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ओणम के दौरान देखने को मिलता है केरल में अलग ही नजारा, जानें फेस्टिवल से जुड़ी खास बातें

केरल में 10 दिनों तक मनाया जाने वाला ओणम यहां का सबसे बड़ा फेस्टिवल है जिसमें शामिल होने दूर-दूर से सैलानियों की भीड़ उमड़ती है। जानेंगे फेस्टिवल से जुड़ी कुछ अन्य बातें।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 12:38 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 12:38 PM (IST)
ओणम के दौरान देखने को मिलता है केरल में अलग ही नजारा, जानें फेस्टिवल से जुड़ी खास बातें
ओणम के दौरान देखने को मिलता है केरल में अलग ही नजारा, जानें फेस्टिवल से जुड़ी खास बातें

ओणम, केरल में मनाए जाने वाले सबसे बड़े और खास फेस्टिवल्स में से एक है। जो हर साल सितंबर महीने में राजा महाबली के स्वागत में मनाया जाता है। 10 दिनों तक मनाए जाने वाले इस उत्सव की धूम पूरे दक्षिण भारत में देखने को मिलती है।

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कब है ओणम 

मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने से होती है ओणम फेस्टिवल की शुरुआत। हर एक दिन कोई न कोई कार्यक्रम होता है। जिसकी शुरुआत 1 सितंबर से हो चुकी है और इसका समापन 13 सितंबर को होगा। 

ओणम के खास 10 दिन

अथम- पहले दिन को अथम कहा जाता है जिसमें पीले रंग के फूलों से घर के आंगन में रंगोली बनाई जाती है। धीरे-धीरे रंगोली में एक-एक वृत्त (गोले) को बढ़ाया जाता है और 10वें दिन यह बहुत बड़ा हो जाता है।

चिथिरा- दूसरा दिन को चिथिरा के नाम से जानते हैं। जिसमें रंगोली में एक वृत्त को बढ़ाया जाता है और घरों की साफ-सफाई होती है।

चोधी- एक और लेयर रंगोली में बढ़ाई जाती है। इस दिन में खरीददारी शुरू होती है।

विशाकम – इस दिन से जगह-जगह प्रतियोगिताएं शुरू हो जाती हैं।

अनिज्हम – ओणम के पांचवें दिन यहां वालमकलि बोट रेस की शुरुआत होती है। जिसे देखने दूर-दूर से लोगों की भीड़ उमड़ती है।

थ्रिकेता - 6वें दिन से ओणम की असली रौनक शुरु हो जाती है। 

मूलम - इस दिन जगह-जगह होने वाले पारंपरिक नृत्य को एन्जॉय किया जा सकता है।

पूरादम – इस दिन वामन और महाबलि की मूर्तियों को पूकलम यानि रंगोली के बीचों-बीच स्थापित किया जाता है। 

उठ्रादोम- इस दिन घरों में ताजी सब्जियां और तरह-तरह के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन महाबलि, केरल पहुंचे थे।

थिरुवोनम – वैसे तो हर एक दिन खास होता है लेकिन ओणम की असली रौनक 10वें दिन देखने को मिलती है। लोग सुबह-सुबह स्नान आदि कर पूजा करते हैं और एक-दूसरे को उपहार देते हैं।

वैसे तो इस दिन नौ तरह के पकवान बनाकर उन्हें केले के पत्तों में परोसने का रिवाज है लेकिन कई जगहों पर लोग 24-25 प्रकार के पकवान बनाते हैं जिसमें केले के चिप्स, पापड़म, पुलिंझी, थोरन, ओलन, अवियल, सांभर दाल, रसम, खिचड़ी, नारियल चटनी जैसी कई चीज़ें शामिल हैं।   

ओणम के खास रौनकें

थ्रिसूर में मास्क के साथ कुमाती डांस करते हुए कलाकार देखने को मिलते हैं। पुरुष बाघ का वेश धारण कर पुलिकल्ली लोकनृत्य करते हैं। स्नेक बोट रेस इस फेस्टिवल का खास आकर्षण होता है।

अगर आप भी कहीं घूमने-फिरने की प्लानिंग कर रहे हैं तो केरल का बनाएं प्लान। जहां मौसम को खुशगवार होगा ही साथ ही फेस्टिवल की रौनक आपके ट्रिप को बना देगी हमेशा के लिए यादगार।


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