मंदिरों की नगरी से मशहूर महाबलिपुरम आकर इन जगहों को देखना बिल्कुल न करें मिस
इस खूबसूरत शहर को मंदिरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है लेकिन मंदिरों के अलावा यहां गुफाएं और ऐसी कई ऐतिहासिक धरोहर हैं जो यूनेस्को के हेरिटेज लिस्ट में शामिल हैं। जानेंगे...
मामल्लपुरम के मंदिर अपनी नक्काशियों के लिए खासे जाने जाते हैं। यहां पत्थरों को तराश कर बनाई गई चट्टानें देखने योग्य हैं। इनकी खासियत यह है कि ये एक ही पत्थर को काटकर बनाई गई हैं। इस खूबसूरत शहर को मंदिरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। इसे पल्लव राजवंश के प्रतापी राजा महेंद्र वर्मन प्रथम (शासनकाल 600-630 ई.) ने 7वीं सदी में बसाया था। उनके उत्तराधिकारी नरसिंहवर्मन प्रथम (630-668 ई.) को एक नामी पहलवान होने के कारण 'महामल्ल' या 'मामल्ल' की उपाधि दी गई थी। इसी कारण तब महाबलीपुरम का नाम भी मामल्लपुरम कर दिया गया था। जानेंगे यहां घूमने वाली खास जगहों के बारे में....
पहाड़ी गुफा
यहां मंदिरों के अलावा अनेक सुंदर गुफाएं भी मौजूद हैं। पहाड़ों को काटकर बनाई गई ये गुफाएं बाहर से देखने में छोटी लगती हैं, लेकिन अंदर से विशाल हैं। इन गुफाओं की भीतरी दीवारों पर विभिन्न ऐतिहासिक, आध्यात्मिक घटनाओं को मूर्तियों के माध्यम से बेहद कलात्मक तरीके से दर्शाया गया है। इनमें मुख्य हैं-महिषासुरमर्दिनी गुफा, वराह गुफाएं, कृष्णा मंडपम और अर्जुन तपस्या। इन सभी गुफाओं में और उनकी दीवारों पर विभिन्न पौराणिक घटनाओं को दर्शाती खुदी हुई मूर्तियां है। मूर्तियों को कहानियों के रूप में दर्शाया गया है।
डिसेंट ऑफ द गंगा
गंगा के स्वर्ग से धरती पर आने की पौराणिक कथा-भगीरथ प्रयत्न को शिल्पियों ने अथक प्रयासों से पत्थरों पर उकेर कर रख दिया है। ये मूर्तियां किसी रेखाचित्र की तरह बारीक और छोटी से छोटी चीज को दर्शाती कलाकृतियों का एक ऐसा नमूना हैं, जिन्हें देखने से जी नहीं भरता।
अर्जुन की तपस्या की मूर्ति
अर्जुन की तपस्या करते हुए एक लंबी 43 फीट और 96 फीट ऊंची मूर्ति एक विशाल चट्टान को काटकर बनाई गई है। यह अर्जुन की दुनिया में सबसे बड़ी मूर्ति माना जाता है। इसमें अर्जुन एक ऋषि की तरह तपस्या करते नजर आते हैं। यह यहां की सबसे प्रसिद्ध मूर्तियों में से एक है।
वॉच टॉवर और लाइट हाउस
यहां एक घड़ी गुफा है, जो व्यापारियों को पल्लव काल में प्राचीन बंदरगाह से व्यापार करने के लिए समुद्र के माध्यम से आने वाले व्यापारियों को मार्ग दिखाती थी। महाबलीपुरम बीच के नजदीक एक छोटी-सी पहाड़ी पर यह लाइट हाउस स्थित है। समुद्री यात्रियों के लिए इस घड़ी टॉवर में बड़े-बड़े दीपक जलाकर निर्देश दिए जाते थे। इस घड़ी टॉवर के बगल में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया लाइटहाउस भी है, जो वॉच टॉवर से लंबा है। इस एक लाइट हाउस से मामल्लपुरम का पूरा 360 डिग्री दृश्य देख सकते हैं।
वराह गुफा मंदिर
मां लक्ष्मी, दुर्गा और विष्णु के वराह अवतार को समर्पित यह गुफा पल्लव राजवंश के मूर्तिकला प्रेम को बखूबी दर्शाती है। बाहर से साधारण दिखने वाली इस गुफा के भीतर की दीवारें खूबसूरत मूर्तिकला से सुसच्जित हैं। इस गुफा के खंभे नरसिंह के मजबूत बाजुओं पर टिके हैं।