और हाथी जंगल

नेरियामंगलम और उसके आसपास अकर्षणों की कमी नहीं है। केरल के ऊंचे झरनों में से एक चियापारा नेरियामंगलम से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुन्नार जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होने के कारण यह पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है। इसी के पास वालरा जलप्रपात है। इस झरने के पास की शामें बहुत खूबसूरत होती हैं। सूर्यास्त के समय ऊंचाई से गिर रहे पानी के कणों पर पड़ते नारंगी प्रकाश से बहुत ही सुंदर दृश्य उपस्थित होता है। उधर ही मामलकंडम नामक स्थान भी है, जो 'हाथी वाले जंगल' के रूप में जाना जाता है। जंगल के इस हिस्से में अक्सर हाथी देखे जा सकते हैं, विशेषकर जनवरी से लेकर अप्रैल के दिनों में। दरअसल, इन दिनों पानी की खोज में हाथी नीचे नदी की ओर भी चले जाते हैं। हथियों के अतिरिक्त बहुत से अन्य पशु-पक्षी भी सहज रूप से देखे जा सकते हैं।

कैसे जाएं?

सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आलुवा 45 किलोमीटर दूर है, जो देश के सभी स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। करीबी हवाई अड्डे की बात करें तो कोचीन हवाई अड्डा 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोच्चि-धनुषकोटि मार्ग पर स्थित होने के कारण सड़क मार्ग की सारी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। 


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