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सांस्कृतिक वैभव का शानदार प्रतीक है वडोदरा

दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के कारण गुजरात का वडोदरा शहर इन दिनों काफी चर्चा में रहा। गायकवाड़ राजघराने ने इस शहर को भव्य स्वरूप दिया। चलते हैं इसके रोचक सफर पर

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 04:45 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 06:00 AM (IST)
सांस्कृतिक वैभव का शानदार प्रतीक है वडोदरा
सांस्कृतिक वैभव का शानदार प्रतीक है वडोदरा

वडोदरा को सांस्कृतिक राजधानी क्यों कहा जाता है, इसकी असली वजह आप तभी जान सकेंगे, जब इस शहर को करीब से देखेंगे। कितना कुछ है यहां। कुदरत की कलाकारी, सुंदर भव्य ऐतिहासिक इमारतें, गरबा नृत्य की अनूठी प्रस्तुतियां, जिन्हें देखने के लिए नवरात्र पर देश व दुनिया से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। वडोदरा कई मायनों में खास है। इन दिनों यह शहर 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के कारण खास आकर्षण का केंद्र है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह भविष्य में भारतीय पर्यटन को नया आयाम देगी।

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वडोदरा एक समय गायकवाड़ राजघराने की रियासत थी। कहते हैं गायकवाड़ राजघराना अपनी रियासत के उद्धार के लिए बहुत सजग था। इसमें महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय का नाम सबसे पहले आता है। इस राजघराने ने वक्त की नब्ज को पहचानते हुए न सिर्फ अंग्रेजों से मित्रतापूर्वक संबंध रखे, बल्कि अपनी प्रजा के लिए भी बहुत सारे काम किए। जैसे, महिला शिक्षा, विधवा विवाह, वित्तीय सुधार, बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थापना आदि।

कैसे पड़ा नाम

आज का वडोदरा यानी पुराने जमाने का बड़ौदा। कैसे पड़ा यह नाम? इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। कहते हैं यहां बड़ के पेड़ बहुतायत में हुआ करते थे, इसलिए इसे बड़ोधरा कहा जाने लगा यानि ऐसी धरा, जहां बहुत सारे बड़(बरगद) के पेड़ हों। इस तरह इस शहर का नाम पहले बड़ौदा और फिर बाद में वडोदरा हो गया।  गरबा से भी है खास पहचान

हर साल नवरात्र में यहां प्रसिद्ध गरबा खेलने लाखों लोग जमा होते हैं। पूरे वडोदरा में जगह-जगह गरबा के लिए विशेष पंडाल सजाए जाते हैं। यहां का 'यूनाइटेड गरबा' पूरी दुनिया में जाना जाता है। एक समय में 40 से 45 हजार लोगों द्वारा गरबा का नाम गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में भी आ चुका है।

आसपास घूमने वाली जगहें

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

वडोदरा से 89 किलोमीटर दूर नर्मदा जिले में स्थापित दुनिया की सबसे ऊंची (182 मीटर) सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस विशालतम प्रतिमा से तीन किमी की दूरी पर एक टेंट सिटी बनाई गई है। स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम है, जहां सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी कई चीजें रखी गई हैं। लिफ्ट से स्टैच्यू की छाती तक पहुंचकर वहां से सरदार सरोवर डैम और उसके 200 किलोमीटर में फैले जलाशय को देख सकते हैं। प्रतिमा सरदार सरोवर बांध से 3 किमी दूर साधु बेट, केवड़िया में स्थित है।

गायकवाड़ बडोदरा गोल्फ क्लब

गोल्फ खेलने के शौकिनों के लिए गायकवाड़ वड़ोदरा गोल्फ क्लब, जिसे महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ के पौत्र महाराजा प्रताप सिंह ने 1930 में स्थापित किया था। शुरू में यह गोल्फ कोर्स विदेशी मेहमानों के लिए बना था। आजादी के बाद 1990 में इसका पुननिर्माण करके आम लोगों के लिए खोल दिया गया। नेपथ्य में बने विशाल लक्ष्मी विलास पैलेस की आगे हरे-भरे गोल्फ कोर्स मे गोल्फ का आनंद लेना आपको राजसी ठाठ का आनंद देगा।

सरदार सरोवर डैम

आधुनिक इंजीनियरिंग और सिंचाई तकनीक का सजीव उदाहरण है सरदार सरोवर डैम। आप जब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने जाएं तो सरदार सरोवर डैम देखने जरूर जाएं। विशाल जलाशय आपकी आंखें चुंधिया देगा। यहां कैनाल हेड पवर हाउस, रिवर बेड पवर हाउस हैं। इस डैम के कुछ हिस्सों को देखने के लिए अलग से अनुमति लेनी पड़ती है। इसकी स्थापना पंडित जवाहरलाल नेहरू ने1961 मे नर्मदा नदी पर की थी। इसके आसपास गार्डेन बनाए गए हैं, जहां से पर्यटक इसकी खूबसूरती निहार सकते हैं। 1,210 मीटर लंबा और163 मीटर की ऊंचाई वाला यह देश का तीसरा सबसे ऊंचा बांध है।

जरवानी फॉल्स

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से मात्र 13 किमी की दूरी पर जरवानी फॉल्स है। यहां लोग पिकनिक मनाने आते हैं। और इस वॉटर फॉल में नहाते भी हैं। अगर आप जंगल में कैंपिंग करना चाहते हैं तो उसका भी आनंद यहां आकर ले सकते हैं।


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