भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी मैत्रेय देव के दर्शन के लिए जरूर जाएं Basgo Monastery
बौद्ध धर्म के जानकारों की मानें तो मैत्रेय देव भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी हैं। कलयुग में जब अधर्म की प्रधानता बढ़ जाएगी और धर्म का पतन होने लगेगा। उस समय धर्म की रक्षा हेतु मैत्रेय देव प्रकट होंगे। इसके लिए मैत्रेय देव को भविष्य का बुद्ध भी कहा जाता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम शुद्धोधन और माता का नाम महामाया था। शुद्धोधन इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा थे। जन्म के 7 दिनों बाद इनकी माताजी की मृत्यु हो गई थी। तत्पश्चात, इनका पालन-पोषण इनकी मौसी महाप्रजापती गौतमी ने किया। भगवान बुद्ध को बालयावस्था से अध्यात्म में रूचि थी। इसके चलते शादी के कुछ वर्षों के उपरांत इन्होंने गृह त्यागकर सन्यास जीवन को ग्रहण कर लिया था।
इस बारे में विद्वानों का कहना है कि भगवान बुद्ध दैविक और दैहिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए सन्यासी बनें। भगवान बुद्ध को वर्षों की तपस्या के बाद बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से लोग उन्हें भगवान् बुद्ध कहकर पुकारने लगे। आधुनिक समय में न केवल भारत और नेपाल, बल्कि एशिया सहित दुनियाभर में भगवान बुद्ध की पूजा उपासना की जाती है। हर साल काफी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी बिहार के बोधगया में भगवान बुद्ध के दर्शन करते हैं। अगर आप भी आने वाले समय में धार्मिक यात्रा पर जाना चाहते हैं, तो Basgo Monastery जरूर जाएं। इस मठ में भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी मैत्रेय देव की प्रतिमा स्थापित है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
मैत्रेय देव कौन हैं
बौद्ध धर्म के जानकारों की मानें तो मैत्रेय देव भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी हैं। कलयुग में जब अधर्म की प्रधानता बढ़ जाएगी और धर्म का पतन होने लगेगा। उस समय धर्म की रक्षा हेतु मैत्रेय देव प्रकट होंगे। इसके लिए मैत्रेय देव को भविष्य का बुद्ध भी कहा जाता है। कई बौद्ध ग्रंथों में इनका विस्तार से वर्णन किया गया है। वहीं, ग्रंथों में इनका नाम अजित है। ऐसा माना जाता है कि मैत्रेय देव फिलहाल तुषित नामक स्वर्ग में हैं। इससे पहले भगवान बुद्ध भी तुषित स्वर्ग में रहते थे।
भारत समेत विश्व की कई जगहों पर बौद्ध मंदिर हैं, जिनमें मैत्रेय देव की प्रतिमा स्थापित हैं। इनमें एक मठ लद्दाख के लेह जिले में है। इस स्थान को Basgo Monastery कहा जाता है। इस मठ का निर्माण साल 1680 में किया गया था। वर्तमान समय में भी मठ अपनी प्राकृतिक रूप में अवस्थित है। मठ के परिसर में कई मंदिर हैं। आप भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी मैत्रेय देव हेतु लद्दाख की सैर कर सकते हैं। यह जगह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसके लिए एक बार Basgo Monastery जरूर जाएं।