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पधारो म्हारे देश... शाही अंदाज के साथ लजीज जायकों के लिए भी मशहूर है राजस्थान

जैसलमेर किला भारत का सबसे पुराना दूसरा किला है। यह रेगिस्तान में बना विश्र्व का सबसे बड़ा किला भी है।

By Pratima JaiswalEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 05:54 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 06:00 AM (IST)
पधारो म्हारे देश... शाही अंदाज के साथ लजीज जायकों के लिए भी मशहूर है राजस्थान
पधारो म्हारे देश... शाही अंदाज के साथ लजीज जायकों के लिए भी मशहूर है राजस्थान

घी में डूबी करारी बाटी और लहसुन की खुशबू से महकती गरमा-गरम दाल का मिश्रण जब मुंह में घुलता है तो तीखेपन और घी का एक विशिष्ट स्वाद आता है। रेगिस्तान के कठोर पानी की वजह से राजस्थान के व्यंजनों में भारी मात्रा में तेल एवं घी का उपयोग होता है जो जैसलमेर में बने भोजन को और भी स्वादिष्ट बना देता है। 'कैर सांगरी' नामक व्यंजन मानो जैसे यहां के 'ड्राई फ्रूट्स' हों।

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यह एक तरह से यहां के स्थानीय लोगों का मनभावन पकवान है। कैर नामक छोटी-छोटी बेर सर्दियों में रेगिस्तान में उगती है जिसको सांगरी नामक ताजी फलियों के साथ मिलाकर ढेर सारे मसालों और तेल में बनाया जाता है। इसके अलावा, गट्टे की सब्जी भी जैसलमेर के लोगों की खास पसंद है जिसे आप टेस्ट कर सकते हैं। यदि आप इस सारे व्यंजनों को 'स्पेशल राजस्थानी थाली' में पारंपरिक तरीके से परोसे हुए खाना चाहते हैं तो आप नाचना हवेली में बने रेस्टोरेंट में राजस्थानी शैली में भोजन का आनंद उठा सकते हैं। आप इस शहर के मशहूर व्यंजनों के अलावा जैसलमेर के शाही परिवार का पसंदीदा व्यंजन भी चख सकते हैं। महारानी राशेश्र्वरीजी बताती हैं, ' जब भी पूरा परिवार जैसलमेर में होता है तो लहसुन की चटनी के साथ 'बाजरे का सोगरा' खाना जरूर खाते हैं। बाजरे का सोगरा असल में बाजरे की रोटी होती है जिस पर भारी मात्रा में ताजा मक्खन लगाया जाता है और च्यादातर गट्टे की सब्जी के साथ खाया जाता है। यदि आपको मौका मिले तो टूटे हुए गेहूं से बनने वाला 'लापसी' नामक स्वीट डिश जरूर चखें। सब्जियों के अभाव के कारण लाल मांस भी इस क्षेत्र में काफी मशहूर है। शाही परिवार तथा जैसलमेर कि लोगो के बीच 'मटन के सुले' यानी मटन के टिक्के काफी पसंद किए जाते हैं। पर जैन धर्म की लोकप्रियता के कारण आपको घरों में वेजिटेरियन खाने का वर्चस्व च्यादा देखने मिलेगा।

मिलिए डॉक्टर भांग से

राजस्थानी लहजे में बात-चीत करके हंसी मजाक करते डॉक्टर भांग अपनी स्पेशल दवाई पिलाकर कब आप आपका दर्द दूर कर देंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा। सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त यह जैसलमेर किले के बाहर स्थित भांग की इकलौती दुकान है। यहां पर भांग बेचते जनाब 'डॉक्टर भांग' के नाम से सोशल मीडिया पर मशहूर हैं। इनका मानना है कि भारतीय प्रथानुसार यदि भांग को थोड़ी मात्रा में लिया जाए तो वह दवाई के समान असर करती है और जटिल रोगों को जड़ से मिटा देती है। आप यहां भांग से बनी लस्सी, बिस्किट, मिठाई और बाकी मौसमी डिशों के स्वाद का मजा ले सकते हैं।

शहर से कुछ ही दूर पर..

तनोट माता मंदिर

दुश्मन देश से बरसते गोलों और बम धमाकों के बीच जैसलमेर से कुछ दूर स्थित भारतीय सीमा पर बना 'तनोट माता' का मंदिर शान से खड़ा था। यह मंदिर सदियों पुराना माना जाता है और 1965 में हुई लड़ाई में इस मंदिर को एक खरोंच तक नहीं आई थी। मंदिर से आप भारत-पकिस्तान सीमा भी देख सकते है। दूरबीन से पाकिस्तान की जमीं का नजारा भी देख सकते हैं।

बड़ा बाग

राजपरिवार के पूर्वजों के लिए राजस्थानी परंपरा रंगबिरंगी छतरियों के नीचे समाधि बनाई गयी है और छोटी-बड़ी कई छतरियां एक सुंदर सा बाग बनाती है। बारिश के दिनों में इन छतरियों का पानी में पड़ता प्रतिबिम्ब अत्यंत सुंदर दिखाई देता है और यदि आप एक फोटोग्राफर है या फोटो के शौकीन हैं तो यहां आप अनगिनत सुंदर फोटो खिंचवा सकते हैं।

अमर सागर तालाब

महल के नक्काशीदार झरोखे, अलंकृत बरामदे आपको मोहित कर देंगे। बारिश के दिनों में इस महल से तालाब का रमणीक नजारा देखा जा सकता है। हां, बाकी दिनों में पर्याप्त जलसंचय न होने के कारण यह तालाब बिलकुल सूखा नजर आता है।

 

इन्हे भी जानें..

-भारत का पहला सफल 'अंडरग्राउंड परमाणु परीक्षण' जैसलमेर के नजदीक बसे पोखरण नामक गांव में हुआ था।

-जैसलमेर किला भारत का सबसे पुराना दूसरा किला है। यह रेगिस्तान में बना विश्र्व का सबसे बड़ा किला भी है।

-भारत के मशहूर फिल्म निर्माता सत्यजीत रे जैसलमेर किले से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने 'सोनार किला' नामक फिल्म इस किले को समर्पित की।

-जैसलमेर स्थित 'अकल वुड फॉसिल पार्क' में हजारों साल पुरानी ऐसी लकडि़यां देखी जा सकती हैं जो इस जमीन के समंदर में खोने से पहले उगा करते थे।

-जैसलमेर के राजा को महारावल का खिताब दिया जाता है जैसे राजस्थान के बाकी राजाओं को महाराजा या महाराणा के खिताब से संबोधित किया जाता है।

 कैसे और कब?

जैसलमेर पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाईअड्डा जोधपुर में स्थित है। जोधपुर, जयपुर, उदयपुर, मुंबई, दिल्ली, देहरादून तथा भारत के अन्य मुख्य शहरों से जैसलमेर के लिए रेलगाडि़यां उपलब्ध हैं। दिल्ली तथा राजस्थान के कई शहरों से जैसलमेर राष्ट्रीय राजमागरें द्वारा जुड़ा हुआ है। जैसलमेर में प्रसिद्ध रेगिस्तान त्योहार फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है। सितंबर का महीना रामदेवरा मेले के लिये प्रसिद्ध है जो दुनिया भर से पर्यटकों की एक बड़ी संख्या को आकर्षित करता है। जैसलमेर की सैर का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मार्च के महीने के बीच का समय है।

लेखन : पूर्वी कमालिया


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