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सबसे अमीर मंदिरों में शामिल है मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, जहां चढ़ता है करोड़ों का चढ़ावा

सिद्धिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक मुंबई स्थित सिद्धिविनायक दर्शन के लिए आते हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 04:45 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 04:45 PM (IST)
सबसे अमीर मंदिरों में शामिल है मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, जहां चढ़ता है करोड़ों का चढ़ावा
सबसे अमीर मंदिरों में शामिल है मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, जहां चढ़ता है करोड़ों का चढ़ावा

भगवान गणेश को समर्पित सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई के सबसे समृद्ध और विशाल मंदिरों में से एक है। गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं ओर मुड़ी होती है, वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्धिविनायक मंदिर कहलाते हैं। सिद्धिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक यहां दर्शन के लिए आते हैं।

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आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां रोजाना करीब 25 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। यहां पर काले पत्थर पर बने हुए गणेश भगवान की मूर्ति पर सबसे ज्यादा दान चढ़ाया जाता है। जो करीब 200 साल पुरानी है। मंदिर की सलाना कमाई 48 करोड़ रुपए से 125 करोड़ रुपए के बीच है।

मंदिर की बनावट

मुंबई के प्रभादेवी इलाके में स्थित इस मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 में हुआ था। वर्तमान में सिद्धिविनायक मंदिर 5 मंजिला इमारत है। जहां प्रवचन ग्रह से लेकर गणेश संग्रहालय, गणेश विद्यापीठ के अलावा दूसरी मंजिल पर गरीब के मुफ्त इलाज के लिए अस्पताल भी है। इस मंजिल पर रसोईघर भी है। जहां से लिफ्ट सीधे गर्भग्रह में आती है। गणपति पूजन के लिए प्रसाद और लड्डू इसी रास्ते से लाया जाता है।

यहां स्थापित गणेश की प्रतिमा भी विशिष्ट है। भव्य सिंहासन पर स्थापित ढाई फुट ऊंची और दो फुट चौड़ी प्रतिमा एक ही काले पत्थर से गढ़ी गई है। उनकी चार भुजाओं में से एक में कमल, दूसरे में फरसा, तीसरे में जपमाला और चौथे में मोदक है। बाएं कंधे से होते हुए उदर पर लिपटा सांप है। माथे पर एक आंख उसी तरह से है, जैसे शिव की तीसरी आंख होती है। प्रतिमा के एक तरफ रिद्धि व दूसरी तरफ सिद्धि की प्रतिमा है।

मंदिर में लकड़ी के दरवाजे पर अष्टविनायक को प्रतिबिंबित किया गया है। मंदिर के अंदर सोने के लेप से सजी छतें हैं।

मंदिर का इतिहास

मान्यता है कि जब सृष्टि की रचना करते समय भगवान विष्णु को नींद आ गई, तब भगवान विष्णु के कानों से दो दैत्य मधु व कैटभ बाहर आ गए। ये दोनों दैत्यों बाहर आते ही उत्पात मचाने लगे और देवताओं को परेशान करने लगे। दैत्यों के आंतक से मुक्ति पाने हेतु देवताओं ने श्रीविष्णु की शरण ली। तब विष्णु शयन से जागे और दैत्यों को मारने की कोशिश की लेकिन वह इस कार्य में असफल रहे। तब भगवान विष्णु ने श्री गणेश का आह्वान किया, जिससे गणेश जी प्रसन्न हुए और दैत्यों का संहार हुआ। इस कार्य के उपरांत भगवान विष्णु ने पर्वत के शिखर पर मंदिर का निर्माण किया तथा भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की। तभी से यह स्थल 'सिद्धटेक' नाम से जाना जाता है।

 

मंदिर के आसपास घूमने वाली जगहें

अगर आप सिद्धिविनायक दर्शन के लिए जा रहे हैं तो महालक्ष्मी मंदिर, चौपाटी और जूहू बीच, गेटवे ऑफ इंडिया, हाजी अली, माउंट मेरी चर्च जाना बिल्कुल न भूलें। जो बहुत ही पॉप्युलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स हैं और सिद्धिविनायक मंदिर से कुछ ही किलोमीटर के अंदर स्थित हैं।

कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग- छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल यहां का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है।

रेल मार्ग- दादर यहां तक पहुंचने का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। वैसे मुंबई लोकल से भी मंदिर से भी यहां तक पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग- वर्ली और टारडियो से प्रभादेवी तक सड़क मार्ग तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा आप टैक्सी और ऑटो-रिक्शा बुक करके भी यहां तक पहुंच सकते हैं। 


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