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कई राजवंशों और युद्धों की कहानी बयां करता है रणथम्भौर का किला

सवाई माधोपुर के जंगलों में बना रणथम्भौर का किला यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। इतिहास को जानने में रूचि रखते हैं तो किले को घूमना वाकई यादगार एक्सपीरियंस होगा।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 03:08 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 03:08 PM (IST)
कई राजवंशों और युद्धों की कहानी बयां करता है रणथम्भौर का किला
कई राजवंशों और युद्धों की कहानी बयां करता है रणथम्भौर का किला

यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में शामिल रणथम्भौर का किला 10वीं शताब्दी में चौहान शासकों द्वारा बनवाया गया बहुत ही खूबसूरत और विशाल किला है। जो ऐसी जगह पर बना हुआ है जहां तक दुश्मन का पहुंच पाना मुश्किल था। कई राजा-महाराजा और शासकों ने किले पर आक्रमण की कोशिशें की थीं लेकिन सभी विफल रहे।

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राजस्थान में दो पहाड़ियों पर बना ये किला यहां की आन, बान शान का प्रतीक है। घूमने के अलावा किले में एडवेंचर के भी काफी ऑप्शन्स मौजूद हैं।

रणथम्भौर किले की बनावट

सुरक्षा के लिहाज से किले में सात दरवाजे बनाए गए थे। दिल्ली गेट से प्रवेश करने के बाद सतपोल और सूरजपोल गेट आते हैं। इसके बाद नवलखा, हाथी, गणेश और सबसे बाद में अंधेरी पोल आता है। अंधेरी पोल से गुजरने वाला रास्ता थोड़ा टेढ़ा-मेढ़ा है। किले के बुर्ज पर पहुंचकर कई किलोमीटर का नज़ारा आसानी से देखा जा सकता था। जो दुश्मन सेना के हमले पर नज़र रखने के लिहाज से बनाया गया था। किले के आसपास पद्म, राजाबाग, मलिक जैसे कई तालाब हैं। जिन्हें आप यहां आकर आसानी से देख सकते हैं। तालाबों की वजह से यहां पक्षियों की भी कई प्रजातियां देखने को मिलती हैं।

किले के अंदर भगवान शिव, गणेश और राम जी के मंदिर भी बने हुए हैं। जिनमें सबसे ज्यादा मशहूर है त्रिनेत्र गणेश मंदिर। हर साल भाद्रपद के महीने में गणेश चतुर्थी के मौके पर 5 दिनों का विशाल मेला लगता है। जिसमें शामिल होने दूर-दूर से लोग आते हैं। किले में मौजूद पुष्पवाटिका, गुप्तगंगा, बादल महल, दिल्ली दरवाजा, तोरणद्वार, नौलखा दरवाजा, जैन मंदिर हर एक का अपना अलग ही रोचक इतिहास है। जिन्हें यहां जाकर जाना जा सकता है।

किले में सबसे खास है हम्मीर महल और राणा सांगा की रानी कर्मवती द्वारा शुरू की गई अधूरी छतरी को देखना।

 

किले का प्लान बनाते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

1. कम्फर्टेबल कपड़े और फुटवेयर्स पहनकर जाएं क्योंकि रणथम्भौर किले के साथ ही रणथम्भौर नेशनल पार्क घूमने का भी ऑप्शन है आपके पास।

2. सर्दियों में यहां का मौसम बहुत ही सर्द और गर्मियों में बहुत ज्यादा गर्म होता है तो सीज़न के हिसाब से कपड़े पहनें और कैरी करें।

3. किले के अंदर दुकानें मौजूद नहीं हैं तो अपने साथ पानी की बोतलें जरूर साथ रखें।

4. जुलाई से सितंबर तक किला पर्यटकों के लिए बंद रहता है।

5. बदलते सीज़न के साथ रणथम्भौर नेशनल पार्क में सफारी के टाइम में भी बदलाव किए जाते हैं तो अगर आप सफारी का प्लान कर रहे हैं तो वेबसाइट पर इसकी पूरी जानकारी लेकर जाएं।

कब जाएं

अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच कभी भी आप रणथम्भौर किला घूमने का प्लान बना सकते हैं। गर्मियों में यहां का तापमान बहुत ज्यादा रहता है इसलिए उस दौरान अवॉयड करें।

प्रवेश शुल्क

बच्चों के लिए- 10 रूपए

बड़ों के लिए- 15 रूपए

कैसे पहुंचे

हवाई मा र्ग- जयपुर का सांगनेर यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है जहां से किले की दूरी 180 किमी है। ज्यादातर शहरों से जयपुर के लिए रोज़ाना फ्लाइट की सुविधा अवेलेबल है। एयरपोर्ट से टैक्सी और बसों द्वारा आप किले तक पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग- सवाई माधोपुर यहां का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। जो लगभग सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। स्टेशन के बाहर टैक्सी, कैब और बसें मौजूद रहती हैं जिससे आप किले तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग- सवाई माधोपुर से आधे घंटे की ड्राइव करके आप रणथम्भौर किले तक पहुंच सकते हैं। यहां प्राइवेट टैक्सी भी किराए पर मिलती है। जयपुर से 157 किमी, अहमदाबाद से 657 किमी, अजमेर से 274 किमी, जोधपुर से 450 किमी और दिल्ली से 417 किमी का सफर तय करना पड़ता है यहां तक पहुंचने के लिए। 


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